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Bihar News: केंद्रीय अनुदान के लिए कॉलेजों का नैक मूल्यांकन अनिवार्य, फिसड्डी महाविद्यालयों के लिए ये है विभाग का प्लान

बिहार के विश्वविद्यालयों और अंगीभूत महाविद्यालयों को केंद्रीय अनुदान प्राप्त करने के लिए नैक से मूल्यांकन कराना अनिवार्य है। शिक्षा विभाग अब नैक मूल्यांकन में पिछड़ रहे शिक्षण संस्थानों का इलाज करेगा। विभाग की टीम विभिन्न शैक्षणिक और विकास कार्यों के आधार पर कॉलेजों के प्रदर्शन का अध्ययन करेगी। सभी विश्वविद्यालयों के साथ-साथ अंगीभूत महाविद्यालयों की कमियों को दुरुस्त करने हेतु शिक्षा विभाग द्वारा जल्द से गाइडलाइन जारी किया जाएगा।

By Dina Nath Sahani Edited By: Mohit Tripathi Updated: Sun, 27 Oct 2024 06:48 PM (IST)
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शिक्षा विभाग अब नैक मूल्यांकन में पिछड़ रहे कालेजों का करेगा इलाज। (सांकेतिक फोटो)
राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार के विश्वविद्यालयों और अंगीभूत महाविद्यालयों को केंद्रीय अनुदान पाने के लिए राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) से मूल्यांकन कराना अनिवार्य है।

केंद्रीय अनुदान में राज्य के शिक्षण संस्थानों की भागीदारी बढ़े, इसके मद्देनजर शिक्षा विभाग अब नैक मूल्यांकन में पिछड़ रहे शिक्षण संस्थानों का इलाज करेगा।

विभाग की टीम विभिन्न शैक्षणिक और विकास कार्यों के आधार पर कॉलेजों के प्रदर्शन का अध्ययन करेगी। सभी विश्वविद्यालयों के साथ-साथ अंगीभूत महाविद्यालयों की कमियों को दुरुस्त करने हेतु शिक्षा विभाग द्वारा जल्द गाइडलाइन जारी किया जाएगा।

शिक्षा विभाग ने चालू शैक्षणिक वर्ष में उच्च शिक्षण संस्थानों का अकादमिक अंकेक्षण भी कराने का फैसला किया है। विभाग द्वारा संबंधित संस्थानों से सेल्फ स्टडी रिपोर्ट भी मांगी जाएगी।

सेल्फ स्टडी रिपोर्ट के आधार पर आकलन किया जाएगा कि सरकार से पर्याप्त वित्तीय मदद के बावजूद उच्च शिक्षण संस्थान नैक मूल्यांकन में क्यों पिछड़ रहे हैं। जिन बिंदुओं पर ऐसे संस्थान पिछड़ जाते हैं उसे दुरुस्त करने के लिए क्या-क्या कदम उठाने होंगे।

शिक्षण संस्थानों में कर्मियों को दूर करने के लिए जल्द ही विश्वविद्यालय स्तर पर कमेटी बनेगी, जो अंगीभूत महाविद्यालयों में जाकर नैक मूल्यांकन की तैयारियों को लेकर प्राचार्यों को सुझाव देगी।

राज्य में उच्च शिक्षण संस्थानों में अकादमिक अंकेक्षण हेतु विशेषज्ञों की टीम जाएगी। टीम अंगीभूत महाविद्यालयों के प्रदर्शन का व्यापक आकलन करेगी। इनके पाठ्यक्रमों और शिक्षकों के साथ ही इनमें हो रहे शोध के स्तर आदि विभिन्न पैमानों पर भी इनका आकलन करेगी।

उच्च शिक्षा निदेशालय का मानना है कि कुछ उच्च शिक्षण संस्थानों में पहले से चले आ रहे पाठ्यक्रम तो अच्छे चल रहे हैं, मगर इनमें बदलती जरूरतों पर ध्यान में रखते हुए नए पाठ्यक्रमों की जरूरत और मौजूदा पाठ्यक्रमों की समीक्षा किया जाएगा।

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