कांग्रेस की बुरी हार में अपनी जीत देख रहे JDU-RJD, सीटों के बंटवारे के लिए अब 'जमीन' पर होगी बात
Congress Bihar Politics कांग्रेस पार्टी की तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में हुई हार उसके लिए एक बड़ा सबक है। आइएनडीआइए की मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए इस गठबंधन के घटक दलों जदयू-राजद सपा और वामपंथी दलों के साथ उसे तालमेल बैठाना होगा। बहरहाल अब लोकसभा चुनावों की बारी है। इससे पहले कांग्रेस को तालमेल से तोलमोल तक का रास्ता तय करना होगा।
By Arun AsheshEdited By: Yogesh SahuUpdated: Mon, 04 Dec 2023 02:29 PM (IST)
अरुण अशेष, पटना। Congress Bihar Politics : हिन्दी पट्टी के तीन राज्यों में बुरी हार से कांग्रेस भले दुखी हो, लेकिन आइएनडीआइए से जुड़े बिहार के क्षेत्रीय दल इसमें अपनी जीत देख रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि कांग्रेस अब जमीन पर आकर बात करेगी।
विपक्षी दलों को एकजुट करने की मुहिम शुरू करने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कांग्रेस के व्यवहार को लेकर एक हद तक क्षुब्ध थे। राजद भी लोकसभा चुनाव में राज्य में कांग्रेस की 10 सीटों की मांग से दुविधा में था।
उसे डर लग था कि कांग्रेस जिद पर अड़ी तो सहयोगी तीन वाम दलों का क्या होगा। वाम दलों को कम से कम चार सीटें चाहिए। राजद का दुख मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में सपा के प्रति कांग्रेस के खराब व्यवहार को लेकर था।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की टिप्पणी से सपा प्रमुख अखिलेश यादव आहत थे। उनके माध्यम से यह दुख राजद तक पहुंच गया था। डर यह कि कांग्रेस अगर पांच में से तीन राज्यों में भी जीत जाती है तो बिहार और उत्तर प्रदेश के अगले चुनावों में वह मनमर्जी करेगी।
सपा इसके लिए तैयार नहीं होती। बदली हुई हालत में राजद को लग रहा है कि लोकसभा चुनाव के समय सहयोगियों के बीच सीटों के बंटवारे में कोई परेशानी नहीं होगी। 16-16 सीटें राजद जदयू के बीच बंट जाएंगी।
बची आठ सीटों में कांग्रेस और तीन वाम दलों-भाकपा, माकपा और भाकपा माले का गुजारा हो जाएगा। बिहार में कांग्रेस के सामने उम्मीदवारों का भी संकट रहा है। 2019 में उसे नौ सीटें दी गई थीं। इसके लिए उसे पांच उम्मीदवार उधार लेने पड़े थे।
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