KK Pathak बिहार छोड़ दिल्ली चले, मगर रोक दी इतने लोगों की Salary; बैंक से भी नहीं निकाल पाएंगे
विश्वविद्यालयों के कुलपतियों कुल सचिवों एवं परीक्षा नियंत्रकों के वेतन पर रोक का आदेश जारी किया है। कुलपतियों और कुल सचिवों को कारण बताओ नोटिस भेज कर दो दिनों में जवाब भी मांगा गया है। जवाब असंतोषप्रद रहा है तो इन सबके विरूद्ध आइपीसी की विभिन्न धाराओं के विरूद्ध प्राथमिकी भी दर्ज होगी। शिक्षा सचिव ने अपने पत्र में विवि अधिनियम की धारा 30 का हवाला दिया है।
राज्य ब्यूरो, पटना। केके पाठक बिहार छोड़ दिल्ली जा रहे हैं। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के आवेदन को नीतीश सरकार ने मंजूर कर दिया है। हालांकि, केके पाठक ने बिहार छोड़ने से पहले ही बड़ा फैसला लिया। शिक्षा विभाग ने दो को छोड़ राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, कुल सचिवों एवं परीक्षा नियंत्रकों के वेतन पर रोक का आदेश जारी किया है। इन विश्वविद्यालयों के बैंक खातों का संचालन भी रोक दिया है। यह कार्रवाई बुधवार को शिक्षा विभाग की ओर से बुलाई गई बैठक में इनकी अनुपस्थिति के नाम पर हुई है।
कुलपतियों और कुल सचिवों को कारण बताओ नोटिस भेज कर दो दिनों में जवाब भी मांगा गया है। जवाब असंतोषप्रद रहा है तो इन सबके विरूद्ध आइपीसी की विभिन्न धाराओं के विरूद्ध प्राथमिकी भी दर्ज होगी। कारण बताओ नोटिस से कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुल सचिव सचिव और परीक्षा नियंत्रक एवं मगध विवि के परीक्षा नियंत्रक को अलग रखा गया था। ये बुधवार की बैठक में शामिल हुए थे।शिक्षा सचिव वैद्यनाथ यादव के आदेश से जारी पत्र में कहा गया है कि विश्वविद्यालयों के लंबित शैक्षणिक सत्रों को नियमित करने के मुद्दे पर विचार करने के लिए यह बैठक बुलाई गई थी। पिछले साल जुलाई की समीक्षा बैठक में बताया गया था कि बहुत विवि में सत्र तीन-चार साल तक देर से चल रहे हैं। कुछ विवि की हालत इतनी खराब है कि पहले से नियमित चल रहे भी पिछड़ रहे हैं। यह एक गंभीर विषय है।
अधिनियम का दिया हवाला
शिक्षा सचिव ने अपने पत्र में विवि अधिनियम की धारा 30 का हवाला दिया है। इसके अनुसार विवि के परीक्षाओं के ससमय संचालन की जवाबदेही राज्य सरकार की है। राज्य सरकार परीक्षा कैलेंडर तय करने के लिए सक्षम है। भारतीय दंड विधान की धारा 1860 के अनुसार परीक्षा संचालन में लगे कालेजों और विवि के कर्मी लोकसेवक माने जाते हैं। विवि अधिनियम की धारा-चार की कंडिका दो एवं धारा 30 में यह स्पष्ट है कि समय पर परीक्षा करना कुलपति, कुलसचिव एवं परीक्षा नियंत्रक के दायित्वों में शामिल है।
क्यों न वेतन बंद कर दें
पत्र में पद धारकों से प्रश्न किया गया है कि क्यों नहीं आपको आगे से कोई धन नहीं दिया जाए। बिहार कंडक्ट आफ एग्जामिनेशन एक्ट 1981 की कंडिका नौ में स्पष्ट है कि कोई भी व्यक्ति जिन पर परीक्षा का दायित्व है, अगर इससे इंकार करता है तो वह दंड का भागीदार होगा।प्राथमिकी की धमकी
सचिव के पत्र में भारदीय दंड विधान की धारा 174, 175, 176, 179, 186 एवं 187 के तहत प्राथमिकी दर्ज करने की भी धमकी दी गई है। पत्र 28 फरवरी की तिथि में जारी की गई है।जवाब के लिए दो दिनों का समय दिया गया है। इस अवधि में कुलपति, कुल सचिव एवं परीक्षा नियंत्रकों के वेतन बंद रहेंगे। विश्वविद्यालयों के बैंक खाते से निकासी भी नहीं हो पाएगी। यानी एक मार्च तक सभी पदधारकों को कारण बताओ नोटिस का जवाब देना है।
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