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Bihar Politics: दावा माई-बाप का, मगर भरोसा M-Y पर; जानें लोकसभा चुनाव में क्या है लालू-तेजस्वी पूरी रणनीति

आरजेडी 2019 के लोकसभा चुनाव में बड़ी हार का सामना कर चुकी है। ऐसे में वह इस चुनाव में अपना हर एक कदम फूंक-फूंक कर रख रही है। परिणामों को पार्टी हित में करने के लिए ही एमवाई के साथ ही राजद बहुजन अगड़ा आधी आबादी और पुअर यानी गरीब की पार्टी होने का दावा जरूर कर रहा है लेकिन अपने कोर वोटर मुस्लिम-यादव को लेकर बेहद सतर्क है।

By Vikash Chandra Pandey Edited By: Mohit Tripathi Updated: Sun, 07 Apr 2024 11:52 PM (IST)
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लोकसभा चुनाव में क्या है लालू-तेजस्वी रणनीति। (फाइल फोटो)
सुनील राज, पटना। महागठबंधन का प्रमुख घटक राजद 2019 के लोकसभा चुनाव में बड़ी पराजय का सामना कर चुका है। लिहाजा इस चुनाव वह अपना हर कदम फूंक-फूंक कर रख रहा है। चुनाव परिणामों को पार्टी हित में करने के लिए ही एम-वाइ फैक्टर के साथ ही राजद बहुजन अगड़ा, आधी आबादी और पुअर यानी गरीब की पार्टी होने का दावा जरूर कर रहा है, लेकिन अपने कोर वोटर यानी मुस्लिम और यादव को लेकर वह बेहद सतर्क है।

पार्टी की नजर 13 ऐसे लोकसभा क्षेत्रों पर है जहां मुस्लिम आबादी 12 से लेकर 65 प्रतिशत तक है। इसके अलावा यादव बहुल क्षेत्रों पर भी पार्टी पैनी नजर रखे हुए हैं।

एम-वाई का क्या है समीकरण?

गौर करने वाली बात यह है कि 2023 में हुई जाति आधारित गणना के आंकड़ों के अनुसार, 14.26 प्रतिशत के आसपास है। जबकि मुस्लिम आबादी 17.7 प्रतिशत के करीब है। दोनों जातियों को यदि मिला दिया जाए तो यह आंकड़ा 31 प्रतिशत से ज्यादा हो जाता है।

23 सीटों पर खुद मैदान में होगा राजद 

महागठबंधन में सीट बंटवारे में राजद ने अपने पास 26 सीटें रखी थीं। जिसमें से अब तीन सीटें विकासशील इंसान पार्टी को देने का निर्णय हुआ है। 23 सीटों पर राजद खुद मैदान में होगा। शेष बची 14 सीटें महागठबंधन के अन्य सहयोगियों को दी गई हैं।

एम-वाई दबदबे वाली सीटों पर लड़ रही राजद

राजद ने अपने पास वैसी सीटें रखी हैं जिन पर मुसलमान और यादव बहुल आबादी का दबदबा है। इन सीटों में किशनगंज के अलावा कटिहार, अररिया, पूर्णिया, मधुबनी, दरभंगा, सीतामढ़ी, पश्चिमी चंपारण, सिवान, शिवहर, खगड़िया सुपौल, भागलपुर, मधेपुरा, औरंगाबाद, और गया हैं।

किशनगंज-कटिहार में कांग्रेस

किशनगंज सीट पर सर्वाधिक करीब 67 प्रतिशत मुस्लिम हैं। हालांकि यह सीट बंटवारे में कांग्रेस के पास गई है। लेकिन सीट पर जीत राजद के लिए चुनौती है। इस सीट पर कांग्रेस का मुकाबला जदयू उम्मीदवार मुजाहिद आलम से होना है।

कटिहार सीट जहां करीब 37-38 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है, उस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार तारिक अनवर का मुकाबला जदयू के दुलालचंद गोस्वमी से होगा।

इन सीटों पर मुस्लिम समीकरण

इन दो सीटों के अलावाम अररिया, पूर्णिया, सीतामढ़ी, दरभंगा, मधुबनी, सिवान, शिवहर, सुपौल, मधेपुरा, औरंगाबाद जैसी सीटों पर जीत तभी संभव है, जब यहां का मुस्लिम मतदाता उस दल के साथ हो।

क्या कहते हैं राजद के आंकड़े?

राजद द्वारा संग्रहित आंकड़ों के मुताबिक, अररिया में 32 प्रतिशत, पूर्णिया में 30, दरभंगा में 22, मधुबनी में 24, सीतामढ़ी में 21 प्रतिशत आबादी मुसलमानों की है।

वहीं, सिवान, शिवहर, मधेपुरा, सुपौल और औरंगाबाद में कमोबेश मुस्लिम आबादी 15 से 16 प्रतिशत के करीब है। यह वह आबादी है जिसका रुझान शुरू से राष्ट्रीय जनता दल की ओर रहा है। लिहाजा राजद मुस्लिम मतदाताओं के मुद्दों और जरूरतों को ध्यान में रखकर अपने उम्मीदवार तय कर रहा है।

इन सीटों का क्या है हाल?

मुस्लिम बाहुल्य वाले इस क्षेत्र में कुछ ऐसे भी पाकेट हैं, जहां यादवों की आबादी का प्रतिशत वोट जिताने का माद्दा रखता है। इन क्षेत्रों में दरभंगा, मधुबनी, वैशाली, मधेपुरा, सहरसा, बांका जैसे क्षेत्र हैं। दरभंगा में मुस्लिम व यादव के अलावा राजपूत, ब्राहमण के अलावा भूमिहार, कुर्मी, पासवान और यादवों की संख्या भी काफी है। बांका में तीन लाख से अधिक यादव वोटर हैं।

वैशाली में मधेपुरा में 14 प्रतिशत से अधिक यादव हैं। इन क्षेत्रों में यदि मुस्लिम और यादव जिस दल के पक्ष में एकजुट हो गए वहां उस पार्टी के उम्मीदवार की जीत तय मानी जाती है। राजद के पास 2019 की पराजय बड़ा सबक है। इसलिए सीट बंटवारे का मामला हो फिर प्रत्याशी चयन का। पार्टी हर कदम बेहद सोच समझ के साथ उठा रही है।

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