Caste Based Survey : बिहार में किसी भी दिन जारी हो सकता है जाति आधारित गणना का ब्योरा, बस इस बात का इंतजार
Caste Based Survey बिहार में जाति आधारित गणना को लेकर सियासी बयानबाजी जारी है। वहीं दूसरी ओर इससे जुड़ा ब्योरा अब कभी भी जारी हो सकता है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में इसे लेकर सुनवाई हो रही है। केंद्र सरकार हलफनामा दायर कर चुकी है। हलफनामे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चल चुका है। ऐसे में इस सर्वे से जुड़े अफसरों को बस एक ही बात का इंतजार है।
Caste Based Survey : राज्य ब्यूरो, पटना। जाति आधारित गणना का संपूर्ण ब्योरा तैयार हो गया है। इसे किसी भी दिन जारी किया जा सकता है।
इस सर्वे से जुड़े आला अधिकारियों का कहना है कि अब केवल सरकार की अनुमति का इंतजार कर रहे हैं। पूरी तरह से डिजिटल मोड में तैयार इस सर्वे का एक्सेस काफी सहज रखा गया है।
आंकड़ों के संबंध में अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल यह पूर्णत: गोपनीय है। वहीं, यह संकेत मिल रहे कि अति पिछड़े वर्ग से जुड़ी जातियों की संख्या में इजाफा हो सकता है।
अलग-अलग जिलों के साथ समेकित रिपोर्ट भी मुख्यालय पहुंची
आधिकारिक तौर पर मिली जानकारी के अनुसार जाति आधारित गणना (Caste Based Survey) के तहत अलग-अलग जिलों की अलग-अलग रिपोर्ट बनी है। इसके अतिरिक्त पूरे राज्य की एक समेकित रिपोर्ट भी तैयार हुई है। दोनों रिपोर्ट मुख्यालय पहुंच गयी है।
बिहार के बाहर रह रहे लोगों का भी आंकड़ा जिलावार उपलब्ध
सामान्य प्रशासन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिलावार जो आंकड़े तैयार किए गए हैं उनमें यह आंकड़ा भी शामिल है कि संबंधित जिले के कितने लोग बिहार के बाहर किस शहर में हैं। इस क्रम में स्किल और अनस्किल्ड का ब्रेकअप है। प्रोफेशनल की सूची भी अलग से है।
कामकाजी महिलाओं की जानकारी भी एक क्लिक पर
किस जिले में कितनी कामकाजी महिलाएं (Working Woman) हैं, उसकी सूचना को भी फिल्टर किया गया है। यही नहीं, संबंधित जिले की महिलाओं के शैक्षिक स्तर का आंकड़ा भी एक क्लिक पर उपलब्ध होगा। महिलाओं की आर्थिक स्थिति क्षेत्र विशेष में कैसी है, यह सूचना भी सहज उपलब्ध होगी।
सभी जानकारी डिजिटल मोड में, प्रखंड स्तर तक अपलोडिंग
जाति आधारित गणना व सर्वे (Caste Based Survey) से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि जिलों के साथ-साथ प्रखंड से जुड़े आंकड़े भी डिजिटल मोड मे उपलब्ध हो जाएंगे, क्योंकि सभी आंकड़े प्रखंडवार भी सर्वर में अपलोड किए गए हैं।
इसलिए प्रखंड स्तर पर भी यह पता चल सकेगा कि संबंधित इलाके में किस जाति के लोगों की कितनी आबादी है। इससे विकास संबंधी योजनाएं बनाने में सहूलियत होगी।