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बिहार: मंत्री रामप्रीत पासवान को अपने ही विभाग के आंकड़े पर भरोसा नहीं, जांच का आदेश देकर कहा - कड़ी कार्रवाई करेंगे

स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) ने सीएम नीतीश की महत्‍वकांक्षी योजना हर घर नल का जल के बारे में रिपोर्ट दिया है। 18 प्रमंडल के 90 प्रतिशत घरों में नल का जल पहुंचाने का दावा है। इस आंकड़े पर संदेह जताते हुए मंत्री रामप्रीत पासवान ने जांच का आदेश दिया है।

By Akshay PandeyEdited By: Updated: Thu, 01 Apr 2021 10:50 PM (IST)
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बिहार में हर घर नल का जल नहीं पहुंच पाया है। प्रतीकात्मक तस्वीर।

राज्य ब्यूरो, पटना: यह कोरोना का असर है या विभाग की लापरवाही, लाख कोशिशों के बावजूद हर घर नल का जल नहीं पहुंच पाया है। कम से कम लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) की अपनी रिपोर्ट यही बता रही है। विभाग के 42 में से सिर्फ 18 प्रमंडलों में 90 प्रतिशत से अधिक घरों में नल का कनेक्शन दे दिया गया है। बाकी प्रमंडलों की हालत ठीक नहीं है। विभाग अपने पोर्टल पर हर दिन की उपलब्धियां अपलोड करता है। 31 मार्च तक की स्थिति यह है कि किशनगंज प्रमंडल के सिर्फ 60.94 प्रतिशत घरों में कनेक्शन मिल पाया है। हालांकि विभागीय मंत्री रामप्रीत पासवान इस आंकड़ा को भी सही नहीं मानते। उनका कहना है कि जांच के बाद उपलब्धियां इससे भी कम हो सकती हैं। 

ये प्रमंडल पहुंचे हैं लक्ष्य के करीब

मुजफ्फरपुर 99.92, बक्सर 99.58, गया 99.52 और सारण 98. 34 प्रतिशत। सिवान, शेखपुरा, भागलपुर पूर्व, हिलसा, रोहतास, भागलपुर पश्चिम, जहानाबाद, मुंगेर, मधुबनी, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, शिवहर, पूर्णिया, कैमूर और लखीसराय में 90 प्रतिशत से अधिक घरों में कनेक्शन दे देने का दावा किया गया है। बाकी जिलों की उपलब्धि 90 प्रतिशत से कम है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा में भी पीएचईडी के हिस्से की योजना पिछड़ी हुई है। बिहारशरीफ प्रमंडल के सिर्फ 81.35 घरों में पानी का कनेक्शन मिल पाया है। राजधानी पटना की हालत भी ठीक नहीं है। पटना पश्चिमी प्रमंडल के हिस्से के बमुश्किल 76.93 प्रतिशत घरों को कनेक्शन मिल पाया है। मोतिहारी, ढाका और किशनगंज प्रमंडल सूची में नीचे से पहले, दूसरे और तीसरे नंबर पर हैं। योजना को पिछले साल मार्च में ही पूरा हो जाना था। कोरोना के चलते अवधि विस्तार मिला। योजना पूरी होने की आखिरी इस साल 31 मार्च तय की गई थी। 

क्या है जिम्मेदारी

नल जल योजना के तहत राज्य की 8386 ग्राम पंचायतों के एक लाख 14 हजार 691 वार्डों में पेयजल पहुंचाने का लक्ष्य है। इनमें से 56 हजार 544 वार्डों की जिम्मेदारी पीएचईडी की है। विभाग के जिम्मे के वार्डों में से 30 हजार 272 वार्ड गुणवत्ता प्रभावित हैं। इनके भू-जल में आर्सेनिक, लौह, फ्लोराइड की मात्रा मानक से अधिक हैं। इनके लिए विशेष उपाय किए गए हैं। 

मंत्री ने दिया जांच का आदेश

विभागीय मंत्री रामप्रीत पासवान का कहना है कि हम उपलब्धियों के इन आंकड़ों पर आंख मूंद कर भरोसा नहीं कर सकते हैं। हमारी निजी जानकारी है कि कई जिलों में इंजीनियरों-ठीकेदारों की मिलीभगत से काम कम हुआ। आंकड़े बढ़ा कर दिए गए। विभागीय सचिव को जांच का आदेश दिया है। किसी दोषी अफसर का तबादला कर देना कोई सजा नहीं है। जांच में दोषी पाए गए अधिकारियों के खिलाफ कठोर दंडात्मक कार्रवाई होगी।

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