Falgu Rubber Dam: देश का सबसे बड़ा रबर डैम, गोली का भी नहीं होगा असर, ये भी हैं खासियत
Falgu Rubber Dam गयाजी में फल्गु नदी पर दो वर्षों में देश का सबसे बड़ा रबर डैम तैयार हो गया है। सीएम नीतीश कुमार ने इसका शिलान्यास किया था। विशेषज्ञों की सलाह के मुताबिक इसका निर्माण किया गया है। इसमें कई विशेषताएं हैं।
By Vyas ChandraEdited By: Updated: Thu, 08 Sep 2022 12:17 PM (IST)
पटना, आनलाइन डेस्क। हिंदुओं और बौद्ध धर्म के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल गया में एक और अध्याय जुड़ गया है। यहां बिहार का पहला और देश का सबसे बड़ा रबर डैम (Rubber Dam in Gayaji) बनाया गया है। करीब 312 करोड़ की लागत से बने इस रबर डैम से फल्गु नदी में सालोंभर पानी रहेगा। इससे स्नान, पिंडदान और तर्पण में लोगों को सुविधा होगी। पितरों को मोक्ष के लिए तर्पण करने के लिए यहां देश ही नहीं विदेशों से भी लोग आते हैं। पितृपक्ष मेले के दौरान यहां काफी भीड़ होती है। ऐसे में रबर डैम से न केवल उन्हें फायदा होगा बल्कि इससे गयाजी की तस्वीर भी बदल जाएगी। पर्यटन को और बढ़ावा मिलेगा। सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने 22 सितंबर 2020 को इसका शिलान्यास किया था। तब अक्टूबर 2023 में इसके निर्माण का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन सीएम की पहल पर इसे 2022 में ही कंप्लीट कर लिया गया। इस डैम की खासियत से आज हम आपको रूबरू कराने जा रहे हैं।
आइआइटी के विशेषज्ञों की ली गई सलाह
इसके निर्माण पर 312 करोड़ रुपये की लागत आई है। इसमें कंक्रीट की जगह रबर का इस्तेमाल किया गया है। यह पर्यावरण की दृष्टि से भी अनुकूल है। इसमें आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया। आइआइटी रुड़की (IIT Roorkee) के विशेषज्ञों की सलाह पर इसका निर्माण हुआ है। यहां पानी को रोकने के लिए कंक्रीट की जगह रबर बैलून का इस्तेमाल किया गया है। यह तीन मीटर ऊंचा और 411 मीटर लंबा है। इसमें 60-65 मीटर लंबाई के छह स्पैन हैं।
बुलेटप्रूफ है रबर डैम
नदी के नीचे करीब एक हजार मीटर की लंबाई में रबर शीट लगाई गई है। इसका डायफ्राम भी तीन सौ मीटर का है। डैम एक बैलून की तरह है। इसके रबर ट्यूब में हवा भरने और निकालने के लिए आटोमेटिक व्यवस्था है। पानी अधिक होने पर बैलून की हवा निकाली जा सकेगी। यानी इससे जरूरत के अनुसार पानी रोका और छोड़ा जा सकेगा। जानकारी के अनुसार आस्ट्रिया की कंपनी और हैदराबाद की एजेंसी ने मिलकर इसे तैयार किया है। रबर डैम 17 एमएम मोटी रबर से बना है। यह बुलेटप्रूफ है। साथ ही दावा है कि यह एक सौ साल तक खराब नहीं होगा।
प्रदूषणमुक्त हुई फल्गु नदीफल्गु नदी में गंदे पानी और कचरे का ढेर लगा रहता था। कई बार इसे प्रदूषणमुक्त करने की कवायद हुई। रबर डैम बन जाने से इसे प्रदूषण से मुक्ति मिल गई है। शहर का प्रदूषित पानी अब बाहर की ओर प्रवाहित हो रहा है। नदी के किनारे शवदाह पर भी रोक लगा दी गई है। विष्णुपद देवघाट से पूर्वी तट पर बनी पिंडवेदी जाने की दूरी कम गई है। पहले बाईपास होकर निजी वाहन से जाना पड़ता था। कुछ श्रद्धालु पैदल नदी पार कर भी जाते थे। अब डैम के ऊपर स्टील पुल बन गया है। इससे श्रद्धालु देवघाट में कर्मकांड करने के बाद सीताकुंड पिंडवेदी का दर्शन करने जा सकते हैं। इस पैदल पुल ने पहले की तीन किलोमीटर की दूरी को 1.4 किलोमीटर तक सिमटा दिया है।
अब फल्गु नदी में साल भर रहेगा पानीडैम में 25 सौ घनमीटर पानी सालों भर उपलब्ध रहेगा। नदी में देवघाट से लेकर आईटीआई तक जल भरा रहेगा। विशेषज्ञों के अनुसार अभी तक धरती के अंदर जल-प्रवाह वाली इस नदी में कभी भी तीन फीट से कम जल नहीं रहेगा। डैम बन जाने से गया शहर के पेयजल संकट दूर होगा। सालों भर पेयजल की किल्लत से शहरवासी जूझते थे। लेकिन अब यह संकट दूर हो गया है। सर्वेक्षण से ज्ञात हुआ है कि डैम बनने के बाद भूजल स्तर में करीब 12.14 फीट की बड़ी वृद्धि हुई है।
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