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'ये कौन अधिकारी है, जो खुद को...'; KK Pathak की मनमानी पर विधान परिषद में हंगामा, BJP ने ही नीतीश सरकार को घेरा

भाजपा के नवल किशोर यादव ने कहा कि ये कौन अधिकारी है जो खुद को सीएम से भी ऊपर समझता है। राज्य से बड़ा सरकार से बड़ा सदन से बड़ा कोई व्यक्ति नहीं हो सकता। यह हिटलरशाही है। ऐसे अधिकारी पर विशेषाधिकार हनन का मामला चलना चाहिए। सभापति ने भी इस मुद्दे पर चिंता जाहिर की और सरकार से स्थिति स्पष्ट करने की अपील की।

By Rajat Kumar Edited By: Rajat Mourya Updated: Thu, 29 Feb 2024 07:22 PM (IST)
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KK Pathak की मनमानी पर विधान परिषद में हंगामा, BJP ने ही नीतीश सरकार को घेरा
राज्य ब्यूरो, पटना। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक की मनमानी को लेकर विधान परिषद में गुरुवार को सदस्यों ने एकजुट होकर अपना विरोध जताया। शून्यकाल में जदयू-भाजपा सदस्यों के साथ कांग्रेस और वामदल के सदस्यों ने अपनी सीट से खड़े होकर सरकार से अफसर पर कार्रवाई करने की मांग की।

शिक्षा विभाग के रवैये को सरकार और सदन की अवमानना बताते हुए केके पाठक को सदन में बुलाने की मांग की गई। सदस्यों को शांत कराने के लिए सभापति को अपने आसन से खड़ा होना पड़ा। उन्होंने पूरी स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि वह सदन की भावना से अवगत हैं। सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। जो बातें हो रही हैं, वह चिंताजनक हैं।

'आखिर स्कूलों की टाइमिंग क्या है'

इसके पूर्व जदयू के संजीव कुमार सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री के सदन में बयान देने के बावजूद स्कूलों का समय नहीं बदला है। अब कुलपतियों का वेतन रोक दिया गया है। सरकार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताना चाहिए कि आखिर स्कूलों की टाइमिंग क्या है।

'ये कौन अधिकारी है, जो खुद को...'

भाजपा के नवल किशोर यादव ने कहा कि ये कौन अधिकारी है, जो खुद को सीएम से भी ऊपर समझता है। राज्य से बड़ा, सरकार से बड़ा, सदन से बड़ा कोई व्यक्ति नहीं हो सकता। यह हिटलरशाही है। ऐसे अधिकारी पर विशेषाधिकार हनन का मामला चलना चाहिए।

प्रो. राजेंद्र प्रसाद गुप्ता ने कहा कि विश्वविद्यालयों के कुलपति राजभवन के आदेश से शिक्षा विभाग की बैठक में शामिल नहीं हुए। अब केके पाठक का आदेश आया है कि कुलपतियों का वेतन रोक दिया जाए। यह अराजकता है।

इसके अलावा कई अन्य सदस्यों ने भी इस मुद्दे पर अपना विरोध जताया। शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने जवाब दिया कि सरकार को जो सदन में बोलती है, लागू वही होता है। सीनेट की बैठक विभाग की ओर स्थगित कर दी गई है, इसलिए कार्रवाई नहीं हो सकती। कुलपतियों पर की की कार्रवाई संज्ञान में नहीं है।

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