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सखी री मोरे श्याम बिना ब्रज सूना .. पर मंत्रमुग्ध हुए श्रोता

शास्त्रीय संगीत की महफिल जमी थी। मंच पर आसीन दरभंगा घराने के कलाकार अपनी प्रस्तुतियों से दिल जीतने में लगे थे।

By JagranEdited By: Updated: Mon, 26 Aug 2019 01:05 AM (IST)
सखी री मोरे श्याम बिना ब्रज सूना .. पर मंत्रमुग्ध हुए श्रोता

पटना। शास्त्रीय संगीत की महफिल जमी थी। मंच पर आसीन दरभंगा घराने के कलाकार अपनी प्रस्तुतियों से धु्रपद संध्या को यादगार बनाने में लगे थे। पद्मश्री पंडित सियाराम स्मृति संगीत समिति के तत्वावधान में रविवार को धु्रपद गायक पंडित सियाराम तिवारी की 21वीं पुण्यतिथि के मौके पर धु्रपद संध्या का आयोजन एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट परिसर में किया गया।

मौके पर समिति की सचिव तथा पंडित सियाराम तिवारी की पुत्री आशा पाठक ने कहा कि हर वर्ष समिति की ओर से पंडित सियाराम तिवारी स्मृति पुरस्कार और लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार कलाकारों को दिया जाता रहा है। इस वर्ष दोनों पुरस्कार पंडित हीरालाल मिश्र को प्रदान किए गए। कार्यक्रम का उद्घाटन पर्यावरण एवं वन विभाग के सचिव त्रिपुरारी शरण, पूर्व आइजी (पुलिस) रामचंद्र खान, पूर्व सहायक निदेशक (आकाशवाणी, पटना) के निदेशक किशोर सिन्हा एवं वरिष्ठ धु्रपद गायक पंडित रघुवीर मल्लिक ने किया।

पखावज की जुगलबंदी ने तालियां बटोरीं -

धु्रपद संध्या के मौके पर एएन सिन्हा परिसर में अयोध्या से पधारे पंडित विजय रामदास एवं इनकी शिष्या कौशिकी झा ने मृदंग वादन से सभी का दिल जीता। वही कलाकारों ने पखावज की जुगलबंदी कर सभी का ध्यान खींचा। जैसे-जैसे कार्यक्रम आगे की ओर बढ़ता जा रहा था सभागार में कलाकारों द्वारा एक से बढ़कर एक प्रस्तुति का आनंद श्रोता उठाते नजर आ रहे थे। समारोह के दौरान कलाकार आशीष चटर्जी ने सितार वादन पेश कर चार-चांद लगा दिया। सितार वादन की प्रस्तुति पर संगत कलाकार डॉ. श्याम मोहन ने तबले पर संगत कर सभी का दिल जीता।

धु्रपद संगीत से सराबोर रहा परिसर -

समारोह में मुख्य आकर्षण का केंद्र दरभंगा घराने के कलाकार पंडित विनोद पाठक थे। पाठक ने धु्रपद गायिकी की उम्दा प्रस्तुति कर श्रोताओं को कार्यक्रम में रूकने पर विवश कर दिया। पाठक ने कार्यक्रम की शुरुआत राग बिहाग में 'राजा रामचंद्र चढ़यो हैं त्रिकूट पर' को पेश कर सभी का दिल जीता। वही राग मियां मल्हार में धमार 'ए री आली घटा छाई ब्रज में' वही ठुमरी राग किरवानी में 'सजनवा तुम क्या जाने प्रीत' को पेश कर धुप्रद संध्या में चार-चांद लगा दिया। वही पाठक ने दर्शकों की फरमाइश पर सूरदास का भजन 'सखी री मोरे श्याम बिना ब्रज सूना' को पेश कर स्मृति समारोह को यादगार बना दिया। प्रस्तुति को जीवंत बनाने में संगत कलाकारों का भी उम्दा प्रदर्शन रहा। संगत कलाकारों में पंडित विनोद कुमार पाठक के साथ पखावज पर पंडित विजय रामदास, तानपुरा पर वंश प्रभात, सारंगी पर लब्ध प्रतिष्ठित कलाकार उस्ताद रौशन अली खां ने संगत कर कार्यक्रम को यादगार बना दिया। कार्यक्रम के दौरान पटना के श्रोताओं ने धु्रपद गायिकी का भरपूर आनंद उठाया।

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