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Foundation Day Special: बापू ने की थी पटना में बिहार विद्यापीठ की स्थापना, डॉ. राजेंद्र प्रसाद बने थे पहले प्राचार्य

Bihar Vidyapeeth Foundation Day Special बिहार की राजधानी पटना में गंगा के किनारे स्थित बिहार विद्यापीठ की स्‍थापना महात्‍मा गांधी के प्रयासों से हुई थी। इस शैक्षिक संस्‍थान का काफी समृद्ध और गौरवशाली अतीत है। देश के पहले राष्‍ट्रपति इस संस्‍थान के पहले प्राचार्य बनाए गए थे।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Updated: Sat, 06 Feb 2021 08:47 AM (IST)
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पटना में स्थित बिहार विद्यापीठ का पुराना भवन। जागरण

पटना [प्रभात रंजन]। Bihar Vidyapeeth Establishment Day Special Story: महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के सपनों की 'बिहार विद्यापीठ' अपने अंदर कई कहानियां समेटे आज भी खड़ी है। पटना के सदाकत आश्रम (Sadakat Aashram) में इसकी स्थापना आज से 100 वर्ष पूर्व छह फरवरी 1921 को महात्मा गांधी ने की थी। विद्यापीठ की स्थापना का मुख्य उद्देश्य राज्य में भारतीय संस्कृति (Indian Culture) को जीवित रखना व छात्रों को हुनरमंद बनाना था। सौ साल गुजरने के बाद भी विद्यापीठ ने इतिहास के पन्नों में अपने सुनहरे अतीत को जीवित रखा है। विद्यापीठ से न केवल महात्मा गांधी का बल्कि देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद (Dr. Rajendra Prasad), स्वतंत्रता सेनानी ब्रजकिशोर प्रसाद, मौलाना मजहरूल हक, जय प्रकाश नारायण (Jay Prakash Narayan) समेत कई लोगों का गहरा संबंध रहा है।

  • छह फरवरी 1921 को हुई थी बिहार विद्यापीठ की स्थापना
  • डॉ. राजेंद्र प्रसाद के पुत्र ने भी यहां शिक्षा ग्रहण की थी
  • मौलाना मजहरूल हक थे विद्यापीठ के पहले कुलपति
  • 1957-1965 तक विद्यापीठ में खादी व चरखा चलाने की होती थी क्लास
  • स्थापना का उद्देश्य भारतीय संस्कृति को जीवित रखना व छात्रों को हुनरमंद बनाना था

चंपारण सत्याग्रह के पूर्व रखी गई थी नींव

बिहार विद्यापीठ के अध्यक्ष डॉ. विजय प्रकाश के अनुसार इसकी स्थापना चंपारण सत्याग्रह के पूर्व हुई थी। स्वतंत्रता आंदोलन में इसकी अहम भूमिका रही। गांधीजी विद्यापीठ की स्थापना के लिए झरिया के गुजराती व्यवसायी से 60 हजार रुपये चंदा लेकर पटना आए थे। यहीं से बुनियादी विद्यालय की शुरुआत की गई थी। महात्मा गांधी ने मौलाना मजहरूल हक को बिहार विद्यापीठ का पहला कुलपति, ब्रजकिशोर प्रसाद को उपकुलपति और डॉ. राजेंद्र प्रसाद को प्राचार्य बनाया था।

विद्यापीठ से पढ़कर निकले कई छात्र

एक समय बिहार विद्यापीठ के अंतर्गत 50 राष्ट्रीय हाई स्कूल, 20-25 हजार विद्यार्थी, 200-250 प्राथमिक पाठशालाएं कार्यरत थीं। विद्यापीठ से लोकनायक जयप्रकाश नारायण, डॉ. राजेंद्र प्रसाद के पुत्र मृत्युंजय प्रसाद स्नातक हुए थे। असहयोग आंदोलन में विद्यापीठ के पांच सौ छात्रों ने भाग लिया था।

खादी और चरखे का होता था निर्माण

बिहार विद्यापीठ छात्रों को शिक्षा देने के साथ ही स्वरोजगार से आत्मनिर्भर बनाने का प्रशिक्षण भी देता था। यहां चरखा चलाने के साथ खादी के कपड़ों का भी निर्माण होता था। यह स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा हुआ करता था। वर्ष 1957 से 1965 तक विद्यापीठ में खादी विद्यालय खादी ग्रामोद्योग संघ के अंतर्गत चलता था। परिसर में वह चबूतरा आज भी है जहां बापू विद्यापीठ से शिक्षा ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों को डिग्री बांटकर स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी भूमिका निभाने की बात पर जोर देते थे। विद्यापीठ के अध्यक्ष की मानें तो यंहा से देश को दो भारत रत्न मिले। डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद और लोकनायक जय प्रकाश। इसकी गरिमा बनाए रखने में सभी का योगदान रहा है।