Bihar Politics: लालू ने परायों को थमाया टिकट तो अपने हो गए बागी, कई नेताओं ने छोड़ी पार्टी; मगर...
बिहार की राजनीति में अपनी पार्टी बनाने के बाद लालू प्रसाद ने बड़े जतन से बिहार में सामाजिक न्याय और मुस्लिम-यादव (एम-वाई) समीकरण का ढांचा खड़ा किया। उस दौर में होने वाले चुनावों में मुस्लिम और यादव उम्मीदवारों की सर्वाधिक भागीदारी रही लेकिन वर्तमान में पार्टी के वरिष्ठ नेता एम-वाई के सीटों में कटौती को लेकर सवाल उठा रहे हैं।
सुनील राज, पटना। लोकसभा चुनाव की रणभूमि पर योद्धाओं ने मोर्चा संभाल लिया है और विरोधियों से दो-दो हाथ आजमाने को पूरी तरह से तैयार भी हैं। परंतु राष्ट्रीय जनता दल में चुनाव के ऐन बीच नाराज नेताओं की तादाद लगातार बढ़ रही है।
एमवाई समीकरण को आधार वोट बताकर बिहार की सत्ता पर वर्षों तक राज करने वाले राष्ट्रीय जनता दल में इसी आधार वोट का मसला बनाकर नेता पार्टी छोड़ रहे हैं, लेकिन राजद के लिए राहत की बात यह है कि दल छोड़ने वाले नेताओं के बीच ऐसे चेहरों की कमी भी नहीं जो पार्टी में या तो वापसी कर रहे हैं या फिर नए सिरे से अपनी पारी की शुरुआत कर रहे हैं।
मुस्लिम-यादव का समीकरण
बिहार की राजनीति में अपनी पार्टी बनाने के बाद लालू प्रसाद ने बड़े जतन से बिहार में सामाजिक न्याय और मुस्लिम-यादव (एम-वाई) समीकरण का ढांचा खड़ा किया। उस दौर में होने वाले चुनावों में मुस्लिम और यादव उम्मीदवारों की सर्वाधिक भागीदारी रही, लेकिन वर्तमान में पार्टी के वरिष्ठ नेता एम-वाई के सीटों में कटौती को लेकर सवाल उठा रहे हैं।ऐसे नेताओं के तर्क हैं कि पार्टी की बदलती नीतियों की वजह से आधार वोट खिसक सकता है। इसी आरोप को आधार बना कई नेता पार्टी को अलविदा भी कह चुके हैं। नेतृत्व को लेकर ज्यादा नाराजगी अल्पसंख्यकों और इसके बाद यादवों में है। असल वजह है 2024 के संसदीय चुनाव। हालांकि, राजद ने 23 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं उसमें यादव उम्मीदवार आठ जबकि अल्पसंख्यक दो हैं।
लालसा की वजह से छोड़ी पार्टी
हालांकि पार्टी मानती है कुछ नेता जिन्होंने पार्टी छोड़ी इसकी वजह उनकी निजी लालसा रही है। राजद के पूर्व नेता मो. तस्लीमुद्दीन के पुत्र सरफराज चुनाव लड़ना चाहते थे और पार्टी ने उनके भाई शाहनवाज को टिकट दे दिया। पार्टी के पूर्व साथी शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब भी राजद के टिकट पर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव ठुकरा चुकी हैं।अशफाक करीम कटिहार संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ना चाहते थे। टिकट नहीं मिला तो जदयू में चले गए। इन मुस्लिम नेताओं में अब यादव नेता भी शामिल हो गए हैं। नवादा से टिकट नहीं मिला तो राजवल्लभ के भाई विनोद यादव ने पार्टी छोड़ दी। वृषिण पटेल भी उम्मीदवारी चाहते थे।
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