Bihar: एसआईआर से बदल गया पति-पत्नी और सास-बहू का बूथ, आवेदन लेने से BLO काट रहे कन्नी
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए तैयार की गई मतदाता सूची में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। एक ही परिवार के सदस्यों को अलग-अलग मतदान केंद्रों पर बांट दिया गया है जिससे लोगों में भारी नाराजगी है। निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर सुधार का विकल्प उपलब्ध नहीं है और बीएलओ भी मदद करने से इनकार कर रहे हैं।
रमण शुक्ला, पटना। विधानसभा चुनाव को लेकर निर्वाचन आयोग द्वारा कराए गए मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) ने बड़ी संख्या में परिवार के सदस्यों को अलग-अलग बूथ पर बांट दिया है।
प्रारूप सूची में बूथ बदलने की सूचना से मतदाता परेशान हैं। स्थिति यह है कि एक परिवार में अगर चार सदस्य (पति-पत्नी एवं दो पुत्र) हैं तो चारों को तीन-चार बूथ आवंटित कर दिया गया है। वह भी तीन से चार किमी की दूरी पर बूथ पर है।
तेजस्वी भी हैं परेशान
अगर किसी परिवार में सिर्फ पति-पत्नी हैं तो उन्हें भी दो बूथ पर बांट दिया गया है। वह भी चार से पांच किमी की दूरी पर। ऐसी ही विसंगति से दो-चार बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव हैं।
तेजस्वी एवं उनकी पत्नी राजश्री का नाम भी अगल-अलग बूथ पर है। अब स्थिति यह है कि आयोग की वेबसाइट पर ऐसी विसंगतियों में सुधार के लिए मतदाता को पास विकल्प नहीं मिल रहा है।
वहीं, बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) भौतिक रूप से एक बूथ आवंटित करने संबंधित आवेदन लेने से कन्नी काट रहे हैं। ऐसे में लोगों की नाराजगी व्यवस्था के विरुद्ध बढ़ रही है। कोई समाधान नहीं मिलने से परेशान लोग मतदान नहीं करने का आक्रोश प्रकट कर रहे हैं।
गिर जाएगा मतदान का प्रतिशत
अगर यही स्थिति बरकरार रही अबकी बार मतदान प्रतिशत में और ज्यादा गिरावट देखने मिल सकती है। हालांकि, आयोग के अधिकारियों को कहना है कि अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन से पूर्व ऐसी सभी विसंगतियों एवं त्रुटियों को दूर कर लिया जाएगा।
चुनाव आयोग का प्रयास हर हाल में दो किमी के अंदर मतदान केंद्र की सुविधा लोगों को प्राथमिकता के साथ हर हाल में उपलब्ध करा दिया जाए। इसके लिए सतत प्रयास जारी है। 30 सितंबर तक ऐसी त्रुटियों में सुधार सुनिश्चित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
बीएलओ के पास विकल्प नहीं
रोचक तथ्य है कि एक ही परिवार में रहते हुए सास का बूथ कोई और है तो बहू का किसी और बूथ पर आवंटित किया गया। इसी तरह की विसंगति मकान संख्या को लेकर है। एक ही मकान में रहने वाले परिवार के कई सदस्यों का मकान संख्या अलग-अलग दर्ज किया गया है।
यह कैसे हुआ और कब हुआ इसको लेकर कोई भी आधिकारिक जानकारी देने को तैयार नहीं है। इधर, राज्य के 90 हजार बूथों पर तैनात बीएलओ भी इसको लेकर हैरान हैं। उनको भी यह पता नहीं कि गृह संख्या का आधार क्या है। प्रारूप सूची के बाद दावा-आपत्ति की प्रक्रिया अब अंतिम चरण हैं।
इस दावा-आपत्ति के आवेदन पत्र में नाम, पता, लिंग, स्थान जैसे त्रुटियों को दूर करने के लिए विकल्प दिया गया है। पर इस दावा-आपत्ति फार्म में मकान संख्या एवं बूथ संख्या में संशोधन करने का कोई विकल्प नहीं है।
एसआईआर प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि यह पूरी तरह से काल्पनिक है। संभव है कि किसी के मकान संख्या के आगे एक शून्य तो किसी के मकान संख्या के आगे 000 या अधिक शून्य हो सकता है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।