बालीवुड एक्टर संजय मिश्रा बोले- अब कहानी ही असली हीरो, कंटेंट होगा तो फिल्म चलेगी ही
बालीवुड एक्टर संजय मिश्रा हर जगह चमक रहे हैं। पटना का ऐसा बेटा जिसने लंबे संघर्ष और मेहनत के बाद अपनी मुकम्मल पहचान बनाई। संजय फिलहाल अपने घर पटना आए हुए हैं। उन्होंने दैनिक जागरण से खास बातचीत की।
By Akshay PandeyEdited By: Updated: Fri, 29 Jul 2022 10:21 PM (IST)
कुमार रजत, पटना। टेलीविजन स्क्रीन हो या सिनेमा हाल का बड़ा पर्दा या फिर मोबाइल पर देखे जाने वाले आनलाइन प्लेटफार्म। संजय मिश्रा हर जगह चमक रहे हैं। कभी बड़े पंडित बनकर दर्शकों को हंसाते हैं, तो कभी बाबू जी बनकर कोई गहरा संदेश दे जाते हैं। पटना का ऐसा बेटा जिसने लंबे संघर्ष और मेहनत के बाद अपनी मुकम्मल पहचान बनाई। एक से बढ़कर एक अतरंगी किरदार निभाकर कहानियों में जान फूंकने वाले संजय मिश्रा फिलहाल अपने घर पटना आए हुए हैं।
- इस बार पटना आना कैसे हुआ? - पटना तो घर ही है। घर आने के बस बहाना चाहिए। इस बार एक सीमेंट कंपनी के विज्ञापन की शूटिंग के लिए आया हूं।
- बालीवुड के दिन अभी अच्छे नहीं चल रहे हैं। खासकर आनलाइन प्लेटफार्म की लोकप्रियता बढ़ने के बाद बड़ी-बड़ी फिल्में सिनेमा हाल में पीट रहीं? - ऐसा नहीं है। हाल ही में मेरी फिल्म भुल-भुलैया-2 ने अच्छा बिजनेस किया है। अच्छी फिल्में अब भी पसंद की जा रही हैं। देखिए, अब कहानी ही असली हीरो है। कंटेंट होगा तो पिक्चर चलेगी ही, इस पर ही फोकस करना होगा। दक्षिण की फिल्में भी इसी कारण से चल रहीं हैं।
- हाल के दिनों में हिंदी पट्टी की कहानियां और सितारों को खूब पसंद किया जा रहा? - यह तो होना ही था। इसका प्रयास लंबे समय से हो रहा था। हिंदी पट्टी की कहानियां दर्शकों को वास्तविक लगती हैं, अपने बीच की। ऐसी कहानियों में हीरो नहीं होता, चरित्र होता है। फिर वैसे चरित्र को जीने के लिए संजय मिश्रा, पंकज त्रिपाठी, नवाजुद्दीन या मनोज वाजपेयी जैसे अभिनेता ढूंढे जाते हैं।
- बालीवुड और बिहार के बीच अब भी एक दूरी है? यह कैसे कम होगी? - देखिए, बिहार को फिल्म वालों का वेलकम (स्वागत) करना होगा। अभी तो यही सोच है कि आना है, तो आओ, हम नहीं आएंगे। मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश ने फिल्म वालों का स्वागत किया है। बनारस में आपके बार्डर पर आकर शूटिंग हो रही। बिहार की कहानी, यूपी में फिल्माई जा रही मगर यहां लोग नहीं आ रहे।
- सबसे जरूरी पहला कदम क्या है, जो बिहार को उठाना चाहिए? - सबसे पहले तो फिल्म शूटिंग के लिए एक विंडो हो। यानी कोई प्रोड्यूसर आए और कहे कि मुझे शूटिंग करनी है तो उसे एक जगह सारी जानकारी और सुविधा मिल जाए। उसे दौड़ाया न जाए। इतना काम भी हो जाए तो बिहार में शूटिंग का माहौल बन जाए। - आप उम्र के इस पड़ाव में भी टीवी से लेकर फिल्मों तक व्यस्त हैं? एक से एक किरदार कर रहे। अफसोस नहीं होता कि कामयाबी थोड़ी देर से मिली?
- ऐसा नहीं है। अच्छा हुआ जो देर से कामयाबी मिली। इस दौरान खुद को मांझने-समझने का मौका मिला। और अफसोस तब होता जब काम करने को नहीं मिलता। जैसी अलहदा फिल्में और किरदार मैंने निभाए हैं, उसमें अफसोस की कोई जगह नहीं है। - आपको अपनी कौन सी फिल्म सबसे अधिक पसंद है? - यह सब मूड पर है। कभी कामयाब का सुधीर पसंद आता है, तो कभी आंखों देखी के बाऊजी। - फिल्म के अलावा और क्या पसंद है?
- खाने-पीने का शौक है। कुछ भी स्वादिष्ट खाना, खा लेता हूं। इसके अलावा संगीत का शौक है। भोजपुरी संगीत नहीं सुनता क्योंकि वह इलेक्ट्रानिक संगीत है। संगीत तो वह हुआ जिसमें लगे कि हां, अब तबले की थाप आई, अब सितार बजा, अब गिटार। - आगे कौन-कौन सी फिल्में आ रहीं हैं? - अगस्त में होली काऊ फिल्म आ रही। ओटीटी पर बेड स्टोरीज कर रहा, उसे पसंद किया जा रहा। इसके अलावा रोहित शेट्टी की सर्कस है। इसमें रणवीर सिंह है। और भी कई फिल्में हैं।
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