सीबीआइ करेगी 100 करोड़ के रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल घोटाले की जांच
एक ही मृतक के नाम पर चा-चार बार मुआवजा ले लिया गया था।
पटना । रेल मंत्रालय ने रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल में 5 मई 2015 से 16 अगस्त 2017 के बीच 100 करोड़ से अधिक के घोटाले की जांच सीबीआइ को सौंप दी है। जांच एजेंसी की ओर से इस अवधि की सारी फाइलों की मांग की गई है। एजेंसी की विशेष टीम को इसकी जांच के लिए लगाया गया है।
इसके पहले सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने रेलवे बोर्ड के अनुरोध पर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश उदय यू. ललित की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित की थी। कमेटी ने भी जांच के दौरान प्रथमदृष्टया घोटाले के किंगपिन रहे रेल दावा अभिकरण के न्यायिक सदस्य आरके मित्तल को अनियमितता में दोषी पाया था। इसी आधार पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने मित्तल को निलंबित कर दिया।
ज्ञात हो कि 5 मई 2015 से 16 अगस्त 2017 की अवधि में रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल की ओर से 2564 क्लेम का निष्पादन किया गया था। क्लेम देने में कहीं भी नियम का पालन नहीं किया गया था। ऐसे सौ से अधिक मामले हैं जिनमें एक ही व्यक्ति के नाम पर चार-चार बार मुआवजे की राशि दे दी गई थी। मामला प्रकाश में आते ही रातोंरात उनसे वसूली भी कर ली गई।
इस मामले में दूसरी सबसे बड़ी बात यह देखने को मिली कि मुआवजे की राशि के लिए तीन खास बैंक की शाखाओं को चुना गया था। लाभान्वित होने वाले पीड़ित परिजनों के बैंक खाते के पहचानकर्ता भी पैरवी करने वाले अधिवक्ता ही बनते थे। इतना ही नहीं उनके गांव के बैंक खाते के नाम से चेक का भुगतान न कर अलग से इन्हीं शाखाओं में उनका खाता खुलवाया जाता था। राशि का भुगतान होते ही बैंक खाता भी बंद कर दिया जाता था।
दैनिक जागरण की ओर से 19 फरवरी 2018 को 'क्लेम के नाम पर करोड़ों की हेराफेरी', 21 फरवरी 2018 को 'मुआवजा पहले और बाद में आती थी जांच रिपोर्ट' तथा 22 फरवरी 2018 को 'जेबी संस्था बनाकर रखा गया था रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल को' शीर्षक से खबरें प्रकाशित कर अनियमितता को उजागर करने की कोशिश की गई थी। रेलवे की ओर से खुद ही स्वीकार किया गया था कि 80 लोगों ने एक-एक मृतक के नाम पर चार-चार बार मुआवजा ले लिया था। इस मामले में पूर्व-मध्य रेल के भी कई अधिकारी संदेह के घेरे में हैं।
इस मामले की सीबीआइ जांच होने से अकेले न्यायिक सदस्य आरके मित्तल ही नहीं बल्कि कई बैंककर्मियों के साथ ही बैंक प्रबंधक, रेल थानाध्यक्ष, घोटाले की राशि हड़पने वाले अधिवक्ताओं के साथ ही मामले की लीपापेाती करने वाले कई वरीय रेल अधिकारियों के भी फंसने की संभावना है।