चौंकिए मत! अब खेतों का भी तय हो रहा कटऑफ, लिमिट में आने वाले किसानों को ही मिलेगा कृषि फीडर का कनेक्शन
शैक्षिक संस्थानों में नामांकन या फिर नौकरी से जुड़ी परीक्षाओं के लिए लोगों के कटऑफ का मतलब बहुत ही सहज है पर अब खेतों का कटऑफ तय हो रहा। बिजली कंपनी खेतों के अलग-अलग इलाके में कृषि फीडर के माध्यम से बिजली पहुंचाने के लिए कटऑफ तय कर रही है। अगर संबंधित इलाका बिजली कंपनी के कटऑफ के दायरे में आ जाता है तो वहां कृषि फीडर के माध्यम से किसानों को रियायती दर पर बिजली मिल जाएगी।
By BHUWANESHWAR VATSYAYANEdited By: Prateek JainUpdated: Sun, 05 Nov 2023 05:24 PM (IST)
भुवनेश्वर वात्स्यायन, पटना। शैक्षिक संस्थानों में नामांकन या फिर नौकरी से जुड़ी परीक्षाओं के लिए लोगों के कटऑफ का मतलब बहुत ही सहज है पर अब खेतों का कटऑफ तय हो रहा।
बिजली कंपनी खेतों के अलग-अलग इलाके में कृषि फीडर के माध्यम से बिजली पहुंचाने के लिए कटऑफ तय कर रही। अगर संबंधित इलाका बिजली कंपनी के कटऑफ के दायरे में आ जाता है तो वहां कृषि फीडर के माध्यम से किसानों को रियायती दर पर बिजली मिल जाएगी।
अगर आपका खेत बिजली कंपनी के कटऑफ के दायरे में नहीं आता है तो फिर उस इलाके के किसानाें को रियायती बिजली के लिए इंतजार करना होगा, जहां लोड कम है वहां कृषि कार्य के लिए अलग से कनेक्शन नहीं मिलेगा।
कुछ इस तरह समझिए खेतों का कटऑफ
बिजली कंपनी खेतों के लिए बिजली अलग फीडर से देता है। पावर सब स्टेशन (पीएसएस) से कृषि फीडर की बिजली जाती है। यह घरेलू उपभोक्ताओं को जिस फीडर से बिजली दी जाती है, उससे अलग होता है। बिजली कंपनी को इस व्यवस्था के लिए अलग से आधारभूत संरचना को तैयार करना पड़ता है।
बिजली कंपनी का कहना है कि जिस इलाके में कृषि फीडर को ले जाया जाना है, उसके लिए यह आकलन कराया जाता है कि संबंधित इलाके में कृषि फीडर से बिजली की खपत कितने मेगावाट तक होगी।
इसी संदर्भ में बिजली कंपनी खपत का कटऑफ तय करती है। यानी कृषि फीडर एक मेगावाट या फिर दो मेगावाट की संभावित खपत पर ही लग पाएगा।
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