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Dengue Virus: डेंगू से बचाव के लिए गर्भवती महिलाओं के साथ बच्चे-बुजुर्गों को बरतनी चाहिए ये खास सावधानी

Dengue राजधानी पटना सहित देश के कई हिस्सों में डेंगू का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में डेंगू का संक्रमण उन लोगों को ज्यादा रहता है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता सामान्य लोगों की तुलना में कम होती है। इसमें गर्भवती महिलाओं के साथ बच्चे बुजुर्ग और लंबे समय से बीमार चल रहे लोग शामिल हैं। गर्भवती महिला के लिए अंतिम के तीन महीने सबसे ज्यादा खतरनाक होते हैं।

By Pawan MishraEdited By: Monu Kumar JhaUpdated: Thu, 05 Oct 2023 01:05 PM (IST)
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डेंगू से बचने के लिए गर्भवती महिलाओं को बरतनी चाहिए खास सावधानी। फोटो जागरण
जागरण संवादाता,पटना। Dengue Virus: शहरी के साथ अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी डेंगू संक्रमण (Dengue Infection) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। डॉक्टरों के अनुसार ऑटो इम्यून रोग (Auto Immune Disease) होने की वजह से कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण गर्भवती महिलाएं (Pregnant Women), बच्चे, बुजुर्ग और लंबे समय से बीमार चल रहे सभी लोग इसके आसानी से शिकार हो जाते हैं।

गर्भवती महिलाओं को इसलिए डेंगू से बचाव (Dengue Prevention) के लिए खास एहतियात बरतने की जरूरत है क्योंकि स्लाइन या दवाएं देने से गर्भपात, समय से पूर्व बच्चे का जन्म या हैमरेजिक होने पर गर्भस्थ शिशु का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।

अभी तक पीएमसीएच-एनएमसीएच (PMCH-NMCH), आइजीआइएमएस (IGIMS) व एम्स पटना (AIIMS Patna) में डेंगू संक्रमित गर्भवती महिलाएं बहुत कम संख्या में पहुंचती हैं लेकिन वायरस के खतरनाक डेन-4 समेत चारों वायरस सक्रिय होने से डॉक्टर इन्हें बचाव के साथ बुखार होने पर खास एहतियात बरतने की सलाह दे रहे हैं। जिस कारण, इन्हें स्लाइन चढ़ाने या या अन्य दवाएं देने पर समय पूर्व प्रसव का खतरा रहता है।

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बताते चलें कि अभी जिले में पुरुषों की तुलना में डेंगू की चपेट में आने वाली महिलाओं की संख्या करीब आधी है और उसमें भी गर्भवती की संख्या बहुत कम है।

अंतिम के तीन माह में डेंगू संक्रमण ज्यादा खतरनाक 

पीएमसीएच के मेडिसिन विशेषज्ञ सह डेंगू के पूर्व नोडल पदाधिकारी डा. पूर्णानंद झा ने बताया कि डेंगू में तेज बुखार होता है, ऐसे में स्पंजिंग व मुंह भरपूर मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन नहीं करने पर गर्भपात (Abortion) व समय पूर्व प्रसव तक हो सकता है। वहीं बुखार कम होने के बावजूद यदि मरीज का बीपी लो हुआ या प्लेटलेट्स काउंट्स कम हुए तो अत्यधिक रक्तस्राव के साथ अबार्शन (गर्भपात) तक हो सकता है।

अंतिम के तीन माह में खतरा सबसे ज्यादा होता है क्योंकि इसमें वायरस व बैक्टीरिया हमले का खतरा ज्यादा होता है। इस दौरान प्रसव कराने पर भी अधिक रक्तस्राव का खतरा रहता है और जन्म के बाद नवजात भी संक्रमित हो सकता है।

इन बातों का रखें ध्यान

डेंगू नहीं हो इसके लिए दरवाजे-खिड़की में जाली लगवाने के साथ 24 घंटे मॉस्किटो रिपेलेंट का प्रयोग करें और घर व आसपास पानी नहीं जमा होने दें।

तेज बुखार होने पर नल के पानी से पूरे शरीर को तबतक पोछें जबतक तापमान सौ डिग्री से कम नहीं हो जाएं।

भरपूर मात्रा में तरल पदार्थ लेने के साथ लगातार डॉक्टर के संपर्क में रहें।

जी मिचलाने, दर्द समेत कोई दवा खुद से नहीं लें।

उल्टी या कम पानी पीने से गर्भस्थ शिशु की धड़कन प्रभावित होने पर तुरंत सिजेरियन करना पड़ सकता है लेकिन एनेस्थीसिया देना खतरनाक हो सकता है।

सही समय पर उपचार से यह रोग पूरी तरह ठीक हो जाता है लेकिन स्वस्थ होने के बाद भी बीपी-पल्स रेट आदि पर नजर रखते हुए भरपूर आराम करना चाहिए।

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