Bihar: हाजीपुर में विरासत के वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे चाचा और भतीजा, दिन-प्रतिदिन तीखा होता जा रहा वाकयुद्ध
हाजीपुर लोकसभा सीट पर दावेदारी को लेकर चाचा पशुपति कुमार पारस और भतीजा चिराग पासवान के बीच अब ठन-सी गई है। जिसे जब मौका मिल रहा वह दूसरे को औकात बताने वाले अंदाज में चुनौती दे रहा है। तीखे होते जा रह वाक-युद्ध से स्पष्ट है कि दोनों ने हाजीपुर को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया है। कोई इस सीट को छोड़ने को तैयार नहीं है।
By Edited By: Mohit TripathiUpdated: Mon, 14 Aug 2023 01:22 AM (IST)
राज्य ब्यूरो, पटना: हाजीपुर लोकसभा सीट पर दावेदारी को लेकर चाचा पशुपति कुमार पारस और भतीजा चिराग पासवान के बीच अब ठन-सी गई है। जिसे जब मौका मिल रहा, वह दूसरे को औकात बताने वाले अंदाज में चुनौती दे रहा है।
तीखे होते जा रह वाक-युद्ध से स्पष्ट है कि दोनों ने हाजीपुर को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया है। कोई इस सीट को छोड़ने को तैयार नहीं है।पासवान परिवार के बीच छिड़े इस वाक-युद्ध की राजनीतिक गलियारे में खूब चर्चा हो रही है। इस अनुमान-आशंका के साथ कि इन दोनों को किसी एक ही स्रोत से बल मिल रहा या दो विपरीत ध्रुवों के दम पर दोनों जोर-आजमाइश के लिए आतुर हैं।
शनिवार को हाजीपुर में पारस की ललकार हो या उसके पहले जमुई में चिराग की हुंकार, दोनों के दावों में कुछ दम है, तो थोड़ा-बहुत दंभ भी।
कौन जीतेगी हाजीपुर की लड़ाई
पिछले माह दिल्ली में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की बैठक से पहले भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने पारस और चिराग को एक साथ लाने का पूरा उपक्रम किया। उसके बाद लोजपा के दोनों खेमों में शांति और संतुलन की आशा बंधी थी, लेकिन हाजीपुर का दर्द फिर-फिर उखड़ जा रहा है।वाक-युद्ध एक-दूसरे को औकात बताने-जताने की हद तक पहुंच रहा, जबकि राजग की बैठक के दौरान एक-दूसरे के गले लगे चाचा-भतीजा ने संभवत: यह संदेश देने का प्रयास किया था कि पासवान परिवार का अंतर्द्वंद्व समाप्त हो चुका है। हालांकि, अब वह तस्वीर बनावटी या दबाव वाली प्रतीत होने लगी है।
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