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Exclusive: बिहार में हॉप शूट्स की नकली खेती! खोजा तो कहीं नहीं मिली यह लखटकिया सब्‍जी ...अब होगी कार्रवाई

Exclusive बिहार के औरंगाबाद के एक किसान ने विश्‍व की सबसे महंगी सब्‍जी हॉप शूट्स की खेती का दावा किया था। विभिन्‍न समाचार माध्‍यमों में इस खबर के आने के बाद जब हमने जमीनी पड़ताल की तो कुछ और ही हकीकत सामने आई। उसे जान कर आप चौंक जााएंगे।

By Amit AlokEdited By: Updated: Sun, 04 Apr 2021 09:44 PM (IST)
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औरंगाबाद के किसान अमरेश अपनी कथित हॉप शूट्स की फसल के साथ। विशेषज्ञ इसे मेंथा बता रहे हैं। फाइल तस्‍वीर।
पटना, जागरण टीम। Fake Farming of Hop Shoots in Bihar बिहार में ऐसी सब्जी की खेती का दावा किया गया था, जिसकी कीमत किसी को भी चौंका दे। जी हां, 80 हजार से एक लाख रुपये प्रति किलो तक बिकने वाली यह सब्‍जी इन दिनों इंटरनेट मीडिया से लेकर विभिन्न समाचार माध्यमों तक चर्चा में है। दैनिक जागरण (Dainik Jagran) की जमीनी पड़ताल (Ground Level Investigation) में न तो ऐसा कोई खेत मिला, न ही ऐसी सब्जी मिली। हम बात कर रहे हैं औरंगाबाद जिले के नवीनगर प्रखंड के करमडीह गांव के एक युवक अमरेश सिंह (Farmer Amresh Singh) द्वारा विश्‍व की सबसे महंगी सब्‍जी हॉप शूट्स (Hop Shoots) की कथित खेती की।

अमरेश का दावा: बीमार रहने के कारण सूख गई फसल

अमरेश ने अब यह दावा किया है कि उसने ट्रायल के तौर पर खेती शुरू की, पर बीमार पड़ जाने की वजह से उनके पार्टनर इसकी देखरेख नहीं कर सके। इस वजह से फसल सूख गई। अब वे फिर से खेती करेंगे। वहीं, विभिन्‍न समाचार माध्‍यमों में यह दावा किया जा रहा है कि खेती 60 फीसद तक सफल रही थी। हां, यह जरूर है कि अमरेश ने काले चावल और काले गेहूं उगाए थे, जिसकी खेती बिहार में कई जगहों पर की जा रही है। पर, हॉप शूट्स तो कहीं नजर नहीं आया।

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औरंगाबाद के किसान अमरेश कथित हॉप शूट्स की फसल के साथ, जिसे मेंथा बताया जा रहा है। फाइल तस्‍वीर।

ग्रामीणों का खेती से इनकार, कृषि विभाग करेगा जांच

बहरहाल, इस खबर ने कृषि विभाग को चौंकाया। कृषि अधिकारी इसे देखने जब गांव पहुंचे तो वहां ऐसी कोई खेती नहीं की जा रही थी। स्थानीय लोगों ने भी इस संबंध में अनभिज्ञता जाहिर की। सहायक उद्यान निदेशक जितेंद्र कुमार ने बताया कि जब उन्होंने पड़ताल की तो पता चला कि ऐसी कोई खेती औरंगाबाद में नहीं की गई है। अमरेश ने मोबाइल पर बातचीत के दौरान नालंदा जिले में खेती की बात कही, लेकिन जगह के बारे में नहीं बताया। नालंदा जिले में भी पता किया गया, पर ऐसी कोई खेती नहीं मिल सकी। उद्यान निदेशक जितेंद्र कुमार ने बताया कि अमरेश के दावे की उच्चस्तरीय जांच की जा रही है। अगर फर्जी खेती (Fake farming) का मामला निकला तो कार्रवाई भी की जाएगी। जिला कृषि कार्यालय के अधिकारी इस पर रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं।

वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश के अनुसार होगी कार्रवाई

औरंगाबाद के जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल ने कहा कि हॉप शूट्स की खेती के संबंध में पटना से कुछ अधिकारियों ने जानकारी ली है। यहां ऐसी कोई खेती नहीं की गई है। वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।

वाराणसी में तैयार नहीं हुआ बीज, यहां कोई डॉ. लाल भी नहीं

दैनिक जागरण ने जब अमरेश से संपर्क किया तो उसने खुद के बीमार होने की बात कही। बताया कि उनका इलाज दिल्ली में चल रहा है। यह भी बताया कि उन्‍होंने उत्‍तर प्रदेश के गाेंडा में 20 एकड़ जमीन लीज पर ली है, जिसमें पांच कट्ठे में हॉप शूट्स की खेती कर रहे हैं। इस खेती के लिए वाराणसी में डॉ. लाल से प्रशिक्षण लिया है। इस संबंध में जब भारतीय सब्जी अनुसंधान केंद्र, वाराणसी के निदेशक डॉ. जगदीश सिंह बात की गई, तो उन्‍होंने पूरी खबर को फर्जी बताते हुए कहा कि उनके यहां न कोई डॉ. लाल हैं और न ही हॉप शूट्स नाम की दुनिया की सबसे महंगी सब्जी का बीज तैयार किया गया है।

अमरेश की हॉप शूट्स की वह फसल, जिसे मेंथा बताया जा रहा है। फाइल तस्‍वीर।

इंटरनेट मीडिया पर वायरल तस्‍वीरें हॉप शूट्स की नहीं

पड़ताल के क्रम मेें शुक्रवार को जागरण टीम एक बार फिर अमरेश के औरंगाबाद स्थित गांव पहुंची तो स्थानीय लोगों ने ऐसी किसी प्रकार की खेती से अनभिज्ञता जताई। जब स्वजनों ने अमरेश से मोबाइल पर बात कराई तो उन्‍होंने कहा कि वे नालंदा में खेती कर रहे हैं। वहीं, कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जो तस्वीर इंटरनेट मीडिया पर दिख रही है वह हॉप शूट्स नहीं है।

आखिर क्‍यों इतना महंगा है हॉप शूट्स, जानिए...

सवाल उठता है कि आखिर क्‍या है इस सब्‍जी में कि यह इतनी महंगी है? दरअसल, इसके फूलों का उपयोग बीयर बनाने में किया जाता है। इससे कैंसर सहित कई गंभीर रोगों के इलाज में प्रयुक्‍त कई दवाएं भी बनाई जातीं हैं। इसकी टहनियों काे खाया जाता है तथा इसका आचार भी बनता है। हॉप शूट्स की खेती जर्मनी में शुरू की गई। यूरोपीय देशों में यह सबसे ज्यादा पैदा होती है। ब्रिटेन और जर्मनी में लोग इसके मुरीद हैं। इसका सबसे बड़ा खरीदार अमेरिका है।

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