Shadi Muhurat 2024: 12 नवंबर को देवोत्थान एकादशी, 16 से बजने लगेगी शहनाई; पढ़ें लग्न की तारीखें
देवोत्थान एकादशी 12 नवंबर को है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा से जागेंगे। इसके बाद शादी-ब्याह जैसे मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। बनारसी पंचांग के अनुसार नवंबर में नौ तथा दिसंबर में भी नौ वैवाहिक लग्न है। मिथिला पंचांग के मुताबिक नवंबर में चार एवं दिसंबर में पांच शुभ विवाह मुहूर्त है। इसके बाद अगले साल मकर संक्रांति के बाद शादी-ब्याह का लग्न शुरू होगा।
जागरण संवाददाता, पटना। कार्तिक शुक्ल एकादशी 12 नवंबर को श्री हरि विष्णु चार मास के बाद योग निद्रा से जागृत होंगे। इसके बाद मांगलिक कार्य शादी-ब्याह, मुंडन आदि आरंभ हो जाएगा। इस दिन श्रद्धालु देवोत्थान एकादशी व तुलसी विवाह मनाएंगे। ज्योतिष आचार्य पंडित राकेश झा ने पंचांगों के हवाले से बताया कि बनारसी पंचांग के अनुसार नवंबर व दिसंबर में शादी ब्याह को लेकर नौ दिन हैं। जबकि मिथिला पंचांग के अनुसार नवंबर में चार दिन व दिसंबर में पांच दिन है।
देवोत्थान एकादशी पर उत्तरभाद्र नक्षत्र, हर्षण योग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बना रहेगा। इस दिन एकादशी का व्रत और पूजन साधु-संत, वैष्णव व गृहस्थ एक साथ करेंगे।देवोत्थान एकादशी के दिन गोधूलि बेला में शंख, डमरू, मृदंग, झाल और घंटी बजा कर भगवान नारायण को निद्रा से जागृत किया जाएगा। इस दौरान शहर के प्रमुख मंदिरों में विधि-विधान के साथ श्री हरि का पूजन होगा।
मिथिला में नौ तो बनारसी पंचांग में 18 मुहूर्त
सनातन धर्मावलंबियों का शादी-विवाह का शुभ मुहूर्त देवोत्थान एकादशी के बाद से शुरू होगा। चातुर्मास के दौरान शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। चातुर्मास के बाद इस वर्ष में कुल 18 शुभ लग्न मुहूर्त शेष होंगे।
बनारसी पंचांग के अनुसार नवंबर में नौ तथा दिसंबर में भी नौ वैवाहिक लग्न है। मिथिला पंचांग के मुताबिक नवंबर में चार एवं दिसंबर में पांच शुभ विवाह मुहूर्त है। इसके बाद अगले साल 2025 में मकर संक्रांति के बाद शादी-ब्याह का लग्न शुरू होगा।
शादी-ब्याह में ग्रहों की शुभता जरूरी
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शादी-विवाह के लिए शुभ मुहूर्त का होना महत्वपूर्ण होता है। शास्त्रों में शादी के शुभ योग के लिए नौ ग्रहों में बृहस्पति, शुक्र एवं सूर्य का शुभ होना जरूरी है।
- इसमें रवि-गुरु का संयोग सिद्धिदायक और शुभ फलदायी होते हैं । इन तिथियों पर शादी-विवाह को बेहद शुभ माना गया है। इसके अलावे विवाह माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़ एवं अगहन मास में हो तो अत्यंत शुभ होता है।
ऐसे तय होते हैं शुभ लग्न-मुहूर्त
शादी के शुभ लग्न व मुहूर्त निर्णय के लिए वृष, मिथुन, कन्या, तुला, धनु एवं मीन लग्न में से किन्ही एक का होना जरूरी है। नक्षत्रों में से अश्विनी, रेवती, रोहिणी, मृगशिरा, मूल, मघा, चित्रा, स्वाति,श्रवणा, हस्त, अनुराधा, उत्तरा फाल्गुन, उत्तरा भद्र व उत्तरा आषाढ़ में किन्ही एक जा रहना जरूरी है। अति उत्तम मुहूर्त के लिए रोहिणी, मृगशिरा या हस्त नक्षत्र में से किन्ही एक की उपस्थिति रहने पर शुभ मुहूर्त बनता है। यदि वर और कन्या दोनों का जन्म ज्येष्ठ मास में हुआ हो तो उनका विवाह ज्येष्ठ में नहीं होता है। विवाह माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़ एवं अगहन मास में होने पर शुभ माना जाता है।
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- नवंबर: 16, 17, 22, 23, 24, 25, 26, 28, 29
- दिसंबर: 2, 3, 4, 5, 9, 10, 11, 14, 15
मिथिला पंचांग के मुताबिक
- नवंबर: 18, 22, 25, 27
- दिसंबर: 1, 2, 5, 6, 11