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Lok Sabha Election 2024 : बिहार में भाजपा ने भी तय कर लीं सीटें, चाचा-भतीजा; मांझी और कुशवाहा को बस इतने पर करना होगा संतोष

Lok Sabha Election 2024 बिहार की सियासत लोकसभा चुनाव के नजदीक आने के साथ करवट बदलने लगी है। इसी क्रम में जदयू और राजद के बाद भाजपा ने भी अपनी सीटें तय कर ली हैं। पार्टी अपने सहयोगी दलों को भी सीटें देगी। हालांकि इसमें कई समीकरणों को ध्यान में रखेगी। पिछले चुनावों के परिणामों पुराने और नए सहयोगियों के गणित के साथ भी सामंजस्य बैठाया जाएगा।

By Jagran News Edited By: Yogesh Sahu Updated: Thu, 28 Dec 2023 09:11 PM (IST)
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Lok Sabha Election 2024 : बिहार में भाजपा ने भी तय कर लीं सीटें
नीलू रंजन, नई दिल्ली/पटना। लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ-साथ विभिन्न राज्यों में भाजपा और सहयोगी दलों के बीच सीटों के बंटवारे की तस्वीर साफ होने लगी है। इस क्रम में भाजपा बिहार में नेतृत्व की भूमिका निभाते हुए 30 से अधिक सीटों पर लड़ने की तैयारी में है।

जाहिर है लोजपा के दोनों खेमों के साथ ही उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी के लिए 10 से भी कम सीटों पर ही संतोष करना होगा। दरअसल 2014 और 2019 दोनों लोकसभा चुनावों में भाजपा को पूर्ण बहुमत दिलाने में बिहार की अहम भूमिका रही थी।

नीतीश जब भाजपा से अलग हुए

2014 में नीतीश कुमार के साथ अलग होने के बाद भाजपा ने 40 सीटों में से 30 पर उम्मीदवार खड़े किये थे और 22 सीटें जीतने में सफल रही थी। वहीं, उसकी सहयोगी राम विलास पासवान की लोजपा को सात में छह सीटों और उपेन्द्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी तीन की तीन सीटों पर जीत हासिल हुई थी।

इस तरह राजग के खाते में 40 में से 31 सीटें आई थी। वहीं 2019 में नीतीश कुमार की जदयू के साथ समझौता होने के बाद भाजपा ने अपनी पांच जीती हुई सीटें छोड़ दी थी और केवल 17 सीटों उम्मीदवार उतारे थे। जिनमें सभी 17 सीटें जीतने में सफल भी रही।

पिछली बार से तुलना

वहीं, जदयू 17 में से 16 और लोजपा छह की छह सीटों पर जीती थी। इस तरह से भाजपा सहयोगियों के साथ 40 में से 39 सीटों पर जीती थी। भाजपा 2024 में भी कमोवेश 2014 के फार्मूले पर ही सीटों के बंटवारे का मन बना चुकी है, लेकिन इस बार सहयोगियों के लिए पिछली बार की तुलना में कम सीटें छोड़ सकती है।

2019 में राजग से बाहर होकर राजद के साथ चुनाव लड़ने वाले उपेंद्र कुशवाहा को इस बार एक सीट पर ही संतोष करना पड़ सकता है। 2014 में सात सीट लड़ने वाली लोजपा को 2019 में छह सीटें मिली थी, लेकिन इस बार उसके सीटों की संख्या चार-पांच हो सकती है।

जीतने पर ज्यादा ध्यान

इसी तरह से जीतन राम मांझी की हम को भी एक सीट ही मिल सकती है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार किसी भी स्थिति में पार्टी 30 से कम सीटों पर चुनाव नहीं लड़ेगी। वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक सहयोगी दलों को संदेश दिया गया है कि अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने के बजाय वे अधिक-से-अधिक सीटों पर जीत सुनिश्चित करने पर ध्यान दें।

भाजपा के साथ भले ही उन्हें कम सीटें मिल रही हों, लेकिन सभी सीटों पर जीत सुनिश्चित होगी। इसी तरह से बिहार में भाजपा का स्ट्राइक रेट किसी भी अन्य दल की तुलना ज्यादा रहा है। यह विधानसभा और लोकसभा दोनों चुनावों में साबित हुआ है। ऐसे में भाजपा अधिक-से-अधिक सीटों पर लड़कर उन्हें जीतना चाहती है।

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