बिहार: नामी कॉलेज का छात्र बना अपराधी, डकैती के मामले में जमानत पर आया तो कर दी महिला की हत्या
शुभम भारती पहली बार 11 मार्च 2008 को गांधी मैदान थाना क्षेत्र में हुई डकैती की वारदात में जेल गया था। इस मामले में जमानत पर छूटने के बाद उसने दूसरी बार 29 नवंबर 2020 की आधी रात जक्कनपुर थाना क्षेत्र में चिरैयाटांड पुल के पास वारदात को अंजाम दिया।
जागरण संवाददाता, पटना : नामी कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई कर रहा गोलू कुमार उर्फ शुभम भारती कम समय में ज्यादा पैसे कमाने के लालच में गलत संगत में पड गया और अपराधी बन गया। वह दो बार जेल भी जा चुका है, लेकिन उसकी आदत में जरा भी सुधार नहीं हुआ। वह हर वक्त गुनाह करने के बारे में सोचता है।
शुभम भारती पहली बार 11 मार्च 2008 को गांधी मैदान थाना क्षेत्र में हुई डकैती की वारदात में जेल गया था। इस मामले में जमानत पर छूटने के बाद उसने दूसरी बार 29 नवंबर 2020 की आधी रात जक्कनपुर थाना क्षेत्र में चिरैयाटांड पुल के पास वारदात को अंजाम दिया। शुभम ने चार साथियों के साथ मिलकर ऑटो सवार एक महिला से लूटपाट की। विरोध करने पर गोली मारकर महिला की हत्या कर दी थी।
जब हत्याकांड में उसे जमानत मिली तो उसने रविवार की सुबह राजेंद्र नगर में हॉस्टल संचालिका वंदना सिन्हा से गहने लूट लिए, जिसके बाद शुभम को पुलिस ने फिर से गिरफ्तार किया है। उसके पिता दस्तावेज नवीस हैं। कम समय में अधिक रुपये कमाने के लालच में शुभम बुरी संगति में पड गया और अपराधी बन गया। इनके अलावा, गिरफ्तार तीसरे आरोपी शंभू कुमार उर्फ नेपाली छोटे-मोटे काम करता था। उसका भी आपराधिक इतिहास नहीं मिला।
जक्कनपुर लूट व हत्याकांड का ट्रायल चालू
जक्कनपुर में लूटपाट के दौरान ऑटो सवार महिला की लूटपाट के दौरान गोली मारकर हत्या करने के मामले का न्यायालय में ट्रायल चालू है। अभी गवाहों का बयान दर्ज किया जा रहा है। इस मामले के जांचकर्ता तत्कालीन थानेदार मुकेश कुमार वर्मा थे। उन्होंने लूट व हत्याकांड के पांच आरोपियों की गिरफ्तारी करने के बाद आरोप पत्र समर्पित किया था। वे भी इस कांड के गवाह हैं। हत्याकांड के बाद पुलिस ने तकनीकी जांच के तहत एफएसएल जांच भी कराई थी। सूत्र बताते हैं कि पुलिस को पोस्टमार्टम और एफएसएल रिपोर्ट भी मिल गई है।
जमानत की अर्जी देना अभियुक्त का अधिकार : अधिवक्ता
पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता सुरेश कुमार गुप्ता ने बताया कि किसी भी कांड का अभियुक्त जमानत लेने के लिए न्यायालय में अर्जी दे सकता है। यह उसका अधिकार है। यदि पुलिस या अभियोजन पक्ष यह दलील देने में संतुष्ट रहा कि अभियुक्त के जेल से छूटने के बाद गवाह और साक्ष्य प्रभावित हो सकते हैं तो ऐसी सूरत में ट्रायल जारी रहने तक उसे जमानत नहीं मिलती है। कई मामलों में न्यायालय ने इस तरह के फैसले भी सुनाए हैं।