उन्होंने कहा कि यह उम्मीद नहीं थी कि वे टॉप करेंगे, लेकिन सफलता के प्रति आश्वस्त थे। अमन आनंद ने बताया कि उनके पिता बबलू कुमार दिल्ली में शिक्षक पद पर कार्यरत हैं, जबकि मां गृहणी हैं, उनकी एक बड़ी बहन और बहनोई आर्मी में डाक्टर के पद पर कार्यरत हैं।वे भाई-बहन में सबसे छोटे हैं, उनसे एक बड़े भाई संदीप कुमार अभी तैयारी में लगे हुए हैं। अमन ने बताया कि कहीं भी कोचिंग नहीं की और सफलता प्राप्त की है। हालांकि, वे कई सीनियर स्टूडेंट के संपर्क में रहते थे।
उन्होंने बताया कि पढ़ाई के लिए घंटे मैटर नहीं करते हैं दिल से पढ़ाई करने से सफलता मिलती है, उनकी शुरू से पढ़ाई दिल्ली में हुई। परिणाम की जानकारी मिलने पर बधाई देने वालों का तांता लगा रहा।
दूसरी रैंक : निकिता
ऑडिटर की ट्रेनिंग ले रही सेकेंड टॉपरजहानाबाद की निकिता कुमारी
(Nikita Kumari) ने दूसरा स्थान प्राप्त की है। बीपीएससी द्वारा जारी ऑडिटर रिजल्ट में सफलता के बाद फिलहाल उसकी बीपार्ड गया में ट्रेनिंग चल रही है। तीसरे प्रयास में उन्होंने यह सफलता अर्जित की है।
डीएवी जहानाबाद से 12वीं तक की पढ़ाई के बाद पटना वीमेंस कालेज, पटना से गणित में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। बीएड की उपाधि भी प्राप्त की है। पिता अजय कुमार देव जहानाबाद बीजेपी के जिला अध्यक्ष व माता अनीता कुमारी गृहिणी हैं।
तीसरी रैंक : अंकिता चौधरी
पहले ही प्रयास में प्राप्त की तीसरी रैंक खगड़िया जिले के परवत्ता प्रखंड के नयागांव के श्रीमणि टोला की रहने वाली अंकिता चौधरी
(Ankita Choudhary) ने पहले ही प्रयास में तीसरी रैंक प्राप्त की है। 68वीं मुख्य परीक्षा में भी उनका चयन हुआ है। उनके पिता विनोद कुमार चौधरी बोकारो, झारखंड में शिक्षक हैं।
अंकिता ने बताया कि पिता विनोद कुमार चौधरी ही उनके मार्गदर्शक हैं। सफलता का श्रेय पिता के मार्गदर्शन को दिया है। मां सुचिता चौधरी गृहिणी हैं। बिरसा ग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से स्नातक के बाद जेवियर इंस्टीट्यूट से एमबीए में गोल्ड मेडलिस्ट रही। अब यूपीएससी में सफलता पाना मुख्य लक्ष्य है। उन्होंने बताया कि सफलता के लिए खुद पर विश्वास सबसे महत्वपूर्ण है।
5वीं रैंक : ऋषभ आनंद :
66वीं में प्राप्त किया था 46वीं रैंक
पांचवीं रैंक प्राप्त करने वाले बेगूसराय के बागबारा गांव के ऋषभ आनंद फिलहाल अपर परिवहन पदाधिकारी के पद पर कार्यरत हैं।
बीपीएससी 66वीं में उन्होंने 46वीं रैंक प्राप्त किया था, उनका यह दूसरा प्रयास है।
गांव में रहकर स्कूली शिक्षा प्राप्त करने वाले ऋषभ ने कोलकाता से बीटेक किया है। उन्होंने सफलता का राज प्रतिदिन सुबह की चार से पांच घंटे की पढ़ाई को बताया। पिता संजय कुमार चौधरी किसान और मां अर्चना कुमारी शिक्षिका हैं। उन्होंने कहा कि सफलता के लिए ईमानदारी से मेहनत पहली शर्त है।
सातवीं रैंक : अपेक्षा मोदी
