B.ED College: मानकों पर खरे नहीं उतरे बिहार के बीएड कॉलेज, जांच के निर्देश; क्या रह गई कमी?
बिहार के निजी बीएड कॉलेज चार वर्षीय बीएड पाठ्यक्रम चलाने के लिए मानकों पर खरे नहीं उतर रहे हैं। एनसीटीई ने जो मानक तय किए हैं उन पर राज्य के तमाम बीएड संस्थान पीछे हैं। इस कारण से किसी भी कॉलेज ने चार वर्षीय बीएड पाठ्यक्रम चलाने के लिए आवेदन नहीं किया है। एनसीटीई ने अब सभी बीएड कॉलेजों के संसाधनों की जांच करने का निर्देश दिया है।
दीनानाथ साहनी, पटना। अगले शैक्षणिक सत्र 2025-29 से चार वर्षीय बीएड पाठ्यक्रम शुरू हो जाएगा। लेकिन, बिहार के सभी 337 निजी बीएड कालेज (स्ववित्त पोषित संस्थान समेत) इस पाठ्यक्रम को चलाने के लिए खरे नहीं उतरे हैं। इन संस्थानों के पास संसाधन नहीं है।
इन संस्थानों में विद्यार्थियों के लिए 37,450 सीटें हैं। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने जो मानक को लागू किया है, उस पर राज्य के तमाम बीएड संस्थान पीछे हैं।
इस साल 27 अप्रैल को ही एनसीटीई ने नये बीएड पाठ्यक्रम को चलाने के लिए संस्थानों से आवेदन मांगे थे, लेकिन संसाधन नहीं होने के कारण किसी भी कालेज ने नहीं आवेदन किया। इसे गंभीरता से लेते हुए एनसीटीई ने सभी बीएड कालेजों के संसाधनों की जांच करने का निर्देश दिया है।
एनसीटीई की टीम जांच में यह देखेगी कि चार वर्षीय बीएड पाठ्यक्रम चलाने के लिए जो मानक लागू किए जा रहे हैं उसकी कसौटी पर प्रद्देश के बीएड संस्थान कितने खरे उतरते हैं?
राजभवन सचिवालय के एक अधिकारी ने बताया कि राज्यपाल एवं कुलाधिपति राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कुलपतियों की बैठक में भी एनसीटीई के मानकों को बीएड पाठ्यक्रम में शत-प्रतिशत लागू करने का निर्देश कुलपतियों को दिया है।
दरअसल, एनसीटीई ने नये पाठ्यक्रम को चलाने के लिए बीएड संस्थानों की मान्यता सूची भी जारी की है, उसमें कालेजों को नैक में ए-प्लस रैंकिंग, एनआइआरएफ रैंकिंग और कालेज में सेंटर फार एक्सीलेंस होना अनिवार्य किया है।
रोचक यह कि मानक की कसौटी पर प्रद्देश के एक भी कालेज सही नहीं उतरते हैं। ऐसे में बिना मानक के नये पाठ्यक्रम को चलाना संस्थानों के लिए मुश्किल है। नये सत्र से उन संस्थानों की मान्यता रद्द होगी।
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