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Bihar Politics: किसके आगे विवश हैं नीतीश के मंत्री? पुल प्रकरण के बीच कांग्रेस ने बताई अंदर की बात, गरमाई सियासत

Bihar Bridge Collapse बिहार में धड़ाधड़ पुल गिर रहे हैं। इसको लेकर विपक्ष लगातार नीतीश कुमार की सरकार पर सवाल रहा है। इस बीच अब कांग्रेस ने अलग डिमांड कर दी है। बिहार कांग्रेस के मीडिया विभाग के चेयरमैन राजेश राठौड़ ने कहा कि भ्रष्ट अधिकारी-इंजीनियरों और ठेकेदारों की मिलीभगत से जनता की कमाई लूटी जा रही है। नए बयान से सियासत तेज होने की उम्मीद है।

By Vikash Chandra Pandey Edited By: Mukul Kumar Updated: Sun, 07 Jul 2024 04:30 PM (IST)
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बिहार के सीएम नीतीश कुमार। फोटो- जागरण

राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Politics In Hindi कांग्रेस (Congress) की मांग है कि पिछले डेढ़ दशक के दौरान राज्य में निर्मित पुल-पुलिया (Bihar Bridge Collapse) के निर्माण की गुणवत्ता की जांच न्यायिक आयोग से कराई जाए।

बिहार कांग्रेस के मीडिया विभाग के चेयरमैन राजेश राठौड़ ने बयान जारी कर कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चाहिए कि एक न्यायिक आयोग का गठन करें, ताकि जांच में लीपापोती की गुंजाइश ही नहीं बचे। एक के बाद ध्वस्त हुए पुल-पुलिया के कारण जनता में रोष है और यातायात-जनित सुरक्षा की चिंता भी बढ़ी है।

उन्होंने कहा कि भ्रष्ट अफसरों-इंजीनियरों और ठेकेदारों की मिलीभगत से जनता की गाढ़ी कमाई लूटी जा रही। निर्माण कार्य से जुड़े सरकारी विभागों में सत्ता के संरक्षण में माफिया हावी है। उसके आगे विभागीय मंत्री तक विवश हैं। साक्ष्य मिटाने के लिए सचिवालय में जब-तब हुए अग्निकांडों की भी जांच होनी चाहिए।

सिवान में बारह दिनों में चार पुल ने ली जलसमाधि

बिहार के सिवान जिले में चार पुल 12 दिनों में विभागीय उदासीनता के कारण ध्वस्त हो चुके हैं। इनमें कुछ पुल जर्जर हालत में थे। उस पर विभाग ने ध्यान नहीं दिया, तो कुछ निर्माण कार्य में गुणवत्ता की अनदेखी होने के कारण समय से पूर्व ही ध्वस्त हो गए, इससे करोड़ों का नुकसान हुआ।

पुल ध्वस्त होने के बाद डीएम मुकुल कुमार गुप्ता ने जिले के सभी जर्जर पुल का सर्वे कराया। इसमें नौ प्रखंड में 46 पुल-पुलिया जर्जर पाए गए। सर्वे के बाद तीन जुलाई को महाराजगंज प्रखंड में तीन पुल ध्वस्त हो गए थे। इनमें देवरिया, टेघड़ा व तेवथा के पुल शामिल हैं।

इसके अलावा 22 जून को दारौंदा प्रखंड के रामगढ़ा पंचायत के गरौली में भी गंडक नदी (शाखा) छाड़ी पर बना पुल ध्वस्त हो गया था। ये सभी पुल सर्वे में शामिल थे। पुल गिरने के बाद विभागीय अधिकारियों के साथ-साथ प्रशासनिक महकमे में भी हलचल मच गई थी।

आनन फानन में पहुंचे अधिकारियों ने उसकी जांच की तो विभागीय उदासीनता सामने आई। पुल टूटने से ग्रामीणों का कई गांवों से संपर्क टूट गया। फिलहाल पुलों पर आवागमन पर रोकने के लिए बैरिकेडिंग कर दी गई है तथा देखरेख के लिए कर्मियों की तैनाती कर दी गई है।

इस तरह से हुआ पुल का निर्माण

पुल बने लेकिन नहीं की गई मरम्मतपुलों की स्थिति पर नजर डालें तो महाराजगंज प्रखंड के टेघड़ा पंचायत में ध्वस्त पुल का निर्माण 1990 में किया गया। इस पुल का निर्माण ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा कर किया था। इस पर पांच लाख की लागत आई थी।

ग्रामीणों के अनुसार पुल के निर्माण के बाद आजतक विभाग के तरफ से कोई मरम्मती नहीं की गई। वहीं तेवथा पंचायत में सिकंदरपुर-नौतन के बीच ध्वस्त पुल का निर्माण तत्कालीन सांसद प्रभुनाथ सिंह ने 1998 में अपने सांसद मद से छह लाख की लागत से कराया था।

ग्रामीणों ने कई बार गंडक विभाग को पुल की मरम्मती के लिए आवेदन दिया, लेकिन 26 वर्ष बीत गए विभाग ने कोई मरम्मती नहीं कराई। देवरिया पंचायत में ध्वस्त पुल तत्कालीन सांसद प्रभुनाथ सिंह द्वारा 2004 में अपने सांसद मद से 10 लाख की लागत कराया गया था। 

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