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विश्वविद्यालयों के लिए बड़ी खबर, विकास की राशि खर्च नहीं करने पर होगी बजट में कटौती

बिहार सरकार ने उन विश्वविद्यालयों के बजट में कटौती करने का फैसला किया है जिन्होंने विकास मद में आवंटित धनराशि का ठीक से उपयोग नहीं किया है। शिक्षा विभाग ने कुलसचिवों को आगाह किया है कि वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर विकास मद की राशि सरेंडर करने वाले विश्वविद्यालयों पर कार्रवाई होगी। साथ ही अगले वित्तीय वर्ष में उनके बजट में भी कटौती होगी।

By Dina Nath Sahani Edited By: Divya Agnihotri Updated: Wed, 06 Nov 2024 03:08 PM (IST)
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बिहार सरकार करेगी विश्वविद्यालयों के बजट में कटौती
जागरण संवाददाता, पटना/ भभुआ। राज्य के विश्वविद्यालयों में विकास मद में दी गई राशि को खर्च करने की गति धीमी है। इसीलिए सरकार द्वारा विभिन्न मदों में उपलब्ध कराए गए 3487 करोड़ रुपये के खर्च का ब्योरा देने में विश्वविद्यालय हिचक रहे हैं। शिक्षा विभाग ने कुलसचिवों को आगाह किया है कि वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर विकास मद की राशि सरेंडर करने वाले विश्वविद्यालयों पर कार्रवाई होगी।

साथ ही विकास मद की राशि खर्च नहीं करने वाले विश्वविद्यालयों के अगले वित्तीय वर्ष में उनके बजट में भी कटौती होगी। 15 विश्वविद्यालयों में आधारभूत संरचना के विकास के लिए उपलब्ध कराई गई राशि को खर्च करने का रिकार्ड ठीक नहीं है। यह राशि यूजीसी और बिहार सरकार से मिली है। शिक्षा विभाग मान रहा कि विश्वविद्यालयों में बेहतर वित्तीय प्रबंधन की कमी के कारण राशि खर्च नहीं हो रही।

शिक्षा विभाग ने पिछले वित्तीय वर्ष 2022-23 में 1250 करोड़ रुपये सरेंडर किए जाने पर कुलसचिवों को फटकार भी लगाई थी। इस वर्ष भी विकास मद में आवंटित राशि 4356 करोड़ रुपये खर्च में सुस्ती है। शिक्षा विभाग के मुताबिक वर्ष 2016-17 में विश्वविद्यालयों में विभिन्न योजनाओं में खर्च की रफ्तार ठीक थी तब विश्वविद्यालयों द्वारा सबसे कम 89 करोड़ रुपये राशि का सरेंडर किया था।

चालू वित्तीय वर्ष में पटना विश्वविद्यालय, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय और तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय को छोड़कर शेष विश्वविद्यालयों में विकास मद की राशि खर्च करने की गति धीमी है। इतना ही नहीं, विश्वविद्यालयों ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में आवंटित राशि 3812.20 करोड़ खर्च का भी हिसाब नहीं दिया है।

साल 2016-17 से 2023 तक कुल आवंटित बजट

साल  कुल बजट खर्च सरेंडर
2016-17  2031  2120   89  
2017-18  2998.73 2852.15 146.57
2018-19  4497.13 3495.63 1001.50
2019-20  3671.82 3172.41 499.41
2020-21  3061.39 2657.67- 403.72
2021-22  3606.01 2363.38 1242.63
2022-23  3689.12 2439.12 1250

भभुआ: शिक्षिकाओं से प्रमाण पत्र को लेकर मांगा स्पष्टीकरण

जिले में बिहार लोक सेवा आयोग के माध्यम से शिक्षक के पद पर नियुक्ति पाने वाली शिक्षिकाओं के ईडब्लूएस प्रमाण पत्र में कुछ कमी पाई गई है। इस आधार पर कुल दस शिक्षिकाओं से जिला शिक्षा पदाधिकारी ने स्पष्टीकरण मांगा है।

इस संबंध में जिला शिक्षा पदाधिकारी सुमन कुमार शर्मा ने बताया कि जिले के विद्यालयों में बिहार लोक सेवा आयोग के द्वारा शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। आवेदन के समय ईडब्लूएस का प्रमाण पत्र अपलोड किया गया था। जिसके आधार पर विद्यालयों में शिक्षक पद पर नियुक्ति की गई।

जिला शिक्षा पदाधिकारी ने कहा कि सामान्य प्रशासन के दिशा-निर्देश में स्पष्ट अंकित है कि अविवाहित महिला की स्थिति में ईडब्लूएस का प्रमाण पत्र पिता के नाम से बनेगा और विवाहित की स्थिति में पति के नाम के स्थाई निवास से बनेगा।

जांच में पाया गाया कि विवाहित होते हुए नियम के विरुद्ध ई डब्लूएस प्रमाण पत्र पिता के नाम से बनवाया गया है। जिसके आधार नियुक्ति प्राप्त की गई है।

जिला शिक्षा पदाधिकारी ने कहा कि दस शिक्षिकाओं से स्पष्टीकरण मांगा गया है। उन्होंने कहा कि संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर सेवा समाप्त करने के साथ वेतन की राशि वसूली करने की कार्रवाई होगी।

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