Bihar Politics: चाचा-भतीजे को एक साथ ले आया आरक्षण, BJP-JDU ने किया विरोध, खुलकर सामने आए चिराग-पारस
अनुसूूचित जातियों के आरक्षण में उप वर्गीकरण के विरोध में बुधवार को बुलाए भारत बंद का देशव्यापी असर देखने को मिला। हालांकि आरक्षण के इस मुद्दे ने एक-दूसरे के धुर-विरोधी बन चुके चाचा-भतीजे को एक साथ ले आ दिया। दरअसल चिराग पासवान और पशुपति पारस ने भारत बंद का खुलकर समर्थन किया। ऐसा तब हुआ जब भाजपा और जदयू ने भारत बंद के औचित्य पर ही सवाल खड़ा कर दिया।
राज्य ब्यूरो, पटना। अनुसूूचित जातियों के आरक्षण में उप वर्गीकरण के विरोध में बुधवार को आयोजित भारत बंद में भी राजग के घटक दलों का सुर अलग-अलग रहा।
दिलचस्प बात यह है कि परस्पर विरोधी की भूमिका निभा रहे लोजपा (रा) राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान और रालोजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने एकसाथ इस बंद का समर्थन किया।
भारत बंद के समर्थन में क्या बोले चिराग
चिराग पासवान ने अपने एक्स पर पोस्ट में लिखा, "एससी-एसटी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में शांतिपूर्ण तरीके से भारत बंद के फैसले का मैं और मेरी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रा.) नैतिक रूप से समर्थन करते हैं। समाज के शोषितों और वंचितों के हक की आवाज बनना हमारा कर्तव्य है। मैं हूं तबतक आरक्षण में किसी भी प्रकार का बदलाव संभव नहीं है।"पशुपति पारस ने भी भारत बंद का खुलकर किया समर्थन
रालोजपा अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने कहा कि अजा-अजजा के आरक्षण में उप वर्गीकरण उचित नहीं है। यह संविधान में भी नहीं है। ऐसे में सर्वोच्च न्यायालय की ओर से दी गई व्यवस्था के विरोध में विभिन्न संगठनों का भारत बंद एक जनतांत्रिक आंदोलन बन गया है।उन्होंने दावा किया कि रालोसपा का जन संगठन दलित सेना के कार्यकर्ता भी बंद के समर्थन में सड़क पर उतरे।
इस मुद्दे पर आंदोलन का कोई औचित्य नही: सम्राट चौधरी
उप मुख्यमंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता सम्राट चौधरी ने कहा कि क्रीमीलेयर के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की राय (ऑब्जर्वेशन) को मानने से जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं इनकार कर दिया। इस पर कैबिनेट की मुहर लग गई, तब इस मुद्दे पर कोई आंदोलन-प्रदर्शन करने का कोई औचित्य नहीं था।उन्होंने कहा कि मुद्दा छिन जाने से बौखलाए विपक्ष ने आंदोलन के बहाने उत्पात किया। इस बंद को आम जनता का समर्थन नहीं मिला।
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