Bihar Teacher Salary: 35 हजार नियोजित शिक्षक सैलरी को लेकर परेशान, राज्यकर्मी का दर्जा मिलने के बाद बढ़ेगी दिक्कत
बिहार में 35 हजार नियोजित शिक्षक वेतन विसंगति के शिकार हैं। अगर राज्यकर्मी का दर्जा मिलने से पहले वेतन विसंगित का निराकरण नहीं हुआ तो यह मामला और ज्यादा उलझ जाएगा। शिक्षा विभाग ने वेतन विसंगति में सुधार के लिए पांच अधिकारियों की एक टीम गठित बनायी थी। शिक्षक संगठनों ने भी शिक्षा मंत्री से मुलाकात कर वेतन विसंगति को तत्काल दूर करने की मांग की थी।
दीनानाथ साहनी, पटना। राज्य के तकरीबन 35 हजार नियोजित शिक्षक वेतन विसंगति के शिकार हैं। इनमें प्रारंभिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक शामिल हैं। वेतन विसंगति को दूर करने के लिए दो साल पहले शिक्षा विभाग ने एक कमेटी बनायी थी, लेकिन उस कमेटी के सुझावों पर भी शिक्षा विभाग के स्तर से अमल नहीं हुआ।
चूंकि राज्य सरकार अब साढ़े तीन लाख नियोजित शिक्षकों को सक्षमता परीक्षा लेकर राज्यकर्मी का दर्जा देने जा रही है। ऐसे में नियोजित शिक्षकों के राज्यकर्मी बनने से पहले अगर विसंगतियों का निराकरण नहीं हुआ तो यह मामला और उलझ जाएगा। इससे वेतन विसंगति के प्रभावित नियोजित शिक्षकों में संशय की स्थिति बनी हुई है।
वेतन विसंगति की वजह
2021 में शिक्षा विभाग ने साढ़े तीन लाख नियोजित शिक्षकों के वेतन बढ़ोतरी के बाद उसके निर्धारण हेतु सॉफ्टवेयर का उपयोग किया था। तब पे कैलकुलेटर से वेतन निर्धारण में सभी 38 जिलों से विसंगति की 50 हजार से ज्यादा शिकायतें मिली थीं। फिर यह मामला बिहार विधान मंडल के शीतकालीन सत्र में भी उठा था।कई विधायकों और विधान पार्षदों ने पे कैलकुलेटर के आधार पर वेतन निर्धारण में विसंगतियों का मुद्दा जोर-शोर से विधानसभा और विधान परिषद में उठाया था। तब सरकार के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने वेतन विसंगति में सुधार के लिए पांच अधिकारियों की एक टीम गठित बनायी थी। शिक्षक संगठनों ने भी शिक्षा मंत्री से मुलाकात कर वेतन विसंगति को तत्काल दूर करने की मांग की थी।
गठित कमेटी में थे ये अधिकारी
प्राथमिक शिक्षा उपनिदेशक पंकज कुमार प्रभात को कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया था, जबकि माध्यमिक शिक्षा उप निदेशक अब्दुल सलाम अंसारी, जिला शिक्षा अधिकारी, पटना अमित कुमार सदस्य, सीवान के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी राजेंद्र सिंह और एक अन्य अधिकारी को सदस्य बनाया गया था। कमेटी के एक सदस्य के मुताबिक सरकार द्वारा नियोजित शिक्षकों के वेतन में 15 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई थी। 1 अप्रैल 2021 से नियोजित शिक्षकों के मूल वेतन में यह बढ़ोतरी का निर्णय लिया गया था। वेतन विसंगति में सुधार के लिए बड़े अफसरों को रिपोर्ट दी गई थी।मूल वेतन में अंतर
5200 के पे-स्केल में नियोजित शिक्षक का मूल वेतन और 5200 के स्केल में राज्यकर्मी का मूल वेतन स्केल में अंतर ही विसंगति है। 2000 ग्रेड वाले राज्यकर्मी का वेतन ढांचा 21700 से शुरू होता है जबकि नियोजित शिक्षकों को जो स्केल दिया गया है उसमें वेतन स्केल 21290 से शुरू होता है, जबकि कक्षा 1 से 5 तक बेसिक नियोजित शिक्षक का ग्रेड पे 2000 है और राज्यकर्मी के भी ग्रेड पे 2000 हैं। फिर वेतन अंतर देखे राज्यकर्मी का वेतन स्केल 21700 से शुरू होती हैं और कक्षा 1 से 5 के नियोजित शिक्षक का स्केल 21290 से शुरू होता है।
इससे ज्यादा विसंगति माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों के वेतन में है। शिक्षा विभाग के तत्कालीन उपसचिव अरशद फिरोज ने सभी क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशकों को प्राथमिकता के आधार पर शिक्षकों के वेतन विसंगति दूर करने का निर्देश दिया था, लेकिन विभागीय निर्देश पर अब तक अमल नहीं किया गया।ये भी पढ़ें- Nitish Kumar का चुनाव से ठीक पहले बड़ा फैसला, बिहार के 94 लाख गरीब परिवारों को मिलेंगे दो-दो लाख रुपये
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