भविष्य गढऩे वाले बीएसएससी का इतिहास बदरंग, जानिए पूरा मामला
बिहार कर्मचारी चयन आयोग का इतिहास ही बदरंग रहा है। अब तक आयोग ने कुल 15 परीक्षायें आयोजित की है, जिसमें से मात्र तीन ही परीक्षा निर्विवाद रूप से संपन्न हुई है।
By Ravi RanjanEdited By: Updated: Sat, 25 Feb 2017 06:55 PM (IST)
पटना [जेएनएन]। सन 2002 में बिहार कर्मचारी चयन आयोग (बीएसएससी) का गठन हुआ और उसी के साथ शुरू हो गए इसके कारनामे। आयोग के अफसरों की चमड़ी साल-दर-साल मोटी होती गई और उसी अनुपात में गहरा होता गया दामन का दाग। सबूतों की सूची लंबी है। आयोग द्वारा अब तक 15 परीक्षाओं का आयोजन किया गया, जिसमें से 12 विवादों के घेरे में रहीं। इंटर-स्तरीय परीक्षा की कारगुजारियों ने तो इसे कुख्यात ही कर दिया।
जानकार बताते हैं कि सचिवालय और विभागों में जूनियर लेवल के पद भरने के उद्देश्य से बीएसएससी का गठन हुआ था। उसके गठन के साल ही कई पदों के लिए रिक्तियों का निर्णय लिया गया। 2010 में सचिवालय आदि में रिक्तियों के लिए विज्ञापन निकाले गए। बेरोजगारी का आलम यह कि आठ लाख से अधिक आवेदन मिले। प्रारंभिक परीक्षा में गलत प्रश्न पूछ गया और मामला लेकर लोग अदालत पहुंच गए। आयोग की भद पिटी। इससे भी अधिक शर्मनाक स्थिति जूनियर इंजीनियरों की बहाली के साथ पेश आई।यह भी पढ़ें: BSSC पेपर लीक: चेयरमैन एंड फैमिली ने मिलकर किया था घोटाला2011 में जूनियर इंजीनियर के 2030 पदों के लिए विज्ञप्ति निकली। 2012 में परीक्षा हुई। आयोग के स्ट्रांग रूम का ताला तोड़ ओएमआर शीट से छेड़छाड़ हुई। आर्थिक अपराध इकाई ने जांच की। बाद में उच्च न्यायालय ने परीक्षा रद कर दी। 25 सितंबर, 2016 को दोबारा परीक्षा हुई। आरा के एसबी कॉलेज में प्रश्न पत्र लीक हो गया। अदालत ने दोबारा परीक्षा रद कर दी।
2014 में द्वितीय स्नातक स्तरीय परीक्षा का विज्ञापन निकला। सात लाख से अधिक आवेदक थे। 2015 में दो चरणों में प्रारंभिक परीक्षा हुई। प्रश्न पत्र लीक होने के अलावा 12 प्रश्नों के गलत होने की शिकायत मिली। मामला हाईकोर्ट में है। इस साल हुई इंटर-स्तरीय परीक्षा में धांधली की जांच एसआइटी कर रही। सुधीर कुमार और परमेश्वर राम की कारगुजारियों में 18 लाख से अधिक परीक्षार्थी अपने सपने को डूबते देख रहे।यह भी पढ़ें: नकली माल के निर्माण का हब बना पटना, कारीगरी ऐसी कि असली भी फेल, जानिए परीक्षा और फर्जीवाड़े
1. राज्य के प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में 3,65,152 शिक्षकों की नियुक्ति भी सवालों के घेरे में आई। अदालत को हस्तक्षेप करना पड़ा। निगरानी ब्यूरो ने जांच शुरू की। 40 नियोजन इकाइयों पर मुकदमा दर्ज हो चुका है। 417 फर्जी शिक्षक शिनाख्त हुए। मामले की जांच अभी चल ही रही है।
