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Bihar Weather Today: बिहार में बदलने लगा मौसम, हवाओं ने बदली दिशा; ठंड को लेकर पढ़ें IMD का नया अपडेट

बिहार में अब मौसम बदलने लगा गई। मौसम विभाग का कहना है कि प्रदेश में ठंड अब धीरे धीरे बढ़ेगी। वहीं आज राजधानी समेत प्रदेश के अधिकांश भागों में अगले तीन दिनों तक मौसम शुष्क बना रहेगा। दक्षिण पश्चिम मानसून की वापसी के बाद पछुआ का प्रवाह बढ़ेगा। अगले एक सप्ताह के दौरान रात के तापमान में क्रमिक गिरावट से सिरहन बढ़ेगी।

By Niraj Kumar Edited By: Mukul Kumar Updated: Mon, 14 Oct 2024 07:35 AM (IST)
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प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर

जागरण संवाददाता, पटना। दक्षिण-पश्चिम मानसून प्रदेश से लौट चुका है। इसके साथ ही हवाओं ने दिशा बदलना शुरू कर दिया है। अब तक राज्य में दक्षिण-पश्चिमी हवाओं का प्रभाव ज्यादा देखा जाता था, लेकिन मौसम के करवट बदलने के कारण अब उत्तर-पश्चिमी हवाओं ने सिसकना शुरू कर दिया है।

हवाओं की दिशा में बदलाव होने के कारण मौसम में भी बदलाव देखा जा रहा है। आजकल दिन ढलते ही शाम को गुलाबी ठंड का अहसास होने लग रहा है। वहीं, दोपहर में उमस से लोगों को परेशानी हो रही है।

पटना मौसम विज्ञान केंद्र के विज्ञानी संजय कुमार का कहना है कि बिहार के मौसम में तेजी से बदलाव हो रहा है। यह क्रम आगे भी जारी रहेगा। अब धीरे-धीरे रात में आर्द्रता बढ़ती चली जाएगी।

रात के तापमान में दिखेगा आठ से दस डिग्री सेल्सियस का अंतर

अगले कुछ दिनों में राज्य के दिन एवं रात के तापमान में आठ से दस डिग्री सेल्सियस का अंतर देखा जा सकता है। रविवार को डिहरी राज्य का सर्वाधिक ठंडा दिन रहा है। वहां पर न्यूनतम तापमान 21 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। वहीं, बांका एवं नवादा में सर्वाधिक तापमान 34.6 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया।

अगले दिन से चार दिनों तक मौसम इसी तरह बना रहेगा। उसके बाद ही मौसम में बदलाव होगा। फिलहाल राज्य का अधिकतम तापमान औसतन 32 से 34 डिग्री सेल्सियस रहने की उम्मीद है।

वहीं न्यूनतम तापमान 24 से 26 डिग्री सेल्सियस रहेगा। वहीं रविवार को पटना में अधिकतम तापमान 31.4 एवं न्यूनतम तापमान 25.1 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। अब राजधानी के तापमान में भी धीरे-धीरे गिरावट आएगा।

मौसम में बदलाव से धान की फसल में कंडुआ रोग का प्रकोप बढ़ा

मौसम में लगातार बदलाव और वातावरण में नमी तथा बादल छाए रहने के कारण धान की फसल में कंडुआ रोग फैल रहा है। इसे आम बोलचाल की भाषा में लेढ़ा रोग या हल्दी रोग से भी किसान जानते हैं।

हाल के दिनों में इस रोग का प्रकोप धान की फसल पर काफी तेजी से बढ़ रहा है। जिससे किसान काफी परेशान हैं।

कैसे फैलता है ये रोग

जमुहार स्थित गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय के नारायण कृषि विज्ञान संस्थान के शस्य विज्ञान विभाग में सहायक प्राध्यापक सह-प्रभारी फसल प्रक्षेत्र डॉ. धनंजय तिवारी के अनुसार यह रोग एक फफूंद जनित बीमारी है, जो संक्रमित बीज, मिट्टी तथा वायु के माध्यम से भी फैलता है।

इसका प्रकोप इस समय बढ़ गया है। क्योंकि धान में बालियां निकल रही हैं और इस रोग का प्रकोप पौधे के इस अवस्था में अधिक होता है। प्रभावित पौधे के दाने एक बडे़ गांठ में परिवर्तित हो जाते हैं।

साथ ही उसमें पीले रंग का पाउडर दिखाई देने लगता है। इसे छूने पर वह हाथ पर लग जाता है। उन्होंने बताया कि इस रोग की वजह से उत्पादन के साथ साथ आगे अंकुरण में भी समस्या आती है।

कैसे करें बचाव

  • रोग से बचने के लिए नियमित खेत की निगरानी करते रहना चाहिए।
  • रोग का प्रकोप अगर पौधों की एक दो बालियों पर दिखाई दे रहा है, तो प्रभावित पौधों की बालियों को सावधानी पूर्वक काट कर खेत से बाहर निकालकर फेंक दें या उसे जला दें।
  • अगर किसी भी खेत में इसका लक्षण दिखता है, तो किसानों को सचेत हो जाना चाहिए।
  • यह हवा के माध्यम से भी बहुत तेज फैलता है।
  • अगर शुरुआती दौर में रोग लग जाए, तो काफी हद तक इस पर नियंत्रण किया जा सकता है।
  • रोग के नियंत्रण के लिए कुछ फफूंदनाशी रसायन जैसे प्रोपेकोनोजोल एक मिली लीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर किसान मौसम साफ रहने पर छिड़काव करें।

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