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बिहार का वो परिवार जिसे सांसद, CM, केंद्रीय मंत्री और विधायक पद मिला, उसमें आज कांग्रेस का एक भी सदस्य नहीं

देश की राजनीति में पुरानी और बड़ी पार्टी कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लगता रहा है। इन दिनों भी इसे लेकर बहस छिड़ी हुई है। बिहार में भी कांग्रेस से जुड़ा एक परिवार है जिसने न सिर्फ स्वतंत्रता आंदोलन बल्कि आजादी के बाद के वर्षों में भी देश की राजनीति में अपना अहम योगदान दिया। इस परिवार को यहां बलुआ बाजार परिवार के नाम से जाना जाता है।

By Arun AsheshEdited By: Yogesh SahuUpdated: Tue, 22 Aug 2023 02:48 PM (IST)
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बिहार का वो परिवार जिसे सांसद, CM, केंद्रीय मंत्री और विधायक पद मिला, उसमें कांग्रेस का एक भी सदस्य नहीं

अरुण अशेष, पटना। देश की राजनीति में परिवारवाद पर चल रही बहस के बीच कांग्रेस एक ऐसे वृहत परिवार में स्वयं को खोज रही है, जिससे उसका रिश्ता 1920 के दौर में महात्मा गांधी के माध्यम से बना था।

कांग्रेस से जुड़कर इस परिवार के सदस्य केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री, राज्य सरकार में मंत्री, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष, सांसद और विधायक बने। आज की तिथि में इस परिवार का कोई भी सदस्य कांग्रेस में सक्रिय नहीं है।

बलुआ बाजार परिवार के नाम से जानते हैं लोग

बिहार के लोग इस परिवार को बलुआ बाजार परिवार के नाम से जानते हैं। बलुआ सुपौल जिले का एक गांव है। स्वतंत्रता आंदोलन में इस परिवार की शानदार भूमिका रही है।

परिवार के प्रथम कांग्रेसी राजेंद्र मिश्र उर्फ राजा बाबू थे। वे महात्मा गांधी के करीब आए। राजा बाबू कांग्रेस के विधान परिषद सदस्य, विधायक और प्रदेश कमिटी के अध्यक्ष बने।

स्वतंत्रता आंदोलन में परिवार के 11 सदस्यों ने लिया था हिस्सा

परिवार के कुल 11 सदस्यों ने स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिया था। छोटे भाई ललित नारायण मिश्र जब सक्रिय हुए तो राजा बाबू ने राजनीति से संन्यास ले लिया।

ललित बाबू लंबे समय तक बिहार के अलावा केंद्र की राजनीति में धुरी बने रहे। 1975 में उनकी हत्या हुई, उस समय के लोग बताते हैं कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी उन्हें प्रतिद्वंद्वी मानने लगी थीं।

उनके बाद डॉ. जगन्नाथ मिश्र की सक्रियता बढ़ी। वे रिकॉर्ड तीन बार मुख्यमंत्री और एक बार केंद्रीय मंत्री रहे। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। बीच की अवधि में इसी परिवार के अमरेंद्र मिश्र विधायक और मंत्री रहे।

कह सकते हैं कि डॉ. जगन्नाथ मिश्र इस परिवार से जुड़े अंतिम सक्रिय कांग्रेसी थे। कांग्रेस के पराभव को देखकर वह जदयू में शामिल हुए। इस दल के किसान प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने।

आज भी सक्रिय राजनीति में परिवार के कई सदस्य

इस समय भी परिवार के कई सदस्य राजनीति में सक्रिय हैं। ललित नारायण मिश्र के पुत्र विजय कुमार मिश्र 1984 में दलित मजदूर किसान पार्टी (दमकिपा) से दरभंगा से लोकसभा से चुनाव जीते।

बाद में वे भाजपा के विधायक और जदयू के विधान परिषद सदस्य बने थे। उनके पुत्र ऋषि मिश्र जदयू टिकट पर विधायक बने। हारे तो कुछ दिनों के लिए कांग्रेस में गए। इस समय राजद में हैं।

समाजसेवा भी जुड़े हैं परिवार के लोग

डॉ. मिश्र के तीसरे और सबसे छोटे पुत्र जदयू से पहली बार विधायक बने। नीतीश कुमार और जीतनराम मांझी की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। भाजपा के विधायक हैं। डॉ. मिश्र के दो पुत्र संजीव कुमार मिश्र और मनीष कुमार मिश्र समाज सेवा से जुड़े हैं।

दोनों की दलीय प्रतिबद्धता प्रकट नहीं है। स्व. मृत्युंजय नारायण मिश्र के तीन पुत्रों में से दो आनंद मिश्र और राजीव मिश्र राजनीति में सक्रिय हैं। आनंद मिश्र जहां भाजपा की राजनीति कर रहे हैं, राजीव मिश्र विकासशील इंसान पार्टी से संबद्ध हैं।

इसी परिवार के श्याम नारायण मिश्र के पुत्र प्रमिल कुमार मिश्र कह रहे हैं कि उनका जुड़ाव किसी पार्टी के बदले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से है।

कांग्रेस खोज रही है

कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और सुपौल के प्रभारी तारानंद सदा बताते हैं कि हम उन परिवारों में जा रहे हैं, जो कभी हमसे जुड़े थे। क्या बलुआ बाजार परिवार का कोई सदस्य इस समय आपकी पार्टी में नहीं है?

सदा इस प्रश्न का सीधा जवाब नहीं दे पाए। उन्होंने कहा कि हम उनके बीच जा रहे हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए। परिवार में कोई न कोई कांग्रेस से जरूर जुड़े होंगे।

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