Bihar Politics: 'मेरी जीत में किसी दल का योगदान नहीं', नए बयान से फिर चर्चा में आए JDU MP; लालू यादव की कर दी तारीफ
Bihar Politics जदयू सांसद देवेश चंद्र ठाकुर अपने नए बयान से फिर चर्चा में आ गए हैं। उन्होंने खुलकर यह कह दिया है कि उनकी जीत में किसी भी दल का योगदान नहीं है। इसके साथ उन्होंने राजद प्रमुख लालू यादव की भी प्रशंसा की है। उन्होंने कहा कि लालू यादव चुनाव के दौरान परिणाम को लेकर काफी चिंतित थे।
राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Politics News Hindi जदयू के सांसद देवेश चंद्र ठाकुर ने कहा है कि सीतामढ़़ी लोकसभा क्षेत्र से उनकी जीत में किसी दल का योगदान नहीं है। वहां सभी दलों से मेरी लड़ाई थी। हमारी जीत व्यक्तिगत संबंधों के आधार पर हुई। यह संबंध बीते 20-25 वर्षों की हमारी सेवा से बना है।
ठाकुर ने यह सब हाजीपुर की एक सभा में बुधवार को कहा। वे तिरहुत स्नातक क्षेत्र से विधान परिषद के जदयू उम्मीदवार अभिषेक झा के पक्ष में प्रचार कर रहे थे।
उन्होंने राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद (Lalu Yadav) की खूब प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि हम चुनाव लड़ रहे थे, लालू प्रसाद परिणाम को लेकर चिंतित थे। मतगणना के दिन बार-बार अपने सहयोगियों से पूछ रहे थे कि देवेश चंद्र ठाकुर की जीत हुई कि नहीं।
जदयू सांसद ने कहा कि सीतामढ़ी में राजद से उनकी प्रत्यक्ष लड़ाई थी। मैं जदयू का उम्मीदवार था। मुझे ख्याल नहीं कि जदयू मेरे आगे था या पीछे था। ख्याल नहीं कि भाजपा मेरे आगे थी या पीछे थी।सभी दल के लोग मेरी टांग खींचने में लगे थे। मैं अपने संपर्क और व्यक्तिगत संबंध के कारण जीता हूं।
पहले भी हुआ था विवाद
यह पहला मौका नहीं है कि देवेश चंद्र ठाकुर (Devesh Chandra Thakur) के वक्तव्य से जदयू असहज हुआ है। चुनाव जीतने के तुरंत बाद अपने अभिनंदन समारोह में उन्होंने कहा था कि सांसद के नाते वे यादवों और मुसलमानों का कोई व्यक्तिगत काम नहीं करेंगे, क्योकि लगातार मदद के बावजूद इन दोनों समूह के लोगों ने उन्हें अपेक्षा के अनुरूप वोट नहीं दिया।देवेश ने क्या कहा?
देवेश चंद्र ठाकुर ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि लोग संदर्भ से अलग होकर मेरे वक्तव्य की व्याख्या कर रहे हैं। मैं तिरहुत स्नातक क्षेत्र के जदयू उम्मीदवार अभिषेक झा के पक्ष में प्रचार कर रहा था।
मैं अभिषेक झा को यही बता रहा था कि चुनावी हार जीत में व्यक्तिगत संबंधों की बड़ी भूमिका होती है। विधान परिषद का दो चुनाव मैं निर्दलीय जीता। यह व्यक्तिगत संबंधों के कारण संभव हो पाया।
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