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Bihar Rule Change: मेयर और डिप्टी मेयर के खिलाफ नहीं लाया जा सकेगा अविश्वास प्रस्ताव, पूरा करेंगे 5 साल का कार्यकाल

Bihar Municipal Amendment Bill 2024 बिहार विधानसभा में मंगलवार को नगरपालिका संशोधन विधेयक 2024 को ध्वनिमत से पारित हुआ। इस विधेयक के आने से राज्य की किसी भी नगरपालिका में महापौर व डिप्टी मेयर के खिलाफ अब अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा। वे अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे। इसके अलावा और भी कुछ अन्य संशोधन किए गए हैं।

By Sunil Raj Edited By: Prateek Jain Updated: Tue, 23 Jul 2024 11:14 PM (IST)
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विधानसभा में नगरपालिका संशोधन विधेयक 2024 को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य की किसी भी नगरपालिका में मेयर व डिप्टी मेयर के खिलाफ अब अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा। ये अपना पांच वर्षो का कार्यकाल पूरा करेंगे।

साथ ही राज्य सरकार के किसी नियम, निर्देश के खिलाफ भी नगरपालिकाओं की बैठक में प्रस्ताव पर विचार नहीं होगा। इस व्यवस्था को प्रभावी करने के लिए मंगलवार को विधानसभा में नगरपालिका संशोधन विधेयक 2024 को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।

नियम को किया गया विलोप‍ित

नगर विकास एवं आवास मंत्री नितिन नवीन ने सदन को बताया कि मेयर और डिप्टी मेयर का चयन चुनाव से होता है। बावजूद अविश्वास प्रस्ताव लाकर उन्हें हटा दिया जाता है। इस नियम को विलोपित किया गया है, ताकि मेयर, डिप्टी मेयर कार्यकाल पूरा कर सकें।

इसी प्रकार नगरपालिकाओं एवं उसकी समिति की बैठक से संबंधित स्पष्टता न होने की वजह से आयोजित होने वाली बैठकों में विवाद की स्थिति उत्पन्न होती है। संशोधन विधेयक 2024 में प्रविधान किए गए हैं कि नगरपालिका की किसी भी बैठक में सरकार के नियम, निर्देश के खिलाफ प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा। प्रस्ताव आते हैं तो उसे मुख्य नगरपालिका पदाधिकारी राज्य सरकार के विचार को भेजेंगे।

निर्णयों को एक सप्ताह के अंदर निर्गत करना होगा

सरकार का निर्णय ही अंतिम माना जाएगा। इसी प्रकार नगरपालिका की बैठक में जो निर्णय होते हैं उन्हें समय पर जारी नहीं किया जाता। जिससे अनुपालन में विलंब होता है विकासात्मक कार्य बाधित होते हैं।

नए प्रविधान के तहत बैठक में लिए जाने वाले निर्णयों को एक सप्ताह के अंदर निर्गत करना होगा। इसके अलावा अन्य संशोधन भी हुए हैं।

संपत्ति कर आपत्ति के विरूद्ध जिला जज के यहां अपील के प्रविधान में विलंब को देखते हुए प्रमंडलीय आयुक्त पर भी संपत्ति कर के मामलों का निपटारा हो सकेगा। यदि नगरपालिका को कोई नियम बनाने में समस्या आती है तो नई व्यवस्था में राज्य सरकार के स्तर पर भी नियम बनाया जा सकेगा।

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