Bihar Flood: बाढ़ के दर्द से वीरान पड़ी लोगों की जिंदगी, अपनों से मिलने को कर रहे पानी उतरने का इंतजार
शिवहर में बागमती नदी के कहर ने गांवों ही नहीं परिवारों को भी बांट दिया है। तटबंध टूटने के बाद ग्रामीण तटबंध के दोनों ओर बंट गए हैं। एक ही परिवार के लोग अलग-अलग जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं। बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि पहले बड़ी से बड़ी बाढ़ ढाई दिन में खत्म हो जाती थी लेकिन इस बार सात दिन बाद भी पानी घरों में ठहरा है।
नीरज, शिवहर। नदी का कहर, जिसने गांव ही नहीं अपनों को भी बांट दिया। भागदौड़ में परिवार ऐसा बिखरा कि आधी जिंदगी एक तरफ तो आधी दूसरी तरफ...सबके हिस्से में अथाह पीड़ा।
ऐसा दर्द शिवहर के कई हिस्सों में दिखता है। एक ऐसी ही तस्वीर तरियानी छपरा की, यहां बागमती ने गांव को ही नहीं, परिवार को भी दो हिस्सों में बांट दिया है।रविवार की रात तरियानी छपरा मध्य विद्यालय के पास बांध ध्वस्त होने के बाद ग्रामीण तटबंध के दोनों ओर बंट गए हैं। एक ही परिवार के लोग अलग-अलग जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं।
तटबंध टूटने पर भाग-दौड़ के दौरान मां-बेटी एक तरफ तो पिता दूसरी तरफ चले गए हैं। तटबंध टूटने से लोगों की दूरियां भी बढ़ गई हैं। अपनों से मिलने के लिए उन्हें 17 किमी की दूरी तय करनी पड़ रही है।
बंटा परिवार, पानी कम होने का इंतजार
तरियानी छपरा तटबंध के इस किनारे पर पालीथिन के नीचे रह रही दीपा कुमारी बताती हैं कि बाढ़ के बाद वह मां के साथ इधर रह गईं।पिता सहित अन्य लोग उधर रह गए। गांव उस तरफ ही है। मामा चौक से गांव जाने वाली सड़क पर पानी का बहाव अधिक था। लिहाजा यहीं रहना पड़ा।
अब पानी थोड़ा कम हो रहा है, जल्द ही घर लौटूंगी। तरियानी छपरा वार्ड आठ के अधिकतर लोग तटबंध पर रहने को मजबूर हैं।इनमें राजू साह का भी परिवार शामिल है, लेकिन राजू साह बेलसंड छतौनी पथ में सड़क के किनारे रहने को मजबूर हैं। परिवार तटबंध पर है। पानी कम हो तो घर लौटे और पूरा परिवार मिल सके।
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