'परिवार और संपत्ति इंडी गठबंधन के नेताओं की पहली चिंता', सुशील मोदी ने विपक्ष को परिवारवाद पर जमकर सुनाई खरी-खोटी
सुशील मोदी ने कहा कि आईएनडीआईए में सोनिया गांधी लालू प्रसाद ममता बनर्जी एमके स्टालिन और उद्धव ठाकरे समेत सभी बड़े दलों के नेता अपने बेटे या घरवालों को आगे बढाने और संपत्ति बनाने के लिए काम कर रहे हैं। कोई अपने बेटे को पीएम प्रोजेक्ट करने में लगा है तो कोई बेटा-भतीजा को सीएम बनाने के लिए बेचैन है। ये लोग देश की सेवा क्या करेंगे?
राज्य ब्यूरो, पटना। पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि इंडी गठबंधन में सोनिया गांधी, लालू प्रसाद, ममता बनर्जी, एमके स्टालिन, उद्धव ठाकरे सहित सभी बड़े दलों के नेता अपने बेटे या स्वजन को आगे बढ़ाने और संपत्ति बनाने के लिए काम कर रहे हैं। कोई बेटे को पीएम प्रोजेक्ट करने में लगा है, तो कोई बेटा-भतीजा को सीएम बनाने के लिए बेचैन है। ये लोग देश की सेवा क्या करेंगे?
सुशील मोदी ने कहा कि देश की 140 करोड़ जनता को ही परिवार मान कर गरीब, युवा, महिला और किसानों के विकास के लिए दिन-रात काम करने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का इंडी गठबंधन कभी मुकाबला नहीं कर पाएगा।
सुशील मोदी ने आगे कहा कि परिवारवाद और भ्रष्टाचार में डूबी राजनीति के चलते यूपीए के दस वर्ष में कोल ब्लाक, 2-जी स्पेक्ट्रम जैसे करोड़ों रुपये के घोटाले हुए, जबकि "राष्ट्र पहले" की नीति और गरीबों-पिछड़ों की मदद की नेकनीयती वाली एनडीए सरकार के दस वर्ष में भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं लगा । 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर आए।
राजद केवल एक परिवार की पार्टी: राजीव रंजन
जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा है कि तेजस्वी यादव ने स्वीकार कर लिया कि राजद कार्यकर्ताओं की नहीं, बल्कि उनके माई-बाप की पार्टी है, केवल एक परिवार की पार्टी है। अब उनके नेतृत्व में यह भाई-बहन पार्टी बनने की राह पर बढ़ चली है।
उन्होंने कहा कि तेजस्वी के राजद को ‘ए टू जेड’ की पार्टी भी बताया है। इससे राजद कार्यकर्ताओं को अधिक खुश नहीं होना चाहिए।इसका मतलब साफ है कि भाई-बहन के बाद उनके परिवार के ‘ए टू ज़ेड’ सदस्य यानी भाई-भतीजे समेत तमाम रिश्तेदार ही राजद के नेता माने जाएंगे।
उन्होंने कहा कि राजद को यदि बहुजनों की इतनी ही चिंता है तो उन्हें बताना चाहिए कि सत्ता में रहते हुए उन्होंने समाज के किसी वर्ग को आरक्षण क्यों नहीं दिया? राजद नेता को बताना चाहिए कि गरीबों को नौकरी देते वक्त उन्होंने उनसे जमीनें क्यों लिखवाई?
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