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Chhath Puja 2024: छठ महापर्व के पहले दिन खुले स्कूल तो शिक्षकों ने लगाया छुट्टी का आवेदन

बिहार में इस बार छठ महापर्व के अवसर पर छुट्टियों में कटौती की गई है। 5 नवंबर को नहाय-खाय के दिन राज्य के सभी स्कूल खुले रहेंगे। पहले 6 नवंबर को भी स्कूल खुले रखने का आदेश दिया गया था जिसे बाद में वापस ले लिया गया । वहीं पहले दिन छुट्टी होने की वजह से कई शिक्षकों ने छुट्टी के लिए आवेदन किया है।

By Jagran News Edited By: Jagran News NetworkUpdated: Tue, 05 Nov 2024 10:48 AM (IST)
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नहाय-खाय के दिन स्कूलों की छुट्टी नहीं
जागरण संवाददाता, पटना। राज्य के सरकारी स्कूल छठ के पहले दिन पांच नवंबर को खुले रहेंगे। स्कूलों में छह से नौ नवंबर तक छठ की छुट्टी घोषित की गई है। 10 नवंबर को रविवार होने के कारण स्कूल 11 नवंबर को खुलेंगे। वहीं छठ के पहले दिन छुट्टी नहीं होने की वजह से व्रतियों को नहाय-खाय के दिन छुट्टी लेनी पड़ रही है. जिला शिक्षा कार्यालय के अनुसार पटना जिले में 40 प्रतिशत शिक्षिकाओं ने नहाय-खाय के दिन के लिए छुट्टी का आवेदन दिया है। कुछ शिक्षकों ने भी छुट्टी का आवेदन दिया है।

नहाय-खाय की छुट्टी में कटौती

बिहार से बाहर उत्तर प्रदेश के रहने वाले अधिसंख्य शिक्षक दीपावली के बाद छुट्टी का आवेदन देकर घर चले गए हैं। छुट्टी का आवेदन देने वालों में सबसे अधिक दूरदराज क्षेत्र से आने वाले शिक्षक शामिल हैं। जिले में कुल 22 हजार महिला-पुरुष शिक्षक कार्यरत हैं। शिक्षकों ने बताया कि पिछले वर्ष तक नहाय-खाय के दिन से विद्यालय बंद कर दिया जाता था। इस बार नहाय-खाय की छुट्टी में कटौती की गई है। खरना के दिन भी छह नवंबर को स्कूल खुला रखने का आदेश दिया गया था, लेकिन शिक्षक संघ के दबाव पर शिक्षा विभाग ने खरना के दिन छुट्टी देने की घोषणा की।

सरकारी स्कूलों में मिलेगा पका-पकाया भोजन

राज्य के सरकारी प्रारंभिक विद्यालयों के लिए अच्छी खबर है. स्कूलों में अब बच्चों को अब पका-पकाया भोजन उपलब्ध कराया जाएगा। शिक्षा विभाग ने पीएम पोषण योजना के तहत मध्याह्न भोजन व्यवस्थापक के माध्यम से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में बच्चों को पका-पकाया भोजन उपलब्ध कराने का फैसला लिया है।

पहले चरण में चिन्हित 10 जिलों में चयनित दो-दो पंचायत यानी कुल 20 पंचायतों के सभी विद्यालयों में प्रोजेक्ट लागू होगा। ये जिले मधुबनी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, गया, वैशाली, पूर्वी चंपारण, पूर्णिया, भागलपुर, लखीसराय और औरंगाबाद हैं।

पीएम पोषण योजना निदेशालय के निदेशक विनायक मिश्र ने सोमवार को पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने हेतु संबंधित जिलाधिकारियों को पत्र भेजा है। इसके मुताबिक विद्यालयों में मध्याह्न भोजन तैयार कराने एवं बच्चों के खिलाने में अधिकतर समय व्यर्थ जाता है। इसके कारण बच्चों एवं शिक्षकों का बहुमूल्य समय नष्ट होता है। इसलिए बच्चों को पका-पकाया भोजन उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है।

इसके लिए जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा प्रत्येक पंचायत के लिए मध्याह्न भोजन व्यवस्थापक एवं सहायक व्यवस्थापक को चयनित किया जाएगा। जिसके ऊपर योजना के संचालन की पूर्ण जवाबदेही होगी। इनमें खाद्य सामग्री क्रय करना, भोजन बनवाना, बच्चों को भोजन खिलाना व रसोईघर की साफ-सफाई समेत अन्य कार्य शामिल हैं।

जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा व्यवस्थापक एवं सहायक व्यवस्थापक का चयन किया जाएगा। व्यवस्थापक के लिए शिक्षा सेवक/विकास मित्र/प्रखंड साधन सेवी (मध्याह्न भोजन योजना) अथवा प्रखंड/पंचायत स्तर पर उपलब्ध किसी मानवबल से चयन किया जा सकता है। व्यवस्थापक की शैक्षणिक योग्यता कम से कम स्नातक होनी चाहिए।

सहायक की योग्यता मैट्रिक अथवा इंरमीडिएट होनी चाहिए। मध्याह्न भोजन योजना के तहत विद्यालयों में रसोइया व सहायक रसोइया कार्यरत है। इनमें से कई रसोइया की शैक्षणिक योग्यता स्नातक है। यदि ऐसे रसोइया स्वेच्छा से व्यवस्थापक का दायित्व निभाना चाहते है तो उनके चयन पर भी विचार किया जा सकता है। जिस किसी कर्मी को व्यवस्थापक का दायित्व दिया जाएगा, वे अपने कार्य के अतिरिक्त उक्त दायित्व का भी निर्वहन करेंगे। कार्य हेतु उन्हें अलग से वेतन/मानदेय या अन्य भत्ता देय नहीं होगा।

व्यवस्थापक का कार्य जिस तिथि से व्यवस्थापक द्वारा मध्याह्न भोजन का संचालन किया जाएगा उस तिथि से खाद्यान्न का स्टाक उसकी देखरेख में रहेगा। मानक के अनुसार कक्षा पहली से पांचवी तक के प्रति छात्र प्रतिदिन 100 ग्राम चावल और कक्षा छठी से आठवीं तक के प्रति छात्र 150 ग्राम चावल उपयोग किया जाएगा।

पंजी का संधारण व्यवस्थापक के जिम्मे होगा और प्राप्त खाद्यान्न की मात्रा, उपयोग किए गए खाद्यान्न की मात्रा, प्राप्त राशि, खाद्य सामग्री क्रय हेतु व्यय राशि आदि पंजी दर्ज करेंगे। भोजन बनाने हेतु पहली से पांचवीं कक्षा तक के प्रति छात्र पांच रुपये 45 पैसे और छठी से आठवीं कक्षा तक के प्रति छात्र आठ रुपये 17 पैसे तय है।

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