Bihar Politics: ठाकुर के कुएं में उतरी बिहार की सियासत, मनोज झा की 'कविता' पर राजपूतों ने छेड़ा संग्राम
मनोज झा के द्वारा संसद में ओम प्रकाश बाल्मीकि की कविता ठाकुर का कुआं पढ़े जाने पर बिहार में सियासी संग्राम खड़ा हो गया है। राजद सांसद डॉ. मनोज झा ने महिला आरक्षण बिल पर बहस के समय राज्यसभा में इस कविता का पाठ किया था। पांच दिन बाद राजद और जदयू के कुछ राजपूत नेताओं को लग रहा है कि कविता से उनकी बिरादरी का अपमान हो गया है।
By Arun AsheshEdited By: Mohit TripathiUpdated: Wed, 27 Sep 2023 06:18 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, पटना: आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा द्वारा संसद में ओम प्रकाश बाल्मीकि की कविता 'ठाकुर का कुआं' पढ़े जाने पर बिहार में सियासी संग्राम खड़ा हो गया है। ऐसा लग रहा है कि बिहार की राजनीति ठाकुर के कुंए में उतर आई है।
राजद के सांसद डॉ. मनोज झा ने महिला आरक्षण बिल पर बहस के समय राज्यसभा में इस कविता का पाठ किया था। पांच दिन बाद राजद और जदयू के कुछ राजपूत नेताओं को लग रहा है कि कविता से उनकी बिरादरी का अपमान हो गया है।
आनंद मोहन के बेटे की मनोज झा नसीहत
जाति के नाम पर जदयू के एक विधान पार्षद भी कूद पड़े हैं। हालांकि, RJD विधायक चेतन आनंद सबसे अधिक दुखी हैं। विधायक चेतन आनंद पूर्व सांसद आनंद मोहन के पुत्र हैं। आनंद मोहन की पहचान राजपूत नेता की रही है।चेतन ने मनोज झा को नसीहत दी कि वे राजपूत समाज का अपमान न करें। इस तरह की कविताओं का उदाहरण न दें, जिससे किसी जाति की भावना आहत हो।
जातियों को लेकर कई नकारात्मक कविताएं लिखी गई हैं। मनोज झा की जाति के बारे में भी ऐसी कविताएं हैं। अगर वे अपनी जाति के बारे में ऐसी कविता पढ़ें तो लोग विरोध करेंगे।
चेतन बोले-अगर हम होते तो...
चेतन ने अपनी जाति से जुड़े विभिन्न दलों के राज्यसभा सदस्यों की भूमिका पर आश्चर्य प्रकट किया। उन्होंने कहा कि उन्हें कविता पाठ के समय मनोज झा का विरोध करना चाहिए था। अगर हम होते तो सदन में ही धरना पर बैठ जाते।
राजद विधायक ने कहा कि उनकी पार्टी ए टू जेड की है, लेकिन मनोज झा जैसे लोगों के चलते दल को परेशानी हो रही है। वह इस मामले को पार्टी मंच पर उठाएंगे।
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