आनंद मोहन की रिहाई का खुलकर विरोध नहीं कर पा रही BJP, इधर IAS एसोसिएशन बोली-पब्लिक सर्वेंट का मनोबल गिरता है
Anand Mohan आनंद मोहन की रिहाई को बिहार में नेताओं की बयानबाजी तेज है। भाजपा नेताओं के सवाल उठाने पर राजद और जदयू नेताओं ने भाजपा नेताओं को आड़े हाथ लिया है। राजद ने कहा कि बीजेपी बिलकिस बानो केस में रिहा किए गए अभियुक्तों पर भी कुछ बोले।
By Jagran NewsEdited By: Roma RaginiUpdated: Wed, 26 Apr 2023 01:19 PM (IST)
जागरण ऑनलाइन डेस्क, पटना। बिहार में बाहुबली और पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई सुर्खियों में है। उनकी रिहाई को लेकर नीतीश सरकार विरोधियों के निशाने पर हैं। अब, सेंट्रल आईएएस एसोसिएशन ने भी बिहार सरकार के इस फैसले का विरोध किया है।
सेंट्रल आईएएस एसोसिएशन ने गोपालगंज के पूर्व डीएम जी कृष्णैया की नृशंस हत्या के दोषियों को रिहा करने के बिहार सरकार के फैसले पर गहरी निराशा जताई है। एसोसिएशन ने कहा कि नियमों में संशोधन कर लोक सेवक की हत्या के आरोप में दोषी को कम जघन्य श्रेणी में फिर से क्लासिफाई नहीं किया जा सकता।आईएएस एसोसिएशन ने कहा कि मौजूदा वर्गीकरण में संशोधन, जो कर्तव्य पर एक लोक सेवक के सजायाफ्ता हत्यारे की रिहाई की ओर ले जाता है, न्याय से वंचित करने के समान है। ऐसे फैसलों से लोक सेवकों के मनोबल में गिरावट आती है, लोक व्यवस्था कमजोर होती है और प्रशासन के न्याय का मजाक बनता है। हमारा सरकार से अनुरोध है कि वो जल्द इस फैसले पर पुर्निविचार करे।
Central IAS Association expresses its deep dismay at the decision of the Bihar Government to release the convicts of the brutal killing of Late G Krishnaiah, IAS, former DM of Gopalganj, by a change in classification rules of prisoners... We strongly request the Bihar Govt to… pic.twitter.com/KWeoszdLU2
— ANI (@ANI) April 25, 2023
भाजपा ने किया आनंद मोहन की रिहाई का स्वागत, इसपर आपत्ति
वहीं, बाहुबली नेता के जेल से रिहा होने पर बिहार में बयानबाजी तेज है। भाजपा खुलकर कुछ नहीं कह रही है लेकिन 26 अन्य कैदियों के छोड़ने का विरोध कर रही है। इसी क्रम में भाजपा विधान मंडल दल के नेता विजय सिन्हा ने मंगलवार को बयान जारी कर अपनी प्रतिक्रिया दी।
विजय सिन्हा ने कहा कि सरकार का यह कदम दुर्भाग्यपूर्ण है। आनंद मोहन को राजनीतिक कारणों से तत्कालीन सरकार द्वारा फंसाया गया था, उनकी रिहाई स्वागत योग्य है। सरकार को उनसे माफी मांगनी चाहिए, लेकिन उनकी आड़ में अन्य 26 अपराधियों की रिहाई सूची में नाम देखकर बिहार के लोग स्तब्ध हैं।
सिन्हा ने कहा कि साल 2016 में जेल मैनुअल में संशोधन आनंद मोहन पर बदले की भावना से कार्रवाई करने के लिए की गई थी। उसी संशोधन का परिणाम है कि सम्पूर्ण सजा काटने के बाद भी उनकी रिहाई नहीं हुई।
इधर, राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी ने भी विजय सिन्हा की बात दोहराई। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पूर्व सांसद आनंद मोहन के बहाने अन्य 26 ऐसे दुर्दांत अपराधियों को भी रिहा करने का फैसला किया, जो एम-वाई समीकरण में फिट बैठते हैं और जिनके बाहुबल का दुरुपयोग चुनावों में किया जा सकता है।उन्होंने कहा कि गंभीर मामलों में दोषसिद्ध अपराधियों की रिहाई का फैसला असंवैधानिक और अनाश्यक है। 2016 में नीतीश सरकार ने ही जेल मैनुअल में संशोधन कर दुष्कर्म, आतंकी घटना में हत्या, दुष्कर्म के दौरान हत्या और ड्यूटी पर तैनात सरकारी कर्मचारी की हत्या को ऐसे जघन्य अपराध की श्रेणी में रखा था, जिसमें कोई छूट या नरमी नहीं दी जाएगी।
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