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Shubh Vivah Muhurat 2024: सर्वार्थ सिद्धि योग में 12 को देवोत्थान एकादशी, 18 नवंबर से गूंजेगी शहनाई

देवोत्थान एकादशी 12 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा से जागेंगे। इस दिन तुलसी विवाह भी होगा। देवोत्थान एकादशी के बाद मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। 18 नवंबर से शादी-ब्याह के लिए शुभ मुहूर्त शुरू हो रहे हैं। इस साल मिथिला पंचांग के अनुसार 9 और बनारसी पंचांग के अनुसार 18 विवाह के शुभ मुहूर्त हैं।

By prabhat ranjan Edited By: Rajat Mourya Updated: Mon, 11 Nov 2024 03:14 PM (IST)
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सर्वार्थ सिद्धि योग में 12 को देवोत्थान एकादशी, 18 नवंबर से गूंजेगी शहनाई
जागरण संवाददाता, पटना। कार्तिक शुक्ल एकादशी 12 नवंबर को देवोत्थान एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार मास बाद योग निद्रा से जागृत होंगे। देवोत्थान एकादशी के दिन श्रद्धालु तुलसी विवाह पर्व मनाएंगे। भगवान श्रीहरि के योग निद्रा से जागृत होने के बाद चातुर्मास का समापन होने के साथ मांगलिक कार्य आरंभ हो जाएगा। बीते चार मास से मांगलिक कार्य पर विराम लगा हुआ है।

देवोत्थान एकादशी के बाद 18 नवंबर से शादी-ब्याह आरंभ होने के साथ शहनाई बजेगी। 12 नवंबर मंगलवार को कार्तिक शुक्ल पक्ष में देवोत्थान एकादशी के दिन हर्षण व सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बना रहेगा। घरों से लेकर मंदिरों में भगवान विष्णु शंख, डमरू, मृदंग, झाल और घंटी बजा कर योग निद्रा से जागृत किया जाएगा।

इस दिन वैष्णव जन व साधु-संत एकादशी का व्रत करेंगे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी का व्रत करने से घरों में भगवान विष्णु व मां लक्ष्मी का वास हाेने के साथ अकाल मृत्यु नहीं होती। एकादशी के दिन घरों से लेकर मंदिरों में भगवान विष्णु की पूजा अर्चना कर श्रद्धालु परिवार की कुशलता के लिए प्रार्थना करेंगे।

मिथिला में नौ तो बनारसी पंचांग में 18 मुहूर्त

देवोत्थान एकादशी के बाद मिथिला पंचांग के अनुसार नौ और बनारसी पंचांग के अनुसार 18 शादी-ब्याह के शुभ मुहूर्त हैं। इसके बाद अगले वर्ष मकर संक्रांति के बाद शादी-ब्याह का लग्न आरंभ होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शादी-ब्याह के लिए शुभ मुहूर्त का होना जरूरी होता है। वैवाहिक बंधन को सबसे पवित्र रिश्ता माना गया है।

ऐसे में शुभ मुहूर्त का होना जरूरी होता है। शादी के शुभ योग के लिए बृहस्पति, शुक्र एवं सूर्य का शुभ होना जरूरी है। रवि-गुरु का संयोग सिद्धिदायक और शुभ फल देने वाला होता है। विवाह माघ, फाल्गुन,वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़ व अगहन मास में होना अत्यंत शुभ माना जाता है।

ऐसे तय होता है शुभ मुहूर्त

शादी के शुभ लग्न व मुहूर्त निर्णय के लिए वृष, मिथुन, कन्या, तुला, धनु एवं मीन लग्न में से किन्ही एक का होना जरूरी है। नक्षत्रों में से अश्विनी, रेवती, रोहिणी, मृगशिरा, मूल, मघा, चित्रा, स्वाति,श्रवणा, हस्त, अनुराधा, उत्तरा फाल्गुन, उत्तरा भद्र व उत्तरा आषाढ़ में किन्ही एक जा रहना जरूरी है । अति उत्तम मुहूर्त के लिए रोहिणी, मृगशिरा या हस्त नक्षत्र में से किन्ही एक की उपस्थिति रहने पर शुभ मुहूर्त बनता है। यदि वर और कन्या दोनों का जन्म ज्येष्ठ मास में हुआ हो तो उनका विवाह ज्येष्ठ में नहीं होगा।

वैवाहिक शुभ मुहूर्त

बनारसी पंचांग के अनुसार

  • नवंबर: 16,17,22,23,24,25,26,28,29
  • दिसंबर: 2,3,4,5,9,10,11,14,15

मिथिला पंचांग के मुताबिक

  • नवंबर: 18,22,25,27
  • दिसंबर: 1,2,5,6,11

12 नवंबर को हरिवासर व्रत कर भगवान विष्णु का पूजन

मिथिलांचल का लोकपर्व हरिवासर 12 नवंबर मंगलवार से आरंभ होगा। इसी दिन देवोत्थान एकादशी का पर्व भी मनेगा। व्रती 48 घंटों तक उपवास कर 14 नवंबर गुरुवार को सूर्योदय के बाद व्रती पारण करेंगे।

ज्योतिष आचार्य डॉ. राघव नाथ झा ने पंचांगों के हवाले से बताया कि हरिवासर व्रत के दिन रेवती नक्षत्र का शुभ संयोग बना रहेगा। हरिवासर को भगवान विष्णु का दिन माना गया है। व्रत करने से समस्त पापों से मुक्ति और कष्टों से छुटकारा मिलता है। व्रत के दिन श्रद्धालु विधि-विधान के साथ भगवान विष्णु का पूजन कर परिवार की कुशलता के लिए प्रार्थना करते हैं।

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