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Samastipur News: मानकों की अनदेखी पड़ी भारी, अब जेब से हेडमास्टर को भरने होंगे पैसे; हाई कोर्ट ने सुनाया फैसला

Bihar News बिहार के समस्तीपुर में मानकों की अनदेखी कर क्लास-रूम का निर्माण कराया गया था। यह मामला हाई कोर्ट (Patna High Court) तक पहुंच गया। इसपर अब फैसला आया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हेडमास्टर और निर्माण से जुड़े सभी लोगों से राशि वसूल किया जाना चाहिए। कोर्ट ने इसको लेकर बिहार सरकार को निर्देश भी दिया है।

By Vikash Chandra Pandey Edited By: Mukul Kumar Updated: Thu, 25 Jul 2024 08:22 PM (IST)
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प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर
विधि संवाददाता, पटना। मानकों की अनदेखी कर क्लास-रूम का निर्माण कराने के मामले पर पटना हाई कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए खर्च की गई सरकारी राशि की वसूली करने का आदेश राज्य सरकार को दिया है।

न्यायाधीश अनिल कुमार सिन्हा की एकलपीठ ने स्कूल के हेडमास्टर मुकेश कुमार पंडित सहित विद्यालय शिक्षा समिति के अध्यक्ष कौशल्या देवी एवं सचिव लाली देवी की रिट याचिका को खारिज करते हुए उक्त आदेश दिया।

इसके साथ कोर्ट ने क्लास रूम के निर्माण की माप पुस्तिका को सहायक अभियंता नीलोत्पल बिपिन और कनिष्ठ अभियंता चितरंजन कुमार और प्रेम कुमार की ओर से प्रमाणित किए जाने पर उनके खिलाफ कार्रवाई का भी आदेश दिया।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि पहले से इन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है, तो उनके खिलाफ कार्रवाई करें। मामला समस्तीपुर स्थित मोरवा ब्लॉक के सैदपुर प्राथमिक विद्यालय से संबंधित है।

याचिकाकर्ताओं ने 14.07.2012 को जिला शिक्षा अधिकारी, समस्तीपुर के समक्ष एक आवेदन प्रस्तुत किया, जिसमें स्कूल परिसर में छह अतिरिक्त क्लास रूम के निर्माण के लिए निधि की मांग की गई थी।

याचिकाकर्ताओं के प्रस्ताव के जवाब में सरकार द्वारा निर्माण के लिए निधि स्वीकृत की गई। सुनील कुमार वर्मा तकनीकी पर्यवेक्षक को निर्माण कार्य के तकनीकी पर्यवेक्षण का कर्तव्य सौंपा गया।

निर्माण कार्य के निरीक्षण में पाया गया कि निर्माणाधीन भवन की पाइलिंग की गहराई 11 फीट छह इंच की जगह मात्र चार फीट ही की गई है।

जांच अधिकारी की क्या थी रिपोर्ट

जांच अधिकारी ने पाया कि क्लास रूम उपयोग के लिए सुरक्षित नहीं है और किसी भी समय भवन गिर सकता है। निर्मित क्लास रूम को ध्वस्त कर और जिम्मेदार व्यक्तियों से सरकारी राशि की वसूली करने की अनुशंसा की गई।

समस्तीपुर के डीईओ ने 28 जून 2014 को पत्र जारी कर तीनों आवेदकों को पन्द्रह दिनों के भीतर अपनी जेब से विद्यालय शिक्षा समिति के खाता में तीन लाख 86 हजार पांच सौ 63 रुपये जमा करने का आदेश निर्गत किया।

इस आदेश को हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर कर चुनौती दी गई। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि डीईओ के आदेश में कोई खामी नहीं हैं और आवेदकों से कानून के अनुसार राशि की वसूली की जानी चाहिए।

कोर्ट ने कहा कि यह हैरान करने वाले तथ्य हैं, क्योंकि प्रधानाध्यापक जो छात्रों की उचित शिक्षा के लिए जिम्मेदार हैं, उन्होंने मिलीभगत करके कक्षाओं के निर्माण के लिए धन का दुरुपयोग किया।

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