1. राज्य के प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में 3,65,152 शिक्षकों की नियुक्ति भी सवालों के घेरे में आई। अदालत को हस्तक्षेप करना पड़ा। निगरानी ब्यूरो ने जांच शुरू की। 40 नियोजन इकाइयों पर मुकदमा दर्ज हो चुका है। 417 फर्जी शिक्षक शिनाख्त हुए। मामले की जांच अभी चल ही रही है।
2. सन 1996 में इंजीनियंरिंग प्रवेश परीक्षा हुई। कॉपियों में हेरफेर कर 245 का दाखिला। सीबीआइ ने तत्कालीन मंत्री बृजबिहारी प्रसाद की गिरफ्तारी की। बृजबिहारी की मौत हो चुकी है। आरसी दास विकल, भरत भूषण प्रसाद कामेश्वर प्रसाद, लक्ष्मी राय सुनील भगत आदि पर मामला विचाराधीन है।3. सन 2005 में बीपीएससी की प्रशासनिक सेवा परीक्षा में फर्जीवाड़ा हुआ। तत्कालीन अध्यक्ष राम सिंहासन सिंह, उप सचिव सहित छह अफसरों के खिलाफ कार्रवाई। पूर्व अध्यक्ष रजिया तबस्सुम के खिलाफ निगरानी में मामला आज भी चल रहा है।4. कृषि विश्वविद्यालय, भागलपुर में 281 पदों पर बहाली में हेराफेरी। हुई। एकेडमिक रिकॉर्ड के लिए 80, साक्षात्कार में 10 और प्रस्तुति में 10 अंक निर्धारित थे। अच्छे एकेडमिक रिकॉर्ड वालों को साक्षात्कार में कम अंक दिए गए। राजभवन में शिकायत पहुंची, लेकिन जांच समिति की रिपोर्ट आज तक नहीं मिली।5. 2012 में महादलित विकास मिशन के तहत प्रखंड मिशन ऑफिसर और असिस्टेंट ऑफिसर की लिखित परीक्षा में धांधली हुई। स्पेशल टास्क फोर्स ने परीक्षा में फर्जीवाड़ा करने वाले गिरोह का रहस्योद्घाटन किया। 19 मुख्य आरोपी गिरफ्तार हुए। उनसे जुड़े 77 अन्य लोग भी। मामला अदालत में लंबित है।6. वर्ष 2003 में मेडिकल प्रवेश परीक्षा का प्रश्न पत्र लीक हुआ। सीबीआइ ने जांच की। रंजीत डॉन की गिरफ्तारी हुई। दाखिला लेने वाले तत्कालीन छात्रों पर कार्रवाई नहीं हुई। वे फर्जी तरीके से दाखिला लेकर आज डॉक्टर बने हुए हैं।7. मगध विवि के कुलपति अरुण कुमार के कार्यकाल में 15 प्राचार्यों की अवैध तरीके से नियुक्ति हुई। निगरानी ब्यूरो ने मामले की जांच की। वे प्राचार्य पद से हटा दिए गए हैं।8. वर्ष 2013 में ऑल इंडिया मेडिकल पीटी व अन्य परीक्षा हुई। आर्थिक अपराध इकाई ने नए तरह का मामला उजागर किया। कई राज्यों तक नेटवर्क फैला था, लेकिन गिरफ्तारी महज तीन लोगों की हुई। बृजमोहन सिंह, शिवांशु भारती उर्फ शिंकू और डॉ. ललन कुमार गिरफ्तार किए गए।9. सीएमएचओ ऑफिस के माध्यम से मलेरिया ऑफिस में सुपरवाइजरों और फील्ड ऑफिसरों की नियुक्ति में धांधली हुई। कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद नियुक्तियां निरस्त की गईं। जांच समिति अभी मामले की जांच कर रही।10. वर्ष 2016 में इंटर टॉपर बनाने का खेल हुआ। इंटर परीक्षा की कॉपियों में हेरफेर कर टॉपर बनाए गए। बिहार बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह, सचिव हरिहर नाथ झा, पूर्व सचिव एससी तिवारी, वीआर राय कीरतपुर के निदेशक बच्चा राय आदि गिरफ्तार किए गए। मामला अदालत में है।
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