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हरे-भरे पेड़ों के बीच इस झील में बोटिंग का मजा ही कुछ और, यहां 500 से अधिक कछुए और ढेरों कमल के फूल

पटना के चिडि़याघर में मौजूद झील करीब 46 साल पुरानी है। इसके बीच लगे फव्‍वारे किनारे की हरियाली और रंग-बिरंगे फूल किसी को भी आकर्षित करते हैं। धूप हो तो फव्‍वारे के पास बनने वाला इंद्रधनुष Rainbow हर किसी को मंत्रमुग्‍ध कर देता है।

By Amit AlokEdited By: Updated: Sun, 08 Nov 2020 06:20 AM (IST)
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देखते ही बनती है संजय गांधी जैविक उ़द्यान में स्थित झील की खूबसूरती। जागरण

पटना, जेएनएन। राजधानी पटना का संजय गांधी जैविक उद्यान एक से बढ़कर एक जानवरों और पेड़-पौधों के दीदार के लिए खूबसूरत ठिकाना तो है ही, यहां की झील भी पर्यटकों को कम आ‍कर्षित नहीं करती। 46 साल पुरानी इस झील के पास समय गुजारने के लिए लोग खास तौर पर आते हैं। उद्यान के दक्षिणी हिस्से के वनस्पति प्रक्षेत्र के चारों तरफ हरियाली से घिरी इस झील की खूबसूरती देखते ही बनती है। यह झील 1048 फीट लंबी है। झील के चारों ओर दर्शकों के बैठने के लिए बेंच लगाये गये हैं, जहां बैठकर दर्शक घंटों प्रकृति के मनोरम दृश्य का आनंद लेते हैं। जो भी दर्शक चिडिय़ाघर घूमने के लिए आते हैं वे इस झील के पास अपना वक्त जरूर गुजारते हैं। इस झील में दर्शक सैकड़ों कमल के फूल भी देख सकते हैं, जो मन को भा लेते हैं।

1974 में हुआ था झील का निर्माण

चिडिय़ाघर की इस कृत्रिम झील का निर्माण वर्ष 1974 में किया गया था। इस झील के चारों ओर छह फीट चौड़ा पाथवे बनाया गया है। इस फुटपाथ के किनारे कई जगहों पर दर्शकों के बैठने के लिए बेंच लगाया गया है। यहां बैठकर दर्शक झील का आनंद लेते हैं।

इनक्लोजर का पानी इस झील में गिरता है

पटना जू के निदेशक अमित कुमार बताते हैं कि पटना जू के इंक्लोजर का बेकार पानी इस झील में गिरता है। पानी को फिल्टर करने के बाद इस झील में गिराया जाता है। इसके अलावे इसमें तीन पंप भी लगाये गये हैं, जिससे इसको रिचार्ज किया जाता है।

इस झील में रेनबो का होता है निर्माण

जू के निदेशक अमित कुमार बताते हैं कि पटना जू के इस झील में एक फाउंटेन लगाया गया है। ये फाउंटेन इसलिए भी फेमस है कि यहां एक रेनबो का निर्माण होता है। ब्राइट सन लाइट में इस रेनबो को देखा जा सकता है, जो कि आकर्षण का केंद्र है। इस झील के किनारे कई तरह के फल और फूल के पौधे भी लगाये गये हैं, जिससे झील की खूबसूरती और भी बढ़ जाती है।

पहले सूख जाती थी झील

पहले यह झील बरसात के बाद सूख जाया करती थी। बाद में केवाल मिट्टी की भराई कर पूरे साल पानी रखने की व्यवस्था की गई।

500 से अधिक कछुए हैं इस झील में

इस झील में 500 से अधिक कछुए और अन्य जलीय जंतु रहते हैं। अब इस झील में दर्शक सालों भर नौकायान का आनंद ले सकते हैं। झील में तीन बड़े फ्लोटिंग फाउंटेन लगाये गये हैं। जिनके चलने से झील और भी सुंदर दिखता है। फ्लोटिंग फाउंटेन के चलने से झील का पानी भी स्वच्छ रहता है।

यहां से देख सकते हैं झील

इस झील के पश्चिम में लकड़ी का एक फ्लोर बनाया गया है, जहां से दर्शक पूरी झील को आराम से खड़े होकर देख सकते हैं। इस झील में नौकायान के साथ-साथ मछली पालन भी किया जाता है, जिससे राजस्व की प्राप्ति होती है। झील के पास ही हैंगिग ब्रिज बनाया गया है, जिसे झूलने वाला पुल कहा जाता है। झील को स्वच्छ रखने के लिए समय-समय सफाई की जाती है।

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