पटना सिविल कोर्ट में बड़ा हादसा, ट्रांसफार्मर फटने से आधा दर्जन लोग बुरी तरह झुलसे, एक वकील की मौत
पटना सिविल कोर्ट परिसर स्थित ट्रांसफार्मर में लोड के कारण अचानक आग लग गई। पास में बैठे वकील इसकी चपेट आ गए। हादसे में एक वकील की मौत हो गई है। आग की चपेट में आए दो अन्य वकीलों की हालत गंभीर बनी हुई है। उन्हें पीएमसीएच में भर्ती कराया गया है। हादसे के बाद वकील प्रशासन के खिलाफ धरने पर बैठ गए हैं।
जागरण संवाददाता, पटना। पटना सिविल कोर्ट में पश्चिम द्वार के पास लगा ट्रांसफार्मर की मीट्रिंग यूनिट बुधवार की दोपहर लगभग डेढ़ बजे तेज आवाज के साथ विस्फोट कर गया। हादसे में नोटरी अधिवक्ता देवेंद्र प्रताप (लोहानीपुर निवासी) की झुलसने से मौके पर ही मौत हो गई। इस घटना में वकील, मुवक्किल और मुंशी सहित आधा दर्जन लोग आग से जख्मी हो गए।
बिजली की आग से झुलसे दो की हालत गंभीर बनी है, जिन्हें उपचार के लिए पीएमसीएच में भर्ती कराया गया है।दुर्घटना में वकील की मौत से आक्रोशित अधिवक्ताओं ने हंगामा किया। पुलिस की गाड़ी में साथी के शव को पोस्टमार्टम के लिए जाने नहीं दे रहे थे।
पीड़ित परिवार के लिए 50 लाख मुआवजे की मांग
पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपये मुआवजा व आश्रित को नौकरी देने और हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों प्राथमिकी कराने की मांग करने लगे।घटना की जानकारी मिलते ही अग्निशमन दल पहुंचा तब तक स्थानीय लोगों ने आग में जलते लोगों पर पानी डालकर बचाने का प्रयास किया।पुलिस अधिकारियों पर फूटा अधिवक्ताओं का गुस्सा
एसडीएम श्रीकांत कुंडलिक खांडेकर और टाउन डीएसपी अशोक कुमार सिंह जैसे ही कोर्ट परिसर पहुंचे कि अधिवक्ताओं का गुस्सा फूट पड़ा। सिविल कोर्ट के रजिस्ट्रार एवं एनआइए के विशेष न्यायाधीश से भी अधिवक्ताओं की तीखी नोकझोंक हुई।
जिला अधिवक्ता संघ के संयुक्त सचिव शैलेंद्र कुमार ने बताया कि जिला एवं सत्र न्यायाधीश के प्रतिनिधि से वार्ता के बाद कुछ सहायता राशि दिवंगत अधिवक्ता के स्वजन को उपलब्ध कराई गई। इसके बाद शव पांच बजे शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। हालांकि, मांगें पूरी होने तक संघर्ष जारी रहेगा।
आग की लपटों में घिरे अधिवक्ता को देखते रहे लोग
प्रत्यक्षदर्शी वरीय अधिवक्ता सुरेश कुमार गुप्ता कहते हैं, डेढ़ बजे का वक्त था। राेज की तरह लोगों की आवाजाही अधिक थी। एकाएक धमाका हुआ। तब वे जुबली कैफे से थोड़ी दूर उत्तर की तरफ खड़े थे। लोगों में भगदड़ मच गई।
आग की लपटों से लिपटा नीले रंग की टी-शर्ट और जींस पहना युवक दौड़ते हुए चाय दुकान के सामने आया, जहां अधिवक्ताओं ने किसी तरह आग पर काबू पाया और उसके कपड़े उतरवाए। चीख-पुकार होने लगी।आग की चपेट में आए लोग राहत के लिए जहां-तहां भाग रहे थे। तब तक एक और अधिवक्ता उसी हालत में दूसरी दुकान तक पहुंचे थे, उन्हें भी बचाया गया।दोनों घायलों को पुलिस की गाड़ी से दक्षिण गेट के जरिये पीएमसीएच भेजा जाने लगा। चूंकि, देवेंद्र प्रताप दिव्यांग थे। उन्हें स्पाइनल की समस्या थी। वे दौड़ नहीं पाए और देखते ही देखते आग का गुबार बन गए।
अधिवक्ता उन्हें बचाना चाह रहे थे, लेकिन आग ने विकराल रूप ले लिया था। वे सैंकड़ों लोगों की आंखों के सामने धधकते रहे और कुछ ही देर बाद चित पड़ गए।इस बीच दमकल वाहन पहुंच चुका था। उसने आग बुझाई और देवेंद्र को भी उपचार के लिए भेजा जाने लगा। मगर, उनकी सांसें थम चुकी थीं। उस खौफनाक मंजर को याद कर अधिवक्तगण सिहर उठते हैं।
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