आधार कार्ड का नंबर किसको-किसको दिया था? पटना के इस डाक्टर वाली गलती आप मत कीजिएगा
कभी सस्ता एलईडी बल्प पाने के लिए तो कभी मोबाइल का सिम कार्ड लेने के लिए ऐरे-गैरे को दे देते हैं आधार कार्ड तो आपके लिए संभल जाने का वक्त है। पटना का एक डाक्टर ठगी का शिकार हो गया है।
By Shubh Narayan PathakEdited By: Updated: Sun, 11 Sep 2022 02:21 PM (IST)
जागरण संवाददाता, पटना। आजकल निजी मोबाइल कंपनी का सिम लेना हो, या फिर वोटर कार्ड बनवाना हो, हर जगह आपसे आधार कार्ड मांगा जाता है। कई बार तो लोग सस्ता एलईडी बल्ब पाने के लालच में भी ठगों को अपना आधार कार्ड थमा देते हैं। कई लोगों को लगता है कि आधार कार्ड एक पहचान पत्र ही तो है, इसे किसी को देने में क्या हर्ज है? लेकिन, मामला इतना आसान है नहीं। आपके आधार कार्ड का नंबर मामूली नहीं है। यह आपके बैंक खाते, पैन नंबर, मोबाइल नंबर, वोटर आइडी सहित हर गोपनीय जानकारी तक पहुंचने का इकलौता जरिया बन सकता है। पटना के एक डाक्टर के साथ हुआ, वह आंखें खोलने वाला वाकया है।
मुंबई पुलिस का अफसर बताकर किया था फोन पटना के चर्म रोग विशेषज्ञ डा. राहुल कुमार शर्मा के एसबीआइ अकाउंट से एक लाख रुपये की निकासी कर ली गई है। मुंबई पुलिस का अधिकारी बनकर डाक्टर से जालसाज ने बात की थी। उनसे खाते में रुपये भेजने को भी कहा, लेकिन वे तैयार नहीं हुए और उन्होंने काल काट दी। उन्होंने अपनी तरफ से काफी सावधानी बरतने की कोशिश की थी।
बगैर कोई ओटीपी दिए लग गया चूना
बावजूद इसके वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) या डेबिट अथवा क्रेडिट कार्ड से जुड़ी कोई जानकारी दिए बगैर ही अवैध निकासी हो गई। इस संबंध में डाक्टर ने बैंक और साइबर सेल में शिकायत करने के साथ एसके पुरी थाने में भी प्राथमिकी कराई है। थानाध्यक्ष धीरज कुमार ने बताया कि जालसाज का पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है।
पहले कुरियर कंपनी का कर्मी बता कर की कालडाक्टर के मुताबिक, वे बिहटा स्थित नेताजी सुभाष मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल में ओपीडी कर रहे थे। तभी उन्हें फेडेक्स कुरियर कंपनी का कर्मी बनकर जालसाज ने 9728700621 नंबर से काल की और कहा कि आपने मुंबई से ताइवान के लिए जो पार्सल भेजा था, उसमें नशीले पदार्थ और फर्जी पासपोर्ट थे, इसलिए कस्टम ने पकड़ लिया है। इसके बाद उस व्यक्ति ने कांफ्रेंस काल पर दूसरे जालसाज से बात कराई, जिसने खुद को मुंबई पुलिस का अधिकारी बताया। उसने डाक्टर को उनके आधार कार्ड के आखिरी चार अंक बताए और पूरे 16 नंबर बताने को कहा।
मनी लांड्रिंंग के केस में फंसने का दिखाया डर डाक्टर ने जब आधार नंबर बताया तो उनसे कहा गया कि आप पर मनी लांड्रिंग का केस है, जिसकी जांच सीबीआइ कर रही है। आपका साथी पहले भी इस तरह के पार्सल भेजने में पकड़ा गया है। डाक्टर ने आरोपों से इन्कार किया। इसके बाद उनसे पूछा कि आपके कितने अकाउंट हैं? डाक्टर ने कहा- दो। तब उसने दोनों अकाउंट नंबर पूछे, फिर खाते में रकम ट्रांसफर करने को कहा। इतना सुनते ही डाक्टर ने काल काट दी।
वाट्सएप पर भेजा मुंबई पुलिस का फर्जी आइ-कार्डझांसे में लेने के लिए जालसाज ने 85511499561 से वाट्सएप भेजा। उसकी डीपी में मुंबई पुलिस का लोगो लगा था। जालसाज ने मुंबई पुलिस के आइ-कार्ड की कापी भेजी, जिस पर उसका नाम नरेश गुप्ता बनर्जी लिखा था। उसी पर सीबीआइ का फर्जी पत्र और दो तस्वीरें भेजीं। एक तस्वीर में पुलिसकर्मी युवक को हथकड़ी लगाकर ले जा रहे थे। डाक्टर को कुछ समझ नहीं आ रहा था। उन्होंने थोड़ी देर बाद एसबीआइ अकाउंट का बैलेंस चेक किया तो एक लाख रुपयों की निकासी हो गई थी। हालांकि, इसका मैसेज उनके मोबाइल पर नहीं आया था।
सिम क्लोनिंग के जरिए हुई अवैध निकासीसाइबर एक्सपर्ट राजन सिंह ने बताया कि डा. राहुल के खाते से सिम क्लोनिंग के जरिए ठगी की गई है। जालसाज के पास ब्लैंक सिम था। संभव है कि उसके पास आधार कार्ड डी-कोड करने का साफ्टवेयर भी रहा होगा। जब डाक्टर ने अपना आधार कार्ड नंबर बताया तो जालसाज ने ब्लैंक सिम पर उनका मोबाइल नंबर चढ़ा दिया और उसे आपरेट करने लगा।काल रिकार्ड से मिल सकता है सुराग
ऐसे में खाते से ट्रांजेक्शन होने पर डाक्टर के पास ओटीपी न आकर जालसाज के नंबर पर चला गया। यही कारण रहा कि डाक्टर को रकम निकासी का मैसेज भी नहीं मिला। यदि डाक्टर के नंबर की काल रिकार्ड निकाली गई तो मालूम हो जाएगा कि क्लोन सिम किस आइएमईआइ डिवाइस पर चल रहा था। उसके माध्यम से पुलिस जालसाज तक पहुंचने की कोशिश कर सकती है।
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