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Bakri Palan Bihar: बिहार में बनेगा देश का सबसे बड़ा बकरा सीमेन बैंक, 10 हजार पशुपालकों की होगी बल्ले-बल्ले

मथुरा के बाद अब बिहार में भी बकरी पालन को बढ़ावा देने के लिए बकरा सीमेन बैंक बनाया जा रहा है। यह बैंक बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय बकरी प्रक्षेत्र परिसर आसीएआर के ठीक सामने 1.55 करोड़ की लागत से बन रहा है। इसमें ब्लैक बंगाल नस्ल के बकरों का सीमेन संरक्षित किया जाएगा जो रोग-प्रतिरोधक क्षमता अधिक होने के साथ-साथ बिहार झारखंड और बंगाल के जलवायु के अनुकूल भी है।

By Pintu Kumar Edited By: Rajat Mourya Updated: Mon, 02 Sep 2024 04:22 PM (IST)
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देश में मथुरा के बाद बिहार में होगा सबसे बड़ा बकरा सीमेन बैंक। (सांकेतिक तस्वीर)
पिंटू कुमार, पटना। देश में मथुरा के बाद बिहार में उन्नत बकरी पालन के विकास के लिए नेशनल लाइव स्टॉक मिशन के तहत बकरा सीमेन बैंक तैयार किया जा रहा है। राष्ट्रीय पशु धन मिशन के तहत 1.55 करोड़ की लागत बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय, बकरी प्रक्षेत्र परिसर, आसीएआर के ठीक सामने निर्माण किया जा रहा है।

बिहार, झारखंड और बंगाल का पहला सीमेन बैंक होगा। पूर्वी भारत के राज्यों के वातावरण के अनुसार विकसित और अधिक प्रजनन में सक्षम ब्लैक बंगाल नस्ल के बकरे का सीमेन संरक्षित किया जाएगा। इस बैंक की क्षमता पांच हजार स्ट्रा की होगी। दिसंबर तक सीमेन बैंक चालू करने का लक्ष्य रखा गया है।

ब्लैक बंगाल नस्ल की सीमेन ही क्यों

विशेषज्ञ बताते हैं कि ब्लैक बंगाल नस्ल में रोग-प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। यह नस्ल बिहार, झारखंड और बंगाल के जलवायु के अनुकूल है। इस नस्ल में प्रजनन क्षमता अधिक होती है। इस योजना के तहत ज्यादा से ज्यादा बच्चे जन्म ले सकेंगे। प्रजनन दर बढ़ने से मांस और दूध से मुनाफा हो सकेगा।

पांच हजार स्ट्रॉ रखने की होगी क्षमता

सीमेन बैंक में पांच हजार अतिरिक्त संरक्षण की क्षमता होगी। परियोजना के तहत दस हजारों किसानों की बकरियों की स्क्रिनिंग के तहत मुफ्त में सीमेन दिया जाएगा। सीमेन देने से पहले बकरी के स्वास्थ्य की जांच की जाएगी। ब्लैक बंगाल के अतिरिक्त अन्य नस्ल की बकरियों में सीमेन भी डाला जाएगा।

दो तरह से होगा सीमेन भंडार

बैंक में दो तरह से सीमेन को भंडारण किया जाएगा। पहला गोल्ड नैनो पार्टिकल आधारित सीमेन डाइलूटर और दूसरा क्वारसेटिन नामक एंटी आक्सिडेंट सीमेन डाइलूटर में डालकर शीतकरण किया जाएगा।

सीमेन को रखने की क्या होगी प्रक्रिया

बकरों में प्राकृतिक रूप से निकलने वाला सीमेन बहुत कम मात्रा में होता है। औसत मात्रा एक मिली से भी कम होता है। सीमेन बैंक में पहले बकरों से सीमेन प्राप्त कर उसमें संस्थान द्वारा तैयार उन्नत क्वालिटी का डाइलूटर मिश्रित किया जाएगा और इसके बाद उसे प्वाइंट 25 मिली लीटर के स्ट्रा में पैक करके ठंडा किया जाएगा।

चार घंटों तक ठंडा करने के बाद सीमेन फ्रीजर में आधुनिक तरीके से डालकर उसे शीतकरण किया जाएगा। एसे वीर्य का तापमान -140 डिग्री सेल्सियस तक हो जाता है। अंत में इसे नाइट्रोजन में डालकर -196 डिग्री सेल्सियस तापमान पर कम से कम 50 वर्षों तक सुरक्षित रखा जा सकता है।

सीमेन बैंक के माध्यम से बकरी पालकों को उन्नत नस्ल का सीमेन आसानी से उपलब्ध हेागा। दूसरे प्रदेश से सीमेन लाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। - डॉ. आलोक कुमार, परियोजना मुख्य अन्वेशषणकर्ता, सहायक प्राध्यापक, मादा पशुरोग विज्ञान विभाग, बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय

गोट सीमेन बैंक का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के बकरी पालकों की आर्थिक रूप से समृद्ध करना है। अच्छे नस्ल के सीमेन के उपयोग से किसानों को अच्छी नस्ल के बकरी और बकरा दोनों मिल सकेंगे। - डॉ. जे के प्रसाद, डीन, बिहार पशु चिकित्ससा महाविद्यालय

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