होम्योपैथी में दो पीढि़यों का अनुभव प्राप्त कर मरीजों का कर रहे इलाज
होम्योपैथी का जनक जर्मन डॉक्टर सैमुएल हैनिमैन को माना जाता है। उनकी जयंती पर 10 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी दिवस मनाया जाता है।
By JagranEdited By: Updated: Sat, 10 Apr 2021 01:28 AM (IST)
पटना। होम्योपैथी का जनक जर्मन डॉक्टर सैमुएल हैनिमैन को माना जाता है। उनकी जयंती पर 10 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी दिवस मनाया जाता है। राजधानी पटना में भी कई डॉक्टर हुए हैं जिन्होंने होम्योपैथी के इलाज में काफी नाम कमाया है। शहर में एक डॉक्टर ऐसे हैं जो दो पीढि़यों का अनुभव प्राप्त कर मरीजों का इलाज करने में लगे हैं। 1962 में जमींदार परिवार में जन्में डॉ. अशोक कुमार दानापुर छावनी के निकट डालवर हाउस में रहते हैं। उनके दादा स्वर्गीय अनंत लाल वर्मा और पिता स्वर्गीय पीएन वर्मा बिहार के होम्योपैथी जगत में काफी नाम कमाया।
: तीसरी पीढ़ी में भी सेवा का भाव : पटना में होम्योपैथी की जड़ें जमाने में उनके दादा डॉ. अनंत लाल वर्मा और पिता डॉ. पीएन वर्मा का काफी योगदान रहा है। दादा अनंत लाल वर्मा ने दानापुर में 1930 में होम्यिोपैथी की प्रैक्टिस आरंभ की थी। बाद के दिनों में उन्होंने डालवर होम्पयोपैथी दवा कपंनी भी स्थापित की थी। बिहार होम्योपैथी बोर्ड के अध्यक्ष भी रहे। वहीं डॉ. अनंत लाल वर्मा के पुत्र डॉ. पीएन वर्मा ने होम्योपैथी चिकित्सा में बड़ा नाम किया। पिता डॉ. पीएन वर्मा गाजियाबाद स्थित होम्योपैथिक फार्माकोपिया लेबोरेटरी के संस्थापक निदेशक भी रहे। डॉ. अशोक की मानें तो गूगल पर सर्च करने पर उनके पिता डॉ. पीएन वर्मा के कार्य की पूरी जानकारी मिलती है। उनकी लिखीं पुस्तकें देश के होम्योपैथी कॉलेजों के छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं। इन्साइक्लोपीडिया ऑफ होम्योपैथिक फॉर्माकोपिया चर्चित पुस्तक है। डॉ. अशोक परिवार की तीसरी पीढ़ी से हैं जो अपने पूर्वजों की परंपरा को आगे बढ़ाने में लगे हैं। बोरिग कैनाल रोड में क्लीनिक खोल होम्योपैथी चिकित्सा से मरीजों का इलाज करने में लगे हैं।
: सामाजिक कार्यो के लिए भी मिला है पुरस्कार : डॉ. अशोक की मानें तो जो मरीज दानापुर क्षेत्र से आते हैं उनका मुफ्त में इलाज करने के साथ दवा भी देते हैं। वहीं आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों का इलाज निस्वार्थ भाव से करते हैं। मरीजों की सेवा करने के साथ रोटरी चाणक्या से भी जुड़े हैं। क्लब द्वारा किए जाने वाले सामाजिक कार्यो में भी योगदान देने के साथ ही लोगों को परामर्श देते हैं। सामाजिक कार्यो में योगदान को लेकर कई पुरस्कार से भी उन्हें नवाजा गया है। दानापुर व इसके आसपास सरकारी स्कूलों में बच्चों को प्रत्येक शनिवार को डॉ. अशोक व उनकी पत्नी रजनी कंप्यूटर की मुफ्त शिक्षा देते रहे हैं।
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