यूपीएससी में सफलता प्राथमिक लक्ष्यझारखंड के कोडरमा की की रहने वाले अपेक्षा मोदी ने पहले ही प्रयास में सातवीं रैंक प्राप्त की है। 10वीं और 12वीं की पढ़ाई डीएवी कोडरमा से पूरी करने के बाद एनआइएएमटी, रांची से बीटेक के बाद सिविल सेवा की तैयारी में जुट गई।
उन्होंने बताया कि यूपीपीएस में साक्षात्कार के बाद सफलता नहीं मिलने से कमजोर पक्ष को जानकर उसे सशक्त बनाई, जिसका परिणाम बेहतर रैंक के रूप में मिला। यूपीएससी में सफलता प्राथमिक लक्ष्य है। पिता रविशंकर प्रसाद झारखंड में प्रखंड कृषि पदाधिकारी तथा मां मंजू देवी गृहणी हैं।
आठवीं रैंक : सोनल सिंह
सफलता के लिए खुद पर विश्वास जरूरीबीपीएससी 67वीं में आठवीं रैंक प्राप्त करने वाली सोनल सिंह मूल रूप से भोजपुर जिले के जगदीशपुर की रहने वाली है।अभी वह पटना में अपने परिवार के साथ रह रही हैं। सोनल बीटेक की है।
स्कूल व स्नातक स्तर की पढ़ाई राजस्थान से पूरी की है। उन्होंने बताया कि यूपीएससी में सफलता मुख्य लक्ष्य है। पिता धनंजय सिंह व माता नीलू सिंह का मार्गदर्शन सफलता में महत्वपूर्ण रहा। उन्होंने बताया कि सफलता के लिए कौन क्या कहता और करता है से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि हम क्या सोचते हैं।
9वीं रैंक : मुकेश कुमार यादव
एक साल में 222 रैंक की लगाई छलांग
67वीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा में नौवीं रैंक प्राप्त करने वाले मुकेश कुमार यादव समस्तीपुर जिले के विठान प्रखंड के खुटौना गांव के रहने वाले हैं। पिछले साल 66वीं में उन्होंने 231वीं रैंक प्राप्त की थी, फिलहाल मधुबनी में सप्लाई इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं।
दरभंगा से भौतिकी में स्नातक मुकेश कुमार के पिता रामनंदन यादव किसान व मां रामवेसर देवी गृहिणी हैं। उन्होंने बताया कि बेहतर रैंक प्राप्त करना लक्ष्य था। नौकरी के साथ-साथ परीक्षा की तैयारी भी जारी रखी। उन्होंने बताया कि सिविल सेवा में सफलता के लिए विषय की बेहतर समझ अनिवार्य है।
10वीं रैंक : तरुण कुमार पांडेय
गांव में रहकर किया सिविल सेवा की तैयारीसारण जिले रिविलगंज प्रखंड के गोदना ब्रह्ममटोली के तरुण कुमार पांडेय ने गांव में रहकर सिविल सेवा की तैयारी की है। 66वीं में उन्होंने 87वीं रैंक प्राप्त की थी। वर्तमान में मोतिहारी के चकिया प्रखंड में बीपीआरओ के पद पर कार्यरत हैं। तरुण ने अपनी सफलता का श्रेय बड़े भाई स्वर्गीय वरुण कुमार पांडेय को देते हैं।उन्होंने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर में उनके बड़े भाई का देहांत हो गया था। वह आइआइटी प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराते थे।छपरा से ही स्नातक तक की पढ़ाई पूरी करने वाले तरुण के पिता शंभू नाथ पांडेय किसान और माता नंदनी देवी पूर्व वार्ड पार्षद हैं। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन माध्यम से अच्छे मटेरियल उपलब्ध हैं।
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