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Bihar Teacher News: बच्चों के स्कूल से बाहर पाए जाने पर जाएगी इनलोगों की नौकरी, शिक्षा विभाग के आदेश से मचा हड़कंप

Bihar News बिहार में बच्चों को स्कूल से बाहर (आउट आफ स्कूल) पाए जाने पर उस क्षेत्र के शिक्षा सेवक की नौकरी जाएगी। उनके स्थान पर उसी समुदाय के योग्य व्यक्ति नियमानुसार नियुक्त किए जाएंगे। इस व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिए शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डा. एस. सिद्धार्थ ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश दिया है। शिक्षा विभाग के इस आदेश से हड़कंप मच गया है।

By Dina Nath Sahani Edited By: Sanjeev Kumar Updated: Sun, 07 Jul 2024 04:04 PM (IST)
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बिहार में शिक्षा विभाग में अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ (जागरण)

राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Teacher News: बिहार में बच्चों को स्कूल से बाहर (आउट आफ स्कूल) पाए जाने पर उस क्षेत्र के शिक्षा सेवक की नौकरी जाएगी। उनके स्थान पर उसी समुदाय के योग्य व्यक्ति नियमानुसार नियुक्त किए जाएंगे। इस व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिए शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डा. एस. सिद्धार्थ ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश दिया है।

निर्देश के मुताबिक प्रत्येक शिक्षा सेवक प्रतिदिन विद्यालय अवधि में अपने संबद्ध एक विद्यालय में अनिवार्य रूप से अपनी उपस्थिति बनाएंगे। पूरे दिन वे अपने से संबद्ध विद्यालयों का भ्रमण करेंगे एवं अपने दायित्वों का निवर्हन करेंगे। वर्तमान में राज्य में 26 हजार शिक्षा सेवक कार्यरत हैं। मानदेय में शिक्षा सेवक को प्रतिमाह 28 हजार रुपये दिए जाते हैं।

संबद्ध विद्यालय में हर दिन बनेगी शिक्षा सेवकों की उपस्थिति भी 

निर्देश के मुताबिक सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि प्रत्येक शिक्षा सेवक प्रतिदिन विद्यालय अवधि में अपने संबद्ध एक विद्यालय में अनिवार्य रूप से अपनी उपस्थिति बनाएंगे। जो शिक्षा सेवक उपस्थिति नहीं बनाएंगे उन्हें गैरहाजिर माना जाएगा और उन पर कार्रवाई करना सुनिश्चित करेंगे। निर्देश में कहा गया है कि शिक्षा सेवकों द्वारा अपने से संबंधित टोले के 15 से 45 आयुवर्ग की असाक्षर महादलित, दलित एवं अल्पसंख्यक अतिपिछड़ा वर्ग की महिलाओं को साक्षरता अभियान से जोड़ेंगे।

 बच्चों की 75 प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित करना अनिवार्य

निर्देश के मुताबिक विद्यालय अवधि के पूर्व शिक्षा सेवकों द्वारा संबद्ध टोले के छह से 14 आयुवर्ग के बच्चों की विद्यालीय शिक्षा में सहयोग हेतु उन्हें कोचिंग दिया जाना है। विद्यालय नहीं आने वाले बच्चों को चिन्हित कर उन्हें विद्यालय पहुंचाना है। बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों को चिन्हित कर उन्हें भी विद्यालय पहुंचाना है। शिक्षा सेवकों पर यह जिम्मेदारी भी है कि उनसे संबद्ध सभी विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति 75 प्रतिशत से कम नहीं हो।

संबद्ध विद्यालय में किसी भी शिक्षक की अनुपस्थिति अथवा अवकाश या किसी अन्य वजह से शिक्षकों की कमी होने पर शिक्षा सेवक को पहली एवं दूसरी कक्षा में पठन-पाठन कार्य करना है। संबद्ध विद्यालय में मध्याह्न भोजन योजना, मुख्यमंत्री शैक्षणिक परिभ्रमण योजना, खेलकूद, पर्यावरण संबंधी गतिविधि, गैरशैक्षणिक गतिविधि एवं बच्चों की चिकित्सा जांच में आवश्यक सहयोग करने की जिम्मेदारी भी शिक्षा सेवकों की है।

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