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जामुन है गुणों की खान, पर ज्यादा खाएंगे तो करेगा नुकसान

बरसात के मौसम में मिलने वाला जामुन फल गुणों की खान है। इसके औसत सेवन से कई तरह की बीमारियां नहीं होती है।

By Ravi RanjanEdited By: Updated: Fri, 30 Jun 2017 10:23 PM (IST)
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जामुन है गुणों की खान, पर ज्यादा खाएंगे तो करेगा नुकसान

सिवान [जेएनएन]। बरसात के मौसम में मिलने वाला जामुन गुणों की खान है लेकिन इसका ज्यादा सेवन स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह भी हो सकता है। औसत सेवन से काफी फायदे हैं। अधिक सेवन से गैस, बुखार, सीने का दर्द, कफ वृद्धि एवं इससे उत्पन्न रोग, वात विकारों के रोग उत्पन्न हो सकते हैं।

इसके रस को दूध के साथ सेवन करना काफी हानिकारक है। इस समय बाजार में जामुन की बिक्री शुरू हो गई है। लोगों ने सेवन भी शुरू कर दिया है। जामुन का फल मीठा, खट्टा, मीठा, रुचिकर, शीतल एवं वायु का नाश करने वाला होता है।

आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. केडी रंजन कहते हैं कि जामुन में लौह और फास्फोरस काफी मात्रा में होता है। कोलीन तथा फोलिक एसिड भी होता है। बीच में ग्लूकोसाइड, जंबोलिन, फेनोलयुक्त पदार्थ, पीलापन लिए सुगंधित तेल काफी मात्रा में उपलब्ध होता है। जामुन मधुमेह (डायबिटीज), पथरी, लिवर, तिल्ली और खून की गंदगी को दूर करता है। यह मूत्राशय में जमी पथरी को निकालता है। जामुन और उसके  बीज पाचक  होते हैं।

खाने में बरती जाने वाली सावधानियां

-जामुन को हमेशा खाना खाने के बाद ही खाना चाहिए।

-जामुन खाने के तुरंत बाद दूध नहीं पीना चाहिए।

इन रोगों में है लाभकारी

गर्मी की फुंसियां : जामुन की गुठली को घिसकर लगाना चाहिए।

बिच्छू के दंश पर : जामुन के पत्तों का रस लगाना चाहिए। इससे बिच्छू का दंश ठीक हो जाता है।

पित्त पर: 10 मिलीलीटर जामुन के रस में 10 ग्राम गुड़ मिलाकर आग पर तपाएं। तपाकर उसके भाप को पीना चाहिए।

गर्भवती स्त्री का दस्त: ऐसे समय में जामुन खिलाना चाहिए या जामुन की छाल के काढ़े में धान और जौ का 10-10 ग्राम आटा डालकर चटाना चाहिए।

मुंह के रोग:

- जामुन, बबूल, बेर और मौलश्री में से किसी भी पेड़ की छाल का ठंडा पानी निकालकर कुल्ला करना चाहिए और इसकी दातून से रोज दांतों को साफ करना चाहिए। इससे दांत मजबूत होते हैं और मुंह के रोग भी ठीक हो जाते हैं।

-जामुन की गुठली को एक ग्राम चूरन के पानी के साथ लेना चाहिए। चार-चार घंटे के बाद यह औषधि लेनी चाहिए। लगभग तीन दिन के बाद इसका असर दिखाई देने लगेगा।

-उल्टी: जामुन के पेड़ की छाल को आग में जलाकर उसकी राख को शहद के साथ खिलाने से खट्टी उल्टी आनी बंद हो जाती है।

-हैजा : हैजा से पीडि़त रोगी को पांच ग्राम जामुन के सिरके में चौगुना पानी डालकर एक-एक घंटे के अंतर से देना चाहिए। पेट के दर्द में भी सुबह-शाम इस सिरके का उपयोग करना चाहिए।

मुंहासे: जामुन की गुठली घिसकर लगाना चाहिए। इससे मुंहासे नष्ट हो जाते हैं।

- पसीना ज्यादा आना: जामुन के पत्तों को पानी में उबालकर नहाने से पसीना अधिक आना बंद हो जाएगा।

- जलना: जामुन की छाल को नारियल के तेल में पीसकर जले हिस्से पर दो-तीन बार लगाने से लाभ मिलता है।

-पैरों के छाले: टाईट, नया जूता पहनने या ज्यादा चलने से पैरों में छाले और घाव बन जाते हैं। ऐसे में जामुन की गुठली पानी में घिसकर दो-तीन बार लगाएं। इससे फायदा होगा।

-पेशाब का बार-बार आना: 15 ग्राम जामुन की गुठली को पीसकर एक-एक ग्राम सुबह और शाम पानी के साथ लेने से बार-बार पेशाब आने की समस्या में लाभ होता है।

- नपुंसकता: जामुन की गुठली का चूर्ण रोज गर्म दूध के साथ खाने से नपुंसकता दूर होती है।

-दांतों का दर्द: जामुन, मौलश्री अथवा कचनार की लकड़ी को जलाकर उसके कोयले को बारीक पीसकर मंजन बना लें। इसे प्रतिदिन दांतों व मसूढ़ों पर मालिश करने से मसूढ़ों से खून का आना बंद हो जाता है। इनके अलावा भी जामुन के कई फायदे हैं।

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जामुन में पाए जाने वाले तत्व एवं उनकी मात्रा-

तत्त्व                                मात्रा (प्रतिशत में) 

प्रोटीन                               0.7 

वसा                                 0.1 

कार्बोहाइड्रेट                     19.7 

पानी                               78

विटमिन बी                थोड़ी मात्रा में

फोलिक                    थोड़ी मात्रा में

कैल्शियम                   0.02 

फास्फोरस                  0.01 

लौह                    1 मिग्रा./100 ग्राम

विटमिन सी            थोड़ी मात्रा में 

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