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Bihar Politics: जातिगत गणना व शिक्षक बहाली के नाम रहेगा शीतकालीन सत्र, पक्ष-विपक्ष के बीच दिखेगी तीखी नोंक-झोंक

बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र छह नवंबर से शुरू हो रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घोषणा की थी कि सरकार जाति आधारित गणना रिपोर्ट काे सदन में पेश करेगी। ऐसे में जातियों की संख्या के आधार पर आरक्षण का दायरा बढ़ाने की भी मांग उठेगी। इसके अलावा शिक्षकों की नियुक्ति का मुद्दा भी प्रमुखता से उठने की उम्मीद है। सरकार और विपक्ष-दोनों के लिए यह महत्वपूर्ण मुद्दा है।

By Arun AsheshEdited By: Mohit TripathiUpdated: Sun, 05 Nov 2023 04:56 PM (IST)
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Bihar Politics: जातिगत गणना और शिक्षक बहाली पर हंगामे की भेंट चढ़ेगा शीतकालीन सत्र। (जागरण फोटो)

राज्य ब्यूरो, पटना। छह नवंबर से शुरू हो रहे बिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में जाति आधारित गणना और शिक्षक बहाली पर केंद्रित रहने वाला है। सरकार और विपक्ष दोनों के लिए यह महत्वपूर्ण मुद्दा है।

सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार इस अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि बता रहा है। वहीं, मुख्य विपक्षी दल भाजपा सरकार की इन दोनों उपलब्धियों में गड़बड़ी का आरोप लगा रही है।

बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घोषणा की थी कि जाति आधारित गणना के आर्थिक आंकड़ों काे सरकार सदन में रखेगी। अगर यह आंकड़ा सदन में पेश किया जाता है तो, जातियों की संख्या के आधार पर आरक्षण का दायरा बढ़ाने की भी मांग उठेगी।

जाति गणना और शिक्षक बहाली पर वार-पलटवार

विधानमंडल के सत्र के लिए प्रश्नकाल निर्धारित हैं। अबतक सरकार की ओर से तीन विधेयकों के पेश होने की सूचना विधानसभा को मिली है।

जाति आधारित गणना और शिक्षक बहाली को लेकर सदन के बाहर वार-पलटवार का दौर जारी है। पांच दिनों के शीतकालीन सत्र के दौरान बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में भी ऐसा ही वार-पलटवार देखने को मिल सकता है।

गड़बड़ी का आरोप लगा रहा विपक्ष

महागठबंधन सरकार जहां इन दोनों मुद्दों को अपनी बड़ी उपलब्धि बता रही है, विपक्ष दोनों में बड़ा घालमेल देख रहा है। जाति आधारित गणना को लेकर विपक्ष का आरोप है कि इसमें कुछ जातियों की संख्या घटा या बढ़ा दी गई है।

शिक्षक नियुक्ति प्रकरण में विपक्ष नौकरी पाए लोगों की संख्या पर प्रश्न उठा रहा है। नियुक्ति प्रक्रिया में धांधली का आरोप भी लगा रहा है। मुख्य विपक्षी दल ने अपराध में वृद्धि को भी मुद्दा बनाने का निर्णय लिया है।

प्रमुखता से उठेगा आरक्षण के मुद्दा

जाति आधारित गणना के आर्थिक आंकड़ों को लेकर राजनीतिक दलों के अलावा आम लोगों में भी दिलचस्पी है। पिछड़े और अति पिछड़े समाज की दिलचस्पी इसमें है कि सरकार जातियों की संख्या के आधार पर आरक्षण का दायरा बढ़ाने के बारे में क्या विचार रखती है।

क्या इसी सत्र में रखे जाएंगे जाति गणना के आर्थिक आंकड़े?

सत्ता प्रतिष्ठान से जुड़े सूत्र बता रहे हैं कि गणना के आर्थिक पक्ष को सदन में पेश करने के लिए जरूरी तैयारी चल रही है। हालांकि, दावे के साथ नहीं कहा जा सकता कि इन आंकड़ों को इसी सत्र में ही पेश किया जाएगा, क्योंकि आंकड़ों का विश्लेषण जटिल प्रक्रिया है। इसमें समय लग सकता है। वैसे पूरा प्रयास है कि शीतकालीन सत्र में ही आंकड़े रख दिए जाएं।

सत्र में सामान्य प्रशासन और वित्त वाणिज्यकर के अलावा कुछ अन्य विभागाें की ओर से तैयार विधेयकों को मंजूरी मिलेगी। ये विधेयक सात और आठ नवंबर को पेश किए जाएंगे। सत्र के पहले दिन द्वितीय अनुपूरक बजट पेश किया जाएगा, जिसपर नौ को विमर्श होगा।

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