बिहार में अव्वल आए आरा के राजा कुमार... BPSC से चयन के बाद अब स्कूल में डांस टीचर बन बच्चों को देंगे तालीम
आरा के राजा कुमार ने बीपीएससी में टॉप कर अपने शहर का ही नहीं बल्कि पूरे जिले का नाम रौशन किया है। बताया जाता है कि राज्य जब दूसरी क्लास में थे तब टीवी पर आने वाले रियलिटी शो देखते थे। शो में बच्चों को डांस करते हुए देखकर पैर खुद-ब-खुद थिरकने लगते थे। राजा को कथक डांस के लिए पुरस्कार भी मिल चुका है।
मुकुल कुमार, आरा। बिहार लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित विद्यालय अध्यापक नियुक्ति प्रतियोगिता परीक्षा में आरा के कथक डांसर राजा कुमार ने नृत्य विषय में टॉप कर अपने शहर का ही नहीं बल्कि पूरे जिले का नाम रौशन किया है।
टॉपर राजा ने बताया कि मुझे खुद पर और गुरु बक्शी विकास से मिली तालीम पर पूरा विश्वास था कि इस परीक्षा को पास कर लूंगा।उन्होंने कहा कि मैंने कभी सपने में नहीं सोचा था कि अपने विषय में पूरे राज्य में टॉप करूंगा। हां, मेरा मानना ये भी है कि टॉप होना एक संयोग नहीं, बल्कि गुरु कृपा है। ये माता-पिता का आशीर्वाद का प्रतिफल है।
टॉपर राजा को रियलिटी शो से नृत्य की प्रेरणा मिली
टॉपर राजा बताते हैं कि जब वो दूसरी क्लास में थे तब टीवी पर आने वाले रियलिटी शो देखते थे। शो में बच्चों को डांस करते हुए देखकर पैर खुद-ब-खुद थिरकने लगते थे। राजा को जानने वाले सावन कुमार ने बताया कि जब राजा 8 साल का हुआ तो उसने अपने पिता से सामने अपनी अभिलाषा जाहिर की।
इसके बाद उनके पिता ने उसी समय आरा के विख्यात गुरु बक्शी विकास के सान्निध्य में राजा को भेज दिया। सावन ने कहा कि आज राजा 24 साल का है, वह बीते 14-15 साल से गुरु सेवा व नृत्य साधना में लगा हुआ है। इन सालों में राजा ने कई मंचों पर अपनी प्रस्तुतियां भी दी हैं।
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आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।24 वर्षीय राजा गुरु सेवा को देते हैं अहमियत
इधर, राजा का मानना है कि गुरु का सान्निध्य बहुत ही जरूरी है। उनका कहना है कि गुरु सेवा का फल मुझे मिला, उससे पूरी तरह अभिभूत हूं। संगीत खासकर शास्त्रीय संगीत और कथक में गुरु-शिष्य परंपरा आज भी कायम है। आज मेरा बिहार सरकार ने नृत्य शिक्षक के तौर पर चयन किया है। मेरा पहला कर्तव्य अपने शिष्यों को अपनी संस्कृति के साथ-साथ नृत्य के विभिन्न आयामों को सिखाना ही होगा। गुरु बक्शी विकास ने मुझे नृत्य, संगीत और संस्कारों को पोषित किया है, बस मुझे भी अपने गुरु के आदर्शों पर चलना है।राजा ने अपने गुरु का अभिवादन करते हुए अपने माता-पिता के योगदान को बताते हुए कहा कि मेरे पास कोई शब्द नहीं हैं, जिनसे उनका गुणगान कर सकूं। जिंदगी की धूप-छांव और थपेड़ों में अगर कोई मेरी ढाल बना तो वो मेरा परिवार ही है।राजा को मिल चुके हैं कई अवार्ड
कुछ महत्वपूर्ण संगीत कार्यक्रम, कार्यक्रम और प्रतियोगिताएं
• संगीत नायक पं. दरगाही मिश्र स्मृति संगीत समारोह, नई दिल्ली (2016)• पाटलिपुत्र महोत्सव (2017)• कला उत्सव, वाराणसी (2016)• घाट संध्या, वाराणसी (2017)• अखिल भारतीय संगीत एवं नृत्य प्रतियोगिता, प्रयाग संगीत समिति, इलाहाबाद (2015) • विश्व संगीत दिवस, आरा (2009)• अखिल भारतीय संगीत सम्मेलन, आरा (2011)• शताब्दी वर्ष संगीत समारोह, शत्रुंजय संगीत विद्यालय, आरा (2016)• युवा महोत्सव, बक्सर (2014)• युवा महोत्सव, दरभंगा (2015)• अंतर्नाद छात्रवृत्ति (2012-14)• दूरदर्शन बिहार (2017) पर नृत्य गुरु श्री बख्शी विकास की कोरियोग्राफी 'रामायण' में प्रदर्शन किया गया• नृत्य गुरु श्री बख्शी विकास की कोरियोग्राफी 'बुद्धम शरणम गच्छामि' में दूरदर्शन बिहार और प्रतिभा उत्सव नई दिल्ली (2017) में प्रदर्शन किया गया।पुरस्कार एवं सम्मान
जिले में प्रथम पुरस्कार (कथक) : युवा महोत्सव, बक्सर (2015)यह भी पढ़ें-Lalan Singh के इस्तीफे की खबरों पर विजय चौधरी ने दिया बड़ा अपडेट, Sushil Modi बोले- मैंने पहले ही कहा था...
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