Nitish Kumar: नीतीश कुमार को झटका या बारगेनिंग? BJP ने बड़े आराम से कर दिया 'खेला', ताकती रह गई JDU
नीतीश कुमार को बिहार विधान परिषद में बड़ा राजनीतिक घाटा हुआ है। देवेश चंद्र ठाकुर के सांसद बन जाने के बाद विधान परिषद के सभापति का पद खाली हो गया था। अब यह पद बीजेपी ने अपने कब्जे में ले लिया है। बीडेपी के अवधेश नारायण सिंह फिर से सभापति बनाए जाएंगे। वहीं सेकेंड-इन-कमांड यानी उप सभापति का पद जदयू को मिला है।
राज्य ब्यूरो, पटना। भाजपा के अवधेश नारायण सिंह फिर बिहार विधान परिषद के सभापति होंगे। यह उनका तीसरा कार्यकाल होगा। सभापति देवेश चंद्र ठाकुर के सांसद चुने जाने के कारण यह पद रिक्त है। ठाकुर ने 14 जून को सभापति पद से त्याग पत्र दिया था।
परिषद के उप सभापति का पद जदयू के प्रो. रामवचन राय को दिया जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री एवं जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने एनडीए के सहयोगी दलों से विचार विमर्श के बाद इन दोनों नामों पर अपनी सहमति दे दी है। प्रो. राय पहली बार विधान परिषद के उप सभापति होंगे।
2012 में भी नियुक्त हुए थे अवधेश नारायण सिंह
अवधेश नारायण सिंह इससे पहले 2012 में विधान परिषद के सभापति निर्वाचित हुए थे। उनका पहला कार्यकाल 2017 में समाप्त हुआ था। दूसरा कार्यकाल 25 अगस्त 2022 तक चला। उसके बाद जदयू के देवेशचंद्र ठाकुर सभापति बने। सिंह के परिषद के सभापति बनने के बाद विधान मंडल के दोनों सदनों का प्रधान पद भाजपा के पास चला जाएगा।बिहार विधानसभा के अध्यक्ष नंद किशोर यादव भाजपा कोटे के हैं। इससे पहले, 2005 से 2020 तक विधानसभा का अध्यक्ष पद जदयू के पास रहा। 2020 में भाजपा के साथ साझा सरकार बनने पर विस का अध्यक्ष पद भाजपा के पास चला गया, लेकिन 2022 में परिषद के सभापति का पद जदयू के पास चला आया था।
अब फिर यह भाजपा के पास जा रहा है। वैसे, अवधेश नारायण सिंह के सभापति बनने में सिर्फ उनका भाजपा से होना महत्वपूर्ण नहीं है। इससे अधिक महत्वपूर्ण यह है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ उनके निजी संबंध बहुत अच्छे हैं।
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