BPSC News: बीपीएससी ने निकाली एक और बंपर भर्ती, 1964 पदों पर होगी नियुक्ति; पढ़ें पूरी डिटेल
BPSC Sarkari Naukri News बीपीएससी की 70वीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा 1964 से अधिक पदों के लिए आयोजित की जाएगी। अध्यक्ष परमार रवि मनुभाई ने बताया कि आयोग को 17 विभागों से 1929 पदों की अधियाचना प्राप्त हुई है जबकि दो अन्य विभागों ने 35 पदों की जानकारी दी है। आवेदन की प्रकिया अगले सप्ताह से शुरू होने की संभावना है।
जागरण संवाददाता, पटना। बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की एकीकृत 70वीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा 1964 से अधिक पदों के लिए आयोजित की जाएगी।
अध्यक्ष परमार रवि मनुभाई ने शुक्रवार को प्रेसवार्ता में बताया कि आयोग को शुक्रवार की दोपहर तक 17 विभागों से 1929 पदों की अधियाचना प्राप्त हो गई है, दो अन्य विभागों के 35 पदों की जानकारी दी गई है।
अगले सप्ताह से आवेदन की प्रक्रिया
आवेदन की प्रकिया अगले सप्ताह प्रारंभ होने की संभावना है। इधर, के वर्षों में इतनी संख्या में आयोग को अधियाचना प्राप्त नहीं हुई थी। पदों की संख्या कुछ विभागों से मिली अधियाचना प्राप्त होने पर बढ़ भी सकती है।उन्होंने बताया कि परीक्षा पैटर्न 69वीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा के अनुरूप ही होगी। इस बार रिक्ति अधिक होने के कारण अभ्यर्थियों की संख्या भी रिकार्ड स्तर पर होने की संभावना है। जिसे देखते हुए एक से अधिक तिथि या पाली में प्रारंभिक परीक्षा संचालित की जा सकती है।एक से अधिक पाली या तिथि में परीक्षा संचालित किए जाने की स्थिति में नामलाइजेशन विधि से परिणाम जारी किया जाएगा। मुख्य परीक्षा की मेधा सूची बेहतर परसेंटाइल के आधार पर जारी की जाएगी।
क्या है नॉर्मलाइजेशन विधि?
पटना विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग के डॉ. अशोक कुमार झा ने बताया कि जब एक ही परीक्षा अलग-अलग प्रश्न पत्रों से आयोजित की जाती है तो, उसका परिणाम नॉर्मलाइजेशन विधि से जारी किया जाता है।अभ्यर्थियों की संख्या अधिक होने पर एक ही परीक्षा कई पाली और तिथि में आयोजित करना आयोग की मजबूरी हो जाती है।नॉर्मलाइजेशन विधि में एक प्रश्न पत्र में शामिल सभी विद्यार्थियों में से अधिकतम अंक को 100 परसेंटाल मान लिया जाता है। इसके बाद घटते हुए क्रम में परसेंटाइल जारी किया जाता है।
जेईई मेन, यूजीसी नेट, एसएससी सहित कई प्रवेश व प्रतियोगी परीक्षाओं के परिणाम में नार्मलाइजेशन विधि का उपयोग किया जाता है। यह पूरी तरह से प्रमाणिक और विज्ञानिक पद्धति पर आधारित है।